शमीम शर्मा
आज के दिन दुनिया पैसों से नहीं, हवा से चल रही है। सांसों में हवा न आये तो सांस उखड़ जाती है और घर-परिवार में सन्नाटा पसर जाता है। यदि टायरों में हवा न हो तो पहिये जाम हो जाते हैं और फिर सड़कें व पुल सन्नाटे से भर जाते हैं। कहा जा सकता है कि सभ्यता का असली विकास पहिये के आविष्कार के बाद ही प्रारम्भ हुआ पर जिंदगी पहियों पर नहीं, प्राणवायु पर भागती है। वरना पंक्चर्ड टायर की तरह जीवन रेंगता-सा नज़र आयेगा।
अकबर ने एक बार दो व्यक्तियों को कहा कि तुम में से एक हवा को कागज में बांधकर लाओ और दूसरा आग को कागज में भरकर लाओ। दोनों सोच में पड़ गये। बादशाह द्वारा सौंपे गये काम को पूरा करने का कोई उपाय नहीं सूझा। अंततः वे बीरबल की शरण में गये और सहयोग मांगा। बीरबल ने उन्हें एक-एक डिब्बा देते हुए कहा कि तुम ये डिब्बे लेकर जाओ और बादशाह को सौंप दो। बादशाह से कह देना कि आपने हमें जो काम सौंपा था, हम करके लाये हैं।
अगले दिन दरबार में जाकर उन्होंने दोनों डिब्बे राजा को भेंट कर दिये। पहले डिब्बे में से कागज का पंखा निकला और दूसरे में से कागज की मोमबत्ती और दियासिलाई। खैर… किस्सों में तो हवा को बांधा जा सकता है पर असलियत में हवा किसी के बस की नहीं है। आज हवा को भी दुनिया की हवा लग गई है।
गौर से देखो तो हवा ही हवा से बातें कर रही है और इसने बड़े बड़ों की हवा निकाल दी है। जब से इंजेक्शन और आॅक्सीजन मार्किट से हवा हुए हैं, कइयों की हवाइयां उड़ गई हैं। हवा अपने वेग से आतंक मचा सकती है। जब वह जोर से बहने लगती है तो आंधी का रूप धारण कर पेड़ पौधे, तम्बू, खम्भे, छत आदि उखाड़ फेंकती है। पर आज यह हवा सांसें उखाड़ने में जुटी है। ऐसे भी दीवाने हैं जो हवा रुख बदल कर ही दम लेंगे। एक शे’र है :-
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं
रुख हवाओं का जिधर का है, उधर के हम हैं।
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एक बर की बात है अक मौसम विभाग नैं चेतावनी जारी करी अक घरां तैं बाहर ना लिकड़ना, क्यूंके काल सांझ नैं भोत तेज हवा चाल्लैगी अर भयानक बरसात भी आ सकै है। लाकडाउन का मारा एक ताऊ बोल्या—रै सुसरो! तीस दिनां तैं घर मैं ए बैठे हां तो के ईब बोरियां मैं घुस ज्यां।