जयंतीलाल भंडारी
यकीनन केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से छोटे आयकरदाताओं और मध्य वर्ग की उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। लेकिन वित्तमंत्री ने आय कर दरों में कोई बदलाव किए बिना कर व्यवस्था को सरल बनाने तथा अनुपालन व कर संबंधित मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए विवाद समाधान कमेटी (डिस्प्यूट रिजोल्यूशन कमेटी) के गठन का महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों के बीच छोटे आयकरदाताओं और मध्य वर्ग को नये बजट से मुस्कुराहट नहीं मिली है। जहां कोरोना संकट के कारण बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार गए, लोगों के वेतन-पारिश्रमिक में कटौती हुई, वर्क फ्राम होम की वजह से टैक्स में छूट के कुछ माध्यम कम हो गए, वहीं बड़ी संख्या में लोगों के लिए डिजिटल तकनीक, ब्रॉडबैंड, बिजली का बिल जैसे खर्चों के भुगतान बढ़ने से करदाताओं की आमदनी घट गई है। ऐसे में कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक हालात से लड़ने और छोटे करदाताओं व मध्य वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा प्रस्तुत वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन नहीं दिए जाने से इस वर्ग को मायूसी मिली है।
निसंदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच पुराने स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी। टैक्सपेयर्स टैक्स में छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख तक किए जाने की अपेक्षा कर रहे थे। साथ ही नये बजट से नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को स्टैण्डर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद थी लेकिन ये उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में धारा 80-सी के तहत 1.50 लाख रुपये की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनयेससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80-सी के तहत 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है। इसी तरह सरकार के द्वारा इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80-डी के तहत कर कटौती की सीमा को भी नहीं बढ़ाया गया है। लेकिन नये बजट में वित्तमंत्री ने सस्ते मकानों की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए आवास ऋण के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा करने की अवधि को एक साल बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 कर दिया है। वित्त मंत्री ने 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों पर कर अनुपालन बोझ कम करने का प्रस्ताव रखा है। इस उम्र के जो वरिष्ठ नागरिक सिर्फ पेंशन और ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी।
अब तक ईपीएफ एक ऐसा विकल्प था, जिसे एक्जेम्प्ट-एक्जेम्प्ट-एक्जेम्प्ट (ईईई) व्यवस्था का लाभ हासिल था। नये बजट में वित्त मंत्री ने इस योजना से हासिल ब्याज आय पर कर छूट कर्मचारी के 2.5 लाख रुपये के योगदान तक सीमित कर दी है। इससे पहले, ईईई के तहत कोई व्यक्ति अपनी बेसिक आय का 12 प्रतिशत योगदान दे सकता था। इसी तरह यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप) से परिपक्वता राशि तभी कर-मुक्त होगी, जब इन पर सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा न हो।
निश्चित रूप से नये बजट के माध्यम से आयकर सुधारों को गतिशील किया गया है। छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए गठित की जाने वाली विवाद समाधान कमेटी दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेंगी। 50 लाख रुपए तक की कर योग्य आय वाले और 10 लाख रुपये तक की विवादित आय वाले किसी भी व्यक्ति को समिति में अपना पक्ष रखने का अधिकार होगा। आयकर अधिनियम के तहत कर आकलन मामलों को पुन: खोलने के लिए समय-सीमा भी 6 साल से घटाकर 3 साल की गई है। जहां पिछले वर्ष 2020 से आयकर विभाग के द्वारा करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर), पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) और पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था लागू की गई है वहीं अब नये बजट से फेसलेस आकलन प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा 12 महीने से घटाकर 9 महीने की गई है, जिसका मतलब है कि रिटर्न को 31 मार्च के बजाय आकलन वर्ष के 31 दिसंबर तक संशोधित किया जा सकेगा।
इसके अलावा नये बजट में करदाताओं और कर अधिकारी के बीच पारंपरिक बातचीत की संभावना दूर करने के मद्देनजर नेशनल फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की घोषणा की गई है, जिसमें सुनवाई वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी। इससे न सिर्फ करदाताओं के लिए अनुपालन की लागत घटेगी बल्कि अपीलों के निपटान में पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा।
ऐसे आयकर सुधारों से जहां छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी, वहीं नये करदाताओं की संख्या बढ़ने की संभावना भी बढ़ेगी। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि वित्तमंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में कोरोना महामारी और उसके बाद करदाताओं व मध्य वर्ग की आर्थिक मुश्किलों के मद्देनजर संतोषप्रद राहत नहीं दी है, लेकिन अब सरकार द्वारा नये बजट के तहत नये डायरेक्ट टैक्स कोड और नये इनकम टैक्स कानून बनाने के कार्य को सुनिश्चित किया जाना उपयुक्त होगा। मोदी सरकार ने नवंबर 2017 में नयी प्रत्यक्ष कर संहिता के लिए अखिलेश रंजन की अध्यक्षता में जिस टास्क फोर्स का गठन किया था, उसके द्वारा विभिन्न देशों की प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू प्रत्यक्ष कर संधियों का तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट 19 अगस्त, 2019 को सरकार को सौंपी जा चुकी है। ऐसे में अब रंजन समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर नये डायरेक्ट टैक्स कोड और नये इनकम टैक्स कानून को शीघ्र आकार देकर एक ओर देश में कर सुधारों का नया चमकीला अध्याय लिखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर छोटे आयकरदाताओं व मध्य वर्ग की मुट्ठियों में नयी राहत दी जा सकती है।
लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं।