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कामयाब कैरियर के लिए उम्र के हर पड़ाव पर रहें सजग

मौजूदा प्रतिस्पर्धा के दौर में प्रोफेशनल सफलता के लिए गंभीरता जरूरी है। किस सब्जेक्ट में रुचि व महारत हासिल है, स्कूल के समय ही इसका आकलन कर स्ट्रीम का चुनाव करना होता है। फिर लक्ष्य के मुताबिक स्नातक डिग्री व...
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मौजूदा प्रतिस्पर्धा के दौर में प्रोफेशनल सफलता के लिए गंभीरता जरूरी है। किस सब्जेक्ट में रुचि व महारत हासिल है, स्कूल के समय ही इसका आकलन कर स्ट्रीम का चुनाव करना होता है। फिर लक्ष्य के मुताबिक स्नातक डिग्री व स्किल्स हासिल कर जॉब की शुरुआत करते हैं। इसके बाद 23-30 साल स्थायित्व के लिए व फिर 10 साल ग्रोथ पर ध्यान देना चाहिये। दरअसल, जिंदगी के अलग-अलग पड़ावों में अलग-अलग तरह की सजगता चाहिये।

जीवन में कामयाब कैरियर हासिल करने के लिए वह सही समय क्या होता है, जब हमें इसके लिए गंभीर हो जाना चाहिए। हालांकि अगर आप कामयाब लोगों से यह सवाल पूछेंगे, तो वे कहेंगे, ‘ कैरियर किसी एक उम्र से बंधा नहीं होता बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि इंसान कब अपनी रुचियों, क्षमताओं और जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से समझता है और उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करते हुए अपने कैरियर को ऊंचाई देता है।’लेकिन ये जवाब कामयाबी के बाद की बेफिक्री से जुड़ा लगता है। सही बात यह है कि अगर हमें जीवन में अपने कामयाब कैरियर के लिए सजग रहना है तो जिंदगी के अलग-अलग पड़ावों में अलग-अलग तरह की सजगता बहुत जरूरी है।

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स्कूल टाइम (15-18 साल)

यह वह समय होता है, जब कोई भी छात्र अपनी पढ़ाई, पढ़े जाने वाले विषय और उन विषयों में अपना रुझान पहचानना शुरू करता है। इस उम्र में जाहिर है किसी का कैरियर नहीं शुरू होता, मगर इस उम्र में भविष्य के कामयाब कैरियर के लिए सजग हो जाना जरूरी है। क्योंकि उसी के मुताबिक आपको आगे पढ़े जाने वाले विषयों की स्ट्रीम (आर्ट, कॉमर्स, साइंस) तय करना होता है और जिस पर बेहतर रुझान होता है, उसी दिशा में आगे कैरियर विकल्प पर फोकस करना होता है। इसलिए इस उम्र में जरूरी है- पढ़ने की आदत और अनुशासन विकसित करना। तो अपनी स्ट्रीम के मुताबिक अपनी रुचि को पहचानें और उसे उस समय के हिसाब से विकसित करने की कोशिश करें। उम्र का यही वह पड़ाव होता है, जब हममें कामयाब कैरियर की जाने-अनजाने नींव पड़ती है। तय होता है कि हम भविष्य में किस दिशा में जाएंगे।

कॉलेज/स्नातक (18-23 साल)

कैरियर के लिए हमारी जिंदगी में असली और सर्वाधिक सीरियस होने का यही समय है, क्योंकि इसी समय हमें डिग्री मिलती है और डिग्री के साथ-साथ हम स्किल डेवलपमेंट, इंटर्नशिप या अपने ड्रीम कैरियर के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। इस समय कैरियर को लेकर सर्वाधिक गंभीरता की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इस उम्र में हममें सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है। वहीं असफल होकर नये सिरे से कैरियर शुरू करने का हौसला भी रहता है।

युवावस्था का समय (23-30 साल)

यह समय शुरुआती कैरियर शुरू हो जाने के बाद उसे स्थिरता प्रदान करने का होता है। क्योंकि अब वास्तव में कैरियर शुरू हो चुका होता है और उसे मजबूत व स्थिर बनाना हमारे हाथ में होता है। इसलिए इस उम्र में ज्यादा से ज्यादा कैरियर के इस मोड पर फोकस करना चाहिए। उम्र के इस पड़ाव पर हमें सिर्फ कैरियर के लिए पढ़ाई पर ही ध्यान नहीं देना होता बल्कि नेटवर्किंग, अनुभव और सही अवसर पकड़ने की कोशिश पर होता है। क्योंकि अगर 23 से 30 के बीच हमारे कैरियर की दिशा अच्छी तरह से तय हो गई, तय होने के साथ-साथ इस दिशा में अगर हमने अपने आपको मजबूती से जमा लिया, तो आगे विकास और पदोन्नति आसान हो जाती है। अगर इस उम्र में हम डावांडोल रहे, तो हो सकता है बहुत अच्छा कैरियर बन जाए, लेकिन इस बात की भी आशंका रहती है कि कैरियर डगमगा जाए। क्योंकि अब तक हम उच्च शिक्षा हासिल कर चुके होते हैं, नौकरी शुरू कर चुके होते हैं, उसका कुछ सालों का अनुभव भी होता है और इस अनुभव के दौरान अगर हमें लगता है कि हममें उच्च शिक्षा की कुछ कमी है तो हम नौकरी करते हुए या नौकरी छोड़कर उस क्षेत्र विशेष में स्पेशलाइजेशन, एमबीए, मार्स्ट्स या प्रोफेशनल कोर्स करते हैं। अगर हमारा पहला बुनियादी कैरियर बनाने के बाद दूसरे ड्रीम कैरियर के रूप में यूपीएससी या दूसरे हाई कंपटीटिव कैरियर सपने में होते हैं, तो इस उम्र में हम एक कैरियर में रहते हुए इनकी मजबूती से तैयारी करते हैं। इसी उम्र में स्टार्टअप शुरू करना, रिसर्च करना या जॉब के साथ फ्रीलांसिंग के अवसर पकड़ना होता है। पूरे कैरियर में सबसे ज्यादा मेहनत इसी दौरान होती है और सबसे ज्यादा धैर्य भी इसी दौरान चाहिए होता है।

स्थिरता संग ग्रोथ (31-40 साल)

30 साल तक हम जिस भी कैरियर में सैटल होना चाहते हैं, आमतौर पर हो चुके होते हैं। 31वें साल से लेकर 40वें साल तक हम अपने कैरियर को स्थिरता प्रदान करते हुए उच्च विकास की ओर आगे बढ़ते हैं। इस दौरान कई बार हमें पीएचडी करनी होती है। जॉब में लीडरशिप पाने के लिए मैनेजमेंट कोर्स या इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन की पढ़ाई करनी होती है। इस उम्र में हम अपने कैरियर को मजबूती देकर विशेषज्ञता की ओर बढ़ते हैं और नेतृत्व हासिल करते हैं। आर्थिक स्थिरता और परिवार की जिम्मेदारी भी इस समय हम पर होती है और हम उसे अच्छी तरह से पूरा करने की कोशिश करते हैं। इस समय तक हमारे क्षेत्र विशेष में हमारी प्रोफेशनल पहचान बनने लगती है और अपने क्षेत्र में स्थिरता हासिल करना जरूरी हो जाता है।

अनुभव का पूंजीकरण (40 साल के बाद)

यह वह उम्र होती है जब हमारा कैरियर का अनुभव हमारे होने का सबसे बड़ा सबूत या कहें कि हमारी सबसे बड़ी पहचान बन जाता है। वास्तव में उम्र के इस पड़ाव में हमें अपनी अब तक की मेहनत के कई सुफल मिलते हैं। लेकिन कई बार यह हमारे कैरियर का संक्रमण काल भी बन जाता है, जब हम जिस माहौल और तकनीक में पले-बढ़े हुए होते हैं, वह आप्रासंगिक हो जाते हैं। ऐसे में कई बार हमें इस उम्र में अपना टेक्नोलॉजी स्किल बदलने या सुधारने के लिए पढ़ाई में कुछ और जोड़ना होता है। इसी उम्र में हम अपने संस्थान के मेंटर होते हैं, बड़े निर्णयों में हमारी भूमिका होती है और हम पर नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देने की परंपरा होती है। दरअसल, हमारे कैरियर में अलग-अलग समय पर अलग-अलग पड़ाव महत्वपूर्ण हैं। -इ.रि.सें.

 

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