Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Delhi Air Pollution : दिल्ली की जहरीली हवा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, बच्चों की स्पोर्ट्स ईवेंट्स पर लगा सकती है रोक

न्यायालय ने सीएक्यूएम से खेल प्रतियोगिताएं स्थगित करने का निर्देश देने पर विचार करने को कहा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
फाइल फोटो ट्रिब्यून
Advertisement

Delhi Air Pollution : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से कहा कि वह वायु प्रदूषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को नवंबर और दिसंबर में प्रस्तावित खेल प्रतियोगिताओं को ‘‘सुरक्षित महीनों'' तक स्थगित करने का निर्देश देने पर विचार करे। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गंभीर वायु प्रदूषण संकट के मुद्दे पर सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और शीर्ष अदालत को इस मामले की निगरानी के लिए मासिक आधार पर सुनवाई करनी चाहिए।

सीएक्यूएम को यह निर्देश तब दिया गया जब वरिष्ठ अधिवक्ता एवं न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने पीठ से कहा कि जब वयस्क लोग ‘एयर प्यूरीफायर' चालू करके बंद जगहों पर बैठे हैं, तो ऐसे में बच्चे खुले ‘‘गैस चैंबर'' में खेलकूद और खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं। बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। अभी खेल (प्रतियोगिताएं) आयोजित करना उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम सीएक्यूएम से अनुरोध करते हैं कि वह इसे ध्यान में रखे और ऐसी खेल प्रतियोगिताओं को सुरक्षित महीनों में स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करे।

Advertisement

शुरुआत में, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मंगलवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में दिल्ली और इससे सटे राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक हुई और वायु प्रदूषण से निपटने के दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपायों पर चर्चा की गई। न्याय मित्र सिंह ने कहा कि 2018 से एक दीर्घकालिक नीति और 2015 से एक चरणबद्ध प्रतिक्रिया योजना पहले से ही मौजूद है, और ये सब अदालत के निर्देश पर ही हुआ है। सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के पास कोई मानव संसाधन नहीं है।

Advertisement

पीठ ने कहा कि निपटने के उपाय केवल प्रदूषण के चरम पर पहुंचने पर ही नहीं किए जाने चाहिए और मुख्य याचिका को हर महीने एक बार सूचीबद्ध किया जाना चाहिए ताकि प्रदूषण-रोधी रणनीतियों के कार्यान्वयन की लगातार निगरानी की जा सके। इसने सीएक्यूएम और सीपीसीबी को उभरती परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) व्यवस्था के तहत कड़े प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी। जीआरएपी प्रतिबंधों के कारण निर्माण श्रमिकों के बेरोजगार होने के मुद्दे पर, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि श्रमिक उन गतिविधियों पर निर्भर हैं जिन पर प्रतिबंध है और इस प्रकार वे पीड़ित हैं।

पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को निर्देश दिया कि वे श्रमिकों को निर्वाह भत्ते के भुगतान के संबंध में निर्देश प्राप्त करें और अगली सुनवाई में अदालत को सूचित करें। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से अपने राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे पर सीएक्यूएम के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा। अगर पंजाब और हरियाणा के संबंध में सीएक्यूएम के सुझावों पर अमल किया जाता है, तो पराली जलाने की समस्या से पर्याप्त रूप से निपटा जा सकता है इसलिए हम दोनों राज्यों को एक संयुक्त बैठक करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि सीएक्यूएम के सुझावों का ईमानदारी से क्रियान्वयन किया जाए।

Advertisement
×