ब्रिमैटो यानी एक ही पौधे पर बैंगन और टमाटर
वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार ‘ब्रिमैटो’ पौधा खेती की नई क्रांति साबित हो रहा है। यानी एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर दोनों की पैदावार होती है जिससे जगह व लागत की बचत हो...
वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार ‘ब्रिमैटो’ पौधा खेती की नई क्रांति साबित हो रहा है। यानी एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर दोनों की पैदावार होती है जिससे जगह व लागत की बचत हो रही है। वहीं शहरी इलाकों में छत आदि पर गार्डनिंग के शौकीनों के लिए भी यह वरदान है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर दोनों मिल सकते हैं? यह बात भले ही किसी कहानी जैसी लगे, लेकिन वाराणसी स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत में बदल दिया है। उन्होंने ऐसा पौधा तैयार किया है, जिसे नाम दिया गया है-‘ब्रिमैटो’। यह पौधा न सिर्फ किसानों के लिए खेती की नई क्रांति साबित हो रहा है, बल्कि शहरी इलाकों में छत आदि पर गार्डनिंग के शौकीनों के लिए भी वरदान है।
दरअसल, ब्रिमैटो वैज्ञानिकों की डुअल ग्राफ्टिंग तकनीक का परिणाम है। इसमें बैंगन की मजबूत जड़ों पर टमाटर को चढ़ाया गया है। इससे बैंगन की जड़ें पानी ज्यादा सह लेती हैं, जबकि टमाटर पानी से जल्दी खराब हो जाता है। इस प्रयोग का नतीजा यह निकला कि बैंगन और टमाटर दोनों एक साथ मिलने लगे। साल 2017 में पहली बार बैंगन की देशी किस्म आईसी 111056 पर यह प्रयोग सफल हुआ और लगातार परीक्षणों के बाद आईआईवीआर ने हाल ही में आईसीएआर में इसे पंजीकृत कराया है। इसका किसानों को प्रशिक्षण और पौधे उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया है।
4.50 किलो टमाटर, 3 किलो बैंगन
ब्रिमैटो के फायदे जानकर कोई भी किसान इसे अपनाना चाहेगा। एक ही पौधे से औसतन चार से साढ़े चार किलो टमाटर और साढ़े तीन किलो बैंगन मिल जाते हैं। खास बात यह है कि सामान्य पौधों की तुलना में पंद्रह से बीस दिन पहले ही फल मिलने लगते हैं। यदि बड़े पैमाने पर खेती की जाए तो एक हेक्टेयर में 37 टन से ज्यादा टमाटर और 35 टन के करीब बैंगन की पैदावार होती है। यानी लागत घटती है और आमदनी बढ़ जाती है। अनुमान है कि इससे किसानों को करीब छह लाख रुपये तक शुद्ध लाभ हो सकता है।
एक पौधे पर दो फसलें यानी आधी लागत
उत्तर प्रदेश सोनभद्र, देवरिया और आज़मगढ़ जैसे जिलों के किसान पहले ही इसे अपनाकर खुशहाल हो रहे हैं। सोनभद्र के किसान रामनिवास यादव बताते हैं कि अब अलग-अलग पौधे लगाने का झंझट खत्म हो गया है। एक ही पौधे से दोनों फसलें मिल जाती हैं और मेहनत आधी रह गई है। वहीं देवरिया की राधिका देवी कहती हैं कि उनके छोटे से बगीचे में अब बैंगन और टमाटर दोनों मिल रहे हैं और बाजार से सब्ज़ी खरीदने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।
शहरी गार्डनिंग के अनुकूल
ब्रिमैटो की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है बल्कि शहरी गार्डनिंग के लिए भी बेहद उपयोगी है। शहरों में जहां खेती की जगह कम होती जा रही है, वहां एक ही गमले में दो सब्ज़ियां मिल जाना किसी सपने जैसा है। बालकनी या छत पर इसे आसानी से लगाया जा सकता है। इससे रोज़ाना ताज़ी सब्ज़ियां मिलती हैं और पानी-खाद की बचत भी होती है।
