औद्योगिक जरूरतों के चलते इंजीनियरिंग में नए विषयों का समावेश किया गया है। मैकेनोट्रॉनिक्स ऐसा ही क्षेत्र है जिसमें कई कैरियर विकल्प हैं। इसमें स्नातक के बाद रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन इंडस्ट्री, एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल उद्योग , मैन्युफैक्चरिंग और स्मार्ट फैक्ट्रियों, एआई एवं आईओटी आधारित उद्योग संबंधी जॉब मिल सकते हैं।
इंजीनियरिंग आज लाखों विद्यार्थियों की रुचि का क्षेत्र है। सामान्यत: अधिकांश विद्यार्थियों का 10+2 कक्षा में पीसीएम विषयों के चुनाव के पीछे का उद्देश्य जेईई के माध्यम से किसी अच्छे संस्थान से अपनी रुचि के ट्रेड में बीटेक करना होता है। औद्योगिक आवश्यकताओं के बदलते स्वरूप के कारण इंजीनियरिंग में नए विषयों का समावेश किया गया है।
आज के तकनीकी युग में उद्योग की दुनिया तेजी से ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, स्मार्ट मशीनों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर बढ़ रही है। ऐसे में मैकेनोट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग उन क्षेत्रों में से एक है जो छात्र को एक नहीं, बल्कि कई कैरियर विकल्प उपलब्ध कराती है। यह एक मल्टीडिसिप्लिनरी इंजीनियरिंग शाखा है, जिसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस, कंट्रोल सिस्टम और रोबोटिक्स का समन्वय होता है।
मॉडर्न इंडस्ट्री के मुताबिक कोर्स
बीटेक मैकेनोट्रॉनिक्स एक चार वर्षीय स्नातक डिग्री है जिसमें छात्रों को स्मार्ट मशीनों का डिज़ाइन, विकास, ऑटोमेशन, सेंसर तकनीक, रोबोटिक्स, एम्बेडेड सिस्टम्स और एआई आधारित औद्योगिक सिस्टम बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह कोर्स इंडस्ट्री 4.0 की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है।
प्रवेश हेतु न्यूनतम योग्यता
किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा भौतिकी, रसायन और गणित विषयों में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण होनी चाहिए। आरक्षण वाले वर्गों में कुछ संस्थान 45 प्रतिशत तक स्वीकार करते हैं। कुछ एनआईटी कक्षा 12वीं में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त विद्यार्थियों को ही वरीयता देते हैं। प्रवेश मुख्यतः राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर होता है
प्रवेश प्रक्रिया
जेईई मेन : अधिकतर राष्ट्रीय संस्थान इसी के आधार पर प्रवेश देते हैं। वहीं जेईई एडवांस्ड आईआईटी / एनआईटी में प्रवेश हेतु अनिवार्य है। यह परीक्षा प्रत्येक वर्ष नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाती है। राज्य स्तरीय परीक्षाएं जैसे महाराष्ट्र में एमएचटी सीईटी, उत्तर प्रदेश में यूपीएसईई, गुजरात में जीयूजे एसईटी (गुजसेट) आदि संयुक्त प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। कुछ निजी विश्वविद्यालय अपने स्वयं के एंट्रेंस टेस्ट भी कराते हैं।
कोर्स की अवधि
कुल अवधि है 4 वर्ष यानी 8 सेमेस्टर। इसमें लैब वर्क, इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट वर्क तथा इंटर्नशिप शामिल होती है।
इन क्षेत्रों में हैं अवसर
मैकेनोट्रॉनिक्स इंजीनियर की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। मुख्य कैरियर क्षेत्रों में— रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन इंडस्ट्री, एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर, ऑटोमोबाइल उद्योग (इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर सहित), मैन्युफैक्चरिंग और स्मार्ट फैक्ट्रियां, मेडिकल उपकरण उद्योग (बायोमेडिकल इक्विपमेंट्स), एआई एवं आईओटी आधारित उद्योग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, 3डी प्रिंटिंग और इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग। इसके अतिरिक्त शोध के क्षेत्र में मैकेनोट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की विशेष मांग और प्रचुर संभावनाएं हैं।
प्रमुख सरकारी शिक्षण संस्थान
आईआईटी हैदराबाद- मैकेनोट्रॉनिक्स इंजीनियर/ स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, आईआईटी पटना- मैकेनोट्रॉनिक्स विशेषज्ञता, एनआईटी वारंगल, एनआईटी राउरकेला, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू), पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी), चंडीगढ़।
फीस संरचना (सरकारी संस्थान)
आईआईटी में फीस प्रतिवर्ष लगभग 1 से 2 लाख रुपए तक हो सकती है। एनआईटी जैसे संस्थानों में वार्षिक फीस 90 हजार से डेढ़ लाख तक हो सकती है। डीटीयू / पीईसी जैसे राज्य तकनीकी विश्वविद्यालय / संस्थानों में फीस लगभग 60,000 रुपये से डेढ़ लाख रुपए प्रति वर्ष होती है। फीस से संबंधित अधिक सटीक जानकारी संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।
मैकेनोट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग उन छात्रों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है जो भविष्य की स्मार्ट तकनीकों के साथ कार्य करना चाहते हैं। यह कोर्स इंजीनियरिंग की कई शाखाओं का समन्वित रूप है, इसलिए कैरियर संभावनाएं भी व्यापक हैं—रोबोटिक्स से लेकर एयरोस्पेस और इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग तक। अगर आप नवाचार, डिजाइनिंग और टेक्नोलॉजी के प्रति उत्साहित हैं, तो यह आपके लिए भविष्य का सुनहरा अवसर साबित हो सकता है।
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