सहीराम
इधर तरह-तरह की आजादियां मिल रही हैं जनाब, आप कौन-सी लेना चाहेंगे। उन आजादियों की बात नहीं कर रहे, जिनकी मांग को लेकर कुछ साल पहले जेएनयू में नारे लगे थे कि भूख से आजादी, बेरोजगारी से आजादी, पूंजीवाद से आजादी, सांप्रदायिकता से आजादी, फासीवाद से आजादी चाहिए, और न जाने कौन-कौन सी आजादी चाहिए। ये आजादियां मांगकर जेएनयू के ये छात्र पिटे-कुटे, देशद्रोही कहलाए और जेल भेजे गए। जो पिचहत्तर साल पहले देश की आजादी मांग रहे थे, वे ऐसे ही पिटते-कुटते थे और जेल भेजे जाते थे।
नयी बात यह हुई कि पिचहत्तर साल पहले आजादी मांगने वाले तो कहलाते थे देशभक्त और ये कहलाए देशद्रोही और आखिर में खिताब पाया टुकड़े-टुकड़े गैंग का। पर खैर, हम उनकी बात नहीं कर रहे। हम तो देश की उस आजादी की बात कर रहे हैं, जिसका अगले वर्ष अमृत महोत्सव मनाया जाना है। जब देश की आजादी की जंग चल रही थी, तब भी शायद कई तरह की आजादियां उपलब्ध थी, लेकिन हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने आखिर पूर्ण आजादी की मांग की और आखिर में वही मिली भी।
हालांकि कम्युनिस्टों ने तब भी इसे पूर्ण आजादी मानने से इनकार कर दिया था और इसे अधूरी आजादी ही कहा था। वे राजनीतिक आजादी के साथ आर्थिक आजादी भी मांग रहे थे, जो आज तक नहीं मिली।
इस बीच जब स्वाधीनता दिवस आता था तो लोग साल में एक बार आजादी को याद कर लेते थे और चौराहों से तिरंगा झंडा खरीद लेते थे। लेकिन अब जब आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की बात हुई तो अचानक से कई तरह की आजादियां पेश कर दी गयी-कौन-सी लोगे? एक आजादी वह बतायी गयी, जो निन्यानवे साल की लीज पर मिली है। इसकी ब्रान्ड एंबेसडर भाजपा की एक युवा नेत्री बतायी गयी।
अब इस आजादी के कोई पच्चीसेक साल और बचे हैं। उसके बाद खत्म। हालांकि जलकुकड़ों ने तो अभी से कहना शुरू कर दिया है कि आजादी है कहां, वह तो खत्म ही है, अब तो तानाशाही है। एक बार तानाशाही इमरजेंसी में भी आयी बतायी, जिससे मुक्ति मिली तो कहा गया कि यह दूसरी आजादी है। उस आजादी की ब्रांड एंबेसडर जनता पार्टी थी।
खैर, इधर एक नयी-नयी आजादी आयी है, जिसका नाम है-भीख में मिली आजादी। इसकी ब्रांड एंबेसडर कंगना रनौत बतायी जा रही हैं। वो कह रही हैं कि जिस आजादी के लिए देशभक्तों ने अपना सर्वस्व निछावर किया, वह तो भीख में मिली थी। असली आजादी तो दो हजार चौदह में मिली है। दो हजार चौदह वालों ने उस आजादी की लड़ाई में इसीलिए भाग नहीं लिया था शायद और उस आजादी को असली आजादी मानने वाले इस आजादी को नहीं मान रहे।