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ED Action अंसल प्रॉपर्टीज की मुसीबतें बढ़ीं: ईडी ने 10.55 करोड़ की संपत्ति जब्त

गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और लुधियाना में स्थित छह संपत्तियां अटैच | गंदे पानी का ट्रीटमेंट न करने का आरोप

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ED Action प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम ज़ोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से जुड़ी छह अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। इनकी कीमत करीब 10.55 करोड़ रुपये आंकी गई है। संपत्तियां गुरुग्राम (हरियाणा), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) और लुधियाना (पंजाब) में स्थित हैं।

अटैच की गई संपत्तियां कंपनी के निदेशकों, शेयरधारकों और लाभार्थियों – सुशील अंसल, प्रणव अंसल एंड सन्स एचयूएफ और कुसुम अंसल के नाम पर दर्ज हैं। यह मामला पर्यावरणीय कानूनों के गंभीर उल्लंघन से जुड़ा है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अंसल प्रॉपर्टीज पर जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के उल्लंघन को लेकर मुकदमे दर्ज किए थे।

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इन्हीं शिकायतों के आधार पर ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि कंपनी के दो बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स – ‘सुषांत लोक फेज-1’ और ‘एसेंसिया’ में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। सुषांत लोक फेज-1 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया ही नहीं गया, जबकि एसेंसिया प्रोजेक्ट में स्थापित एसटीपी क्षमता के हिसाब से बेहद छोटा और अप्रभावी था।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि लगाए गए एसटीपी को पूरी तरह निष्क्रिय छोड़ दिया गया था और उनका संचालन-रखरखाव नहीं किया जा रहा था। ईडी की जांच में पाया गया कि बिना ट्रीटमेंट का सीवेज और घरेलू अपशिष्ट सीधे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की सीवर लाइन में छोड़ा गया।

इससे एक ओर जनस्वास्थ्य और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा, वहीं दूसरी ओर कंपनी ने अवैध मुनाफा कमाया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस गैरकानूनी गतिविधि से कंपनी को 10.55 करोड़ रुपये का फायदा हुआ, जिसे ईडी ने ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’ (अपराध से अर्जित संपत्ति) करार दिया।

प्रमोटर्स की जिम्मेदारी पर सवाल

ईडी ने आरोप लगाया कि कंपनी के प्रमोटर्स ने न तो गंदे पानी के ट्रीटमेंट की कोई गंभीर कोशिश की और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन किया। एजेंसी का कहना है कि प्रमोटर्स ने जानबूझकर पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी की और जनता की सेहत से खिलवाड़ कर केवल मुनाफा कमाने पर ध्यान दिया।

ईडी ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई प्रारंभिक स्तर पर की गई है और मामले की गहन जांच जारी है। एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस गैरकानूनी कमाई से जुड़े अन्य लेन-देन और निवेश कहां-कहां किए गए।

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