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Delhi Diwali Pollution : दिवाली की चमक के बाद धुएं का असर: सांसों से लेकर गर्भ तक पर खतरा

दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में श्वसन व गर्भावस्था से जुड़े जटिलता के मामले बढ़े
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Delhi Diwali Pollution : दिवाली के बाद के दिनों में एक बार फिर दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है तथा अस्पतालों में श्वसन और गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं से जुड़े मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। क्षेत्र के डॉक्टरों ने इस वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े जाने के कारण होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण के संयुक्त प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया है।

पल्मोनोलॉजिस्ट और स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार, 20 से 23 अक्टूबर के बीच बाह्य रोगी (ओपीडी) और आपातकालीन मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई, क्योंकि प्रदूषण का स्तर स्वीकार्य सीमा से कहीं अधिक तक बढ़ गया था। इस अवधि में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक "बहुत खराब" श्रेणी में रहा। धुएं, जहरीली गैसों और सूक्ष्म कणों के अचानक संपर्क में आने से बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और श्वसन या हृदय संबंधी पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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‘सिल्वरस्ट्रीक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल' में कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित अग्रवाल ने कहा, “ दिवाली के बाद का स्मॉग खास तौर पर खतरनाक होता है क्योंकि इसके साथ प्रदूषकों का अचानक, घना जमाव हो जाता है। दिवाली के बाद सिर्फ दो दिनों के भीतर ही सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा के दौरे और ‘एलर्जिक ब्रोंकाइटिस' के मरीज़ों में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।”

इस चिंता को दोहराते हुए, गुरुग्राम स्थित शैल्बी इंटरनेशनल हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. मोहित भारद्वाज ने कहा, "सर्दियों की ठंडी हवा और पटाखों के धुएं का संयोजन प्रदूषकों को ज़मीन के पास फंसा देता है। पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त लोगों को प्रदूषण की चरम स्थिति के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिए, एन95 मास्क पहनना चाहिए और नियमित तौर पर निर्धारित इनहेलर या दवाइयां लेते रहना चाहिए।" स्त्री रोग विशेषज्ञ भी मातृ एवं भ्रूण के स्वास्थ्य पर प्रदूषण के कम दिखाई देने वाले लेकिन गंभीर प्रभावों के बारे में समान रूप से चिंतित हैं।

गुरुग्राम में सीके बिड़ला अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग निदेशक डॉ. आस्था दयाल कहा, “ वायु में उपस्थित सूक्ष्म कण का उच्च स्तर होने से वे ‘प्लेसेंटल बैरियर' (गर्भनाल में मौजूद एक प्राकृतिक रक्षा-झिल्ली या अवरोध, जो मां के रक्त और भ्रूण के रक्त के बीच होता है) को पार कर भ्रूण के विकास और मस्तिष्क के विकास में बाधा डाल सकते हैं। दिवाली के बाद हमने देखा है कि गर्भवती महिलाओं में सांस फूलना, चक्कर आना और रक्तचाप बढ़ने की शिकायतें बढ़ गई हैं।” दिवाली के बाद पीएम 2.5 का स्तर 675 पर पहुंच गया, जो चार साल का उच्चतम स्तर था।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, द्वारका की निदेशक और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की इकाई प्रमुख डॉ. यशिका गुडेसर ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में रहने से बच्चे का समय से पहले जन्म और पैदाइश के वक्त बच्चे का कम वजन होने का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, "हम गर्भवती महिलाओं को सलाह देते हैं कि जब वायु की गुणवत्ता खराब हो तो वे घर के अंदर ही रहें, घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, तथा विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें।

उन्होंने कहा, "कामकाजी महिलाओं को घर, कार्यालय और यहां तक कि कार में भी एयर प्यूरीफायर का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचा जा सके।" स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सामूहिक रूप से नागरिकों और अधिकारियों से त्योहारों को मनाने के अधिक जिम्मेदार और टिकाऊ तरीके अपनाने का आग्रह किया है।

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