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बेहतर तैयारी से सुलभ होगी विदेश में नौकरी

सख्त इमिग्रेशन कानून
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भारत में बड़ी संख्या में युवा विदेश में पढ़ने, काम करने व वहां सेटल होने का सपना देखते हैं। लेकिन अमेरिका समेत कई विकसित देशों में कई वजहों से इमिग्रेशन व वीजा नियम सख्त हो रहे हैं। अब विदेश में भविष्य बनाने को लक्ष्य मुताबिक योजना बनाकर तैयारी जरूरी है।

सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के लिए हाल के महीनों में इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क जैसे देशों ने भी इमिग्रेशन वीज़ा नियम सख्त किये हैं या इनकी दरें काफी ज्यादा बढ़ा दी हैं। सवाल है इसकी वजह क्या है और विदेश जाकर बेहतर भविष्य का सपना देखने वाले भारतीय युवाओं को अब क्या करना चाहिए?

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अमेरिका की राह पर यूके और कनाडा

अमेरिका के पदचिन्हों पर चलते हुए अब इंग्लैंड ने भी भारतीय छात्रों के लिए पोस्ट स्टडी ‘ग्रेजुएट रूट’ वर्क वीज़ा की अवधि को दो साल से घटाकर 18 महीने कर दिया है। स्थायी निवास पाने की अवधि भी बढ़ाकर अब 5 से 10 साल कर दी गई है। मकसद यही है कि भारतीय छात्र पढ़ाई करने के बाद जल्दी ही इंग्लैंड छोड़कर चले जाएं और वहां रुक जाने वालों को बहुत देर से स्थायी निवास की अनुमति मिले। इसके अलावा अंग्रेजी भाषा की शर्तें भी सख्त कर दी गई हैं। कुछ इसी तरह कनाडा में अब भारतीय छात्रों की वीज़ा आवेदन अस्वीकृति दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ योजनाएं जैसे स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम या अन्य त्वरित मंजूरी कार्यक्रमों में बदलाव हो रहे हैं। वीज़ा प्रक्रिया और वित्तीय प्रमाण संबंधी मांगें भी बढ़ी हैं।

ऑस्ट्रेलिया वीज़ा नियमों में भी सख्ती

ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय छात्रों के लिए वीज़ा नियमों को सख्त कर रहा है ताकि भारतीय छात्र जो ऑस्ट्रेलिया पढ़ने के लिए आते हैं, यहीं रुकने के आसान सपने न देखें। इसके लिए उसने स्टूडेंट वीज़ा नॉर्म्स को सख्त किया है, जैसे कि अंग्रेजी भाषा मानक और नो फर्दर स्टे जैसी शर्तों को कड़ाई से लागू किया है। कुछ राज्यों/प्रांतों के छात्रों पर विशेष तौरपर रोक लगायी है।

डेनमार्क में भी नियम कड़े

डेनमार्क भी अब भारतीय छात्रों के साथ सख्ती बरत रहा है। डेनमार्क भारतीय छात्रों के लिए काम की अनुमति देना कम कर रहा है। हाल के महीनों में छात्रों के लिए वर्क परमिट की अवधि कम करने की बात कही गई है।

बदलाव की वजहें

सवाल है आखिर भारतीय छात्रों को विशेष तौरपर ध्यान में रखकर कई देशों में ऐसे बदलाव क्यों हो रहे हैं? दरअसल उन देशों में अब यह धारणा मजबूत हो गई है कि विकासशील देशों के जो छात्र उनके यहां पढ़ने के लिए आते हैं, खासकर भारतीय छात्र, वे उनके देश में ही नौकरी करना चाहते हैं। इनको पढ़ने के बाद इनके देश वापस भेजना बहुत मुश्किल हो रहा है। कई लोगों को रुकने या काम की इजाजत नहीं मिलती तो ये लोग अवैध तरीके से भी यहां रहने के रास्ते निकाल लेते हैं। साथ ही विकसित देशों में आवास और सामाजिक सेवाओं आदि पर नकारात्मक असर हो रहा है। स्थानीय बेरोजगारी दर बढ़ रही है।

स्थानीय लोगों का दबाव

भारतीय या दूसरे प्रवासी कामगारों के कारण स्थानीय लोगों को उचित वेतन मिलना मुश्किल हो गया है। इसलिए स्थानीय लोगों में बाहरी छात्रों और प्रोफेशनल्स को लेकर तनाव बढ़ने की स्थिति है। स्थानीय लोग प्रशासकों से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर विदेशी कामगारों के दबाव में उन्हें रोजगार कम क्यों मिल रहे हैं?

ऐसे पूरी करें विदेश जाने की ख्वाहिश

सवाल है कि आखिर ऐसी स्थिति में भारतीय छात्र या प्रोफेशनल्स क्या करें? दरअसल विदेश जाकर सफलता के सपने देखने वाले छात्रों को अब विदेश जाने की योजना में कहीं भी चलेंगे, वाली एप्रोच नहीं चलेगी। जो छात्र विदेश जाना चाहते हैं, उन्हें पहले यह तय करना होगा कि आखिरकार उनका लक्ष्य क्या है पढ़ाई, नौकरी या विदेशों में स्थायी रूप से बसना या विदेश जाकर अंतर्राष्ट्रीयता का अनुभव लेना? अगर सिर्फ पढ़ाई के लिए जाना चाहते हैं तो फीस वीज़ा नियम अपने पोस्ट स्टडी वर्क परमिट को जांचें और अगर विदेश जाने का उद्देश्य नौकरी खोजना है तो वर्क वीज़ा स्किलिस्ट और वेतन मानदंडों को अच्छी तरह से जांच लें। लेकिन अगर विदेश जाकर बसना है तो उस देश की पीआर नीतियां भाषीय परीक्षा और अंक आधारित सिस्टम को गहराई से देखना होगा। नये दौर में विदेश केवल डिग्री वालों का नहीं बल्कि काबिल लोगों का है। ऐसे में कड़ी स्पर्द्धा जीतनी होगी।

विदेश जाने की ख्वाहिश पूरी करने को आपको कुछ खास करना होगा। मसलन अपने क्षेत्र में कोई युनीक व दुर्लभ कौशल चुनें। जैसे- टेक्नोलॉजी, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और एआई क्लाउड। इसी तरह हेल्थ के क्षेत्र में फिजियोथैरेपी, नर्सिंग और बायोटेक्नोलॉजी पर फोकस करना होगा। सबसे बड़ी बात, पश्चिम के कुछेक देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि पर ही निर्भर रहना गलती होगी। अन्य देशों जैसे यूएई, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब तथा कतर आदि में भी ऊंची सफलता के सपने देखे जा सकते हैं। -इ.रि.सें.

 

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