घर पर ब्रिमैटो लगाने के लिए ज्यादा जटिल तकनीक की ज़रूरत नहीं है। धूप वाली जगह चुनें, हल्की और जलनिकासी वाली मिट्टी तैयार करें और उसमें गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। पौधे को हफ्ते में दो-तीन बार पानी दें और समय-समय पर जैविक खाद डालें। यदि कीट लगें तो नीम का तेल या हल्का साबुन पानी छिड़कने से फायदा होगा।
आसान है ब्रिमैटो की खेती
खेती की तकनीक में भी ब्रिमैटो बेहद आसान है। बैंगन की मजबूत जड़ों के चलते यह लंबे समय तक उत्पादन देता है। हालांकि इसमें बैंगन और टमाटर दोनों तरह के कीट लग सकते हैं, इसलिए किसानों को सतर्क रहना पड़ता है। नियमित निगरानी और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग इसकी सेहत बनाए रखता है।
दिलचस्प यह है कि ब्रिमैटो से पहले वैज्ञानिकों ने पोमैटो नाम का पौधा तैयार किया था, जिसमें आलू और टमाटर एक साथ मिलते थे। लेकिन उसकी पैदावार सीमित थी और वह ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाया। इसके मुकाबले ब्रिमैटो ज्यादा व्यावहारिक साबित हो रहा है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश के किसान और शहरी गार्डनर्स भी इसे अपना रहे हैं।
भविष्य की खेती का प्रतीक
आईआईवीआर के निदेशक डा.राजेश कुमार कहते हैं, “इस साल ही पच्चीस हजार से ज्यादा पौधे नर्सरी से बेचे हैं और अब किसानों की मांग लगातार बढ़ रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती की जमीन घटने के इस दौर में ऐसे पौधे भविष्य में और भी अहम भूमिका निभाएंगे। सीमित जगह में दोहरी पैदावार देना ही आने वाले समय की असली चुनौती है और ब्रिमैटो उस दिशा में एक ठोस कदम है।”
ब्रिमैटो ने आधुनिक विज्ञान और परंपरागत खेती को अधिक लाभकारी, टिकाऊ और रोचक बना दिया है। यह शहरी और ग्रामीण किसानों दोनों के लिए भविष्य की खेती का प्रतीक है। इस पौधे के जरिए छोटे गार्डनर्स और किसान न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि पर्यावरण अनुकूल और सीमित संसाधनों में खेती का अनुभव भी प्राप्त करेंगे। यही कारण है कि ब्रिमैटो को खेती की दुनिया में स्मार्ट और भविष्यवादी पौधा कहा जा रहा है।
भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इससे पहले भी पोमैटो विकसित किया था, जिसमें टमाटर और आलू उगते थे। लेकिन पोमैटो की पैदावार और टिकाऊपन सीमित था। ब्रिमैटो अधिक टिकाऊ, व्यावहारिक और लोकप्रिय हो गया है। ब्रिमैटो सिर्फ एक पौधा नहीं बल्कि खेती की नई क्रांति का प्रतीक है। किसानों के लिए कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे का रास्ता खोलता है। शहरी बाग़वानों को कम जगह में ताज़ी सब्ज़ियां उपलब्ध कराता है। एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर का स्वाद-यानी स्वाद भी, सेहत भी और भविष्य की खेती का नया रास्ता भी।
किसानों को फायदा
यूपी के सोनभद्र, देवरिया और आज़मगढ़ के 180 से ज्यादा किसानों ने ब्रिमैटो को अपनाया। इसके एक पौधे से लगभग 4.5 किलो टमाटर और 3.5 किलो बैंगन निकल आते हैं। सामान्य पौधों से 15-20 दिन पहले फल देने लगता है। आईआईवीआर ने इस साल नर्सरी से 25,000 से ज्यादा पौधे बेच दिए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रिमैटो से एक हेक्टेयर में 37.3 टन टमाटर और 35.7 टन बैंगन पैदा हो सकते हैं जिससे किसान को करीब 6.4 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ हो सकता है।ब्रिमैटो का पौधा जगह बचाता है, ऐसे में यह शहरों में छत पर गार्डन के लिए बेहतरीन है। -लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

