Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

भारतीय संस्कारों की तुलसी को अमेरिकी सुरक्षा का जिम्मा

चर्चा में चेहरा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
ulsi Gabbard, President Donald Trump's choice to be the Director of National Intelligence, appears before the Senate Intelligence Committee for her confirmation hearing on Capitol Hill Thursday, Jan. 30, 2025, in Washington. AP/PTI(AP01_30_2025_000477A)
Advertisement

भारतीय सरोकारों व हिंदू संस्कारों का मुखर समर्थन करने वाली पूर्व अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर बन गई। इस नियुक्ति के बाद तुलसी अमेरिका की महत्वपूर्ण व ताकतवर 18 खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करेंगी।

अरुण नैथानी

Advertisement

बारह फरवरी को भारतीय सरोकारों व हिंदू संस्कारों का मुखर समर्थन करने वाली पूर्व अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर बन गई। इस नियुक्ति के बाद तुलसी अमेरिका की महत्वपूर्ण व ताकतवर 18 खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करेंगी। बुधवार को अमेरिकी सीनेट ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित तुलसी की नियुक्ति पर 52-48 के अंतर से मोहर लगा दी। निदेशक के रूप में तुलसी सीआईए,एफबीआई, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी समेत 18 खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व और 70 बिलियन डॉलर के बजट का प्रबंधन करेंगी। सेना में कर्नल के रूप में इराक व कुवैत में चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने का तुलसी का अनुभव इस पद पर काम आएगा।

तेरह फरवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका पहुंचे तो तुलसी गबार्ड से उनकी मुलाकात की खबरें देश-विदेश के मीडिया में छायी रही। तुलसी नरेