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SIR के खिलाफ मार्च, निर्वाचन आयोग ने कहा- किसी दल ने मसौदा सूची को लेकर नहीं किया संपर्क

मसौदा सूची में नाम शामिल करने के लिए व्यक्तिगत मतदाताओं से अब तक 10,570 फॉर्म प्राप्त हुए
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों द्वारा विरोध मार्च निकाले जाने के बीच निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि राज्य में मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के लिए किसी भी पार्टी ने उससे संपर्क नहीं किया है।

मसौदा सूची एक सितंबर तक दावों और आपत्तियों के लिए उपलब्ध रहेगी, जिसके तहत पार्टियां और व्यक्ति छूटे हुए पात्र नागरिकों को शामिल करने एवं उन लोगों को बाहर करने की मांग कर सकते हैं। एक बुलेटिन के अनुसार, बिहार की मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के संबंध में एक अगस्त से 11 अगस्त (सोमवार) के बीच किसी भी राजनीतिक दल ने आयोग से संपर्क नहीं किया। निर्वाचन आयोग ने कहा कि मसौदा सूची में नाम शामिल करने के लिए व्यक्तिगत मतदाताओं से अब तक 10,570 फॉर्म प्राप्त हुए हैं।

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित ‘‘वोट चोरी'' के खिलाफ सोमवार को संसद भवन परिसर से निर्वाचन आयोग तक एक मार्च निकाला। हालांकि, पुलिस ने उन्हें संसद मार्ग पर ही रोक दिया तथा बाद में हिरासत में ले लिया।

विपक्ष संसद के दोनों सदनों में एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। आरोप लगा रहा है कि निर्वाचन आयोग की इस कवायद का उद्देश्य इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है। अधिकारियों ने इस प्रक्रिया का बचाव करते हुए कहा कि कई "अपात्र व्यक्तियों" ने मतदाता पहचान पत्र प्राप्त कर लिया है, क्योंकि 2004 से एसआईआर का समय-समय पर आयोजन नहीं किया गया। "कई लोगों" के पास जानबूझकर या अनजाने में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के कई मतदाता पहचान पत्र हैं।

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