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सेहत के लिए घातक मिलावटी सामान बचाव के उपाय व कानून का रहे भान

खरीददारी के दौरान मिलावटखोरी के प्रति सतर्क रहना जरूरी है खास तौर पर जब आप बाजार में खानपान का सामान लेने जाएं। फूड आइटम में मिलावट के चलते आम खरीददार को सिर्फ आर्थिक हानि ही नहीं होती बल्कि इससे कई...

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खरीददारी के दौरान मिलावटखोरी के प्रति सतर्क रहना जरूरी है खास तौर पर जब आप बाजार में खानपान का सामान लेने जाएं। फूड आइटम में मिलावट के चलते आम खरीददार को सिर्फ आर्थिक हानि ही नहीं होती बल्कि इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा होती हैं। मार्केट में मिलावट वाला दूध, मिठाई, नकली घी या पॉलिश वाले मेवे बहुतायत में हैं। ऐसे में सामान खरीदते समय सतर्क रहें व मिलावटखोरी से निपटने के कानूनी तौर-तरीकों को भी याद रखें।

स्वादिष्ट खानपान में भारत की आत्मा बसती है। लोग स्वाद के रोमांच में सब कुछ भूल जाते हैं, विशेषकर किसी खुशी के मौके में और मिलावटखोर हमारी इस बेफिक्री का इंतजार कर रहे होते हैं। इसलिए मनपसंद मिठाइयां और स्नैक्स खरीदते समय मिलावट के प्रति सतर्क रहें और किसी भी आशंका में इनसे निपटने के कानूनी तौर-तरीकों को न भूलें।

सावधानी इसलिए है जरूरी

मिलावट सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी नहीं है, इसका सीधा रिश्ता हमारे स्वास्थ्य से भी है। इन दिनों जिस तरह यूरिया मिला दूध, सिंथेटिक रंगों वाली मिठाई, नकली घी या कैमिकल पॉलिश वाले मेवे, धड़ल्ले से बिकते हैं, उस सबसे सतर्क रहना जरूरी है। क्योंकि यह गैर-सतर्कता सीधे हमारे स्वास्थ्य पर हमला करती है। इससे लिवर, किडनी और पाचनतंत्र पर सीधा असर पड़ता है। बच्चों और बुजुर्गों को एलर्जी परेशान करती है, तो फूड प्वॉइजनिंग और कैंसर जैसी बीमारियों का शिकंजा भी मिलावट से गहराता है।

ये हैं कानूनी सतर्कताएं

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 भारत में खाद्य सुरक्षा का मुख्य कानून है। हर खाद्य पदार्थ निर्माता, विक्रेता और वितरक को एफएसएसएआई से लाइसेंस लेना जरूरी है ताकि इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को कानूनी जिम्मेदारियों के दायरे में रखा जा सके। इस नियम के चलते खाद्य सुरक्षा संबंधी धाराएं इस प्रकार हैं।

धारा 26 - यह धारा स्पष्ट रूप से कहती है कि भारत में किसी भी व्यक्ति को असुरक्षित या मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने की अनुमति नहीं है।

धारा 59 - अगर किसी व्यक्ति की किसी मिलावटी खाद्य पदार्थ की वजह से मौत हो जाती है, तो दोषी को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

धारा 50-67 - मिलावट की अलग-अलग गंभीरताओं के मुताबिक इन धाराओं के चलते 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और कारावास का प्रावधान है।

आईपीसी की धाराएं 272 और 273 : धारा 272 के चलते मिलावटी खाना या पेय पदार्थ तैयार करने अथवा बेचने पर छह महीने की कैद की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जबकि धारा 273 के तहत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीजें बेचने पर एक साल की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही इसके लिए तात्कालिक अधिकारी द्वारा जुर्माने का भी प्रावधान है। धारा 273 भी मूलतः हानिकारक चीजों के बेचने पर एक साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा तय करती है। जबकि मिलावट की समस्या से निपटने के लिए कुछ राज्यों में धाराएं गैर जमानती अपराध के रूप में लागू हैं।

वैधानिक प्रावधानों का रखें ध्यान

एफएसएसएआई का लाइसेंस नंबर देखें, यह पैक या दुकान पर लिखा होना चाहिए। खुली मिठाइयां और दूध न खरीदें। जब भी मिठाइयां खरीदें तो आमतौर पर जिम्मेदार ब्रांड ही चुनें और सबसे ज्यादा जरूरी है कि मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जांच लें। रंग या चमकदार वर्क नकली तो नहीं है, इसकी भी पहचान करें। क्योंकि असली वर्क चांदी का होता है और नकली एल्युमिनियम आदि का होता है। संदेह होने पर देर न करें, तुरंत शिकायत करें। सबसे पहले स्थानीय फूड सेफ्टी ऑफिसर को इसकी सूचना दें या एफएसएसएआई हेल्प लाइन नंबर 1800-112-100 पर फोन करें या ईमेल compliance-fssai.gov.in पर मेल भेजें अथवा ऑनलाइन शिकायत के लिए foodlicensing.fssai.gov.in पर शिकायत करें। आपकी शिकायत पर अधिकारी नमूना लेकर लैब जांच कर सकते हैं और दोषी पाये जाने पर कानूनी कार्रवाई होती है।

खानपान के प्रमुख सामानों में मिलावटखोरी

आमतौर पर त्योहारों के पहले और त्योहारों के काफी बाद तक खोया में डिटर्जेंट, स्टार्च या सिंथेटिक पदार्थों से तैयार मिलावट देखी जाती है। मिठाइयों पर इन दिनों मेटालिन येलो और टारट्राजीन जैसे जहरीले रंगों का इस्तेमाल होता है। घी और तेल में वेजिटेबल ऑयल और मिनरल ऑयल से बना नकली घी मिलाया जाता है। जबकि दूध में यूरिया, सोडियम कार्बोनेट और साबुन के मिश्रण से तैयार सिंथेटिक दूध मिलाया जाता है। इसी तरह त्योहारों के पहले और उनके बाद कई हफ्तों तक जब सूखे मेवे, खासतौर पर खूब बिकते हैं, तो ये सल्फर डाइऑक्साइड और कृत्रिम पॉलिश से चमकदार बनाये जाते हैं। आमतौर पर हाल के सालों में जब त्योहारों के पहले और कुछ हफ्तों बाद तक खाद्य विभाग द्वारा मिलावट को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई की गई, तो पाया गया कि दिल्ली, लखनऊ, मुंबई और जयपुर जैसे शहरों में 25 फीसदी से ज्यादा मिठाइयां मिलावट वाली पायी गईं।

खास अवसरों पर रहें सजग

मिलावट के प्रति सतर्कता की सबसे ज्यादा जरूरत त्योहारों के पहले और इनके कई हफ्तों बाद तक सबसे ज्यादा होती है। क्योंकि त्योहारों की शुरुआत में लोग समय न होने से जल्दबाजी में ऐसी मिलावटी चीजें खरीदने में फंस जाते हैं, वहीं त्योहार खत्म होने के कुछ हफ्तों बाद तक त्योहार में बनी मिठाइयां और दूसरी चीजों को कुछ सस्ती दरों पर बेचने के लिए लगा दिया जाता है, जिससे लोग सस्ते के लालच में ये मिलावटी चीजें खरीदने को अभिशप्त हो जाते हैं। इसलिए त्योहारों के पहले और कुछ हफ्तों बाद तक विशेष तौरपर अपने यहां मिलावटी चीजें खरीदने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। अतः इन दिनों बाकी दिनों से ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत होती है।

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-इ.रि.सें.

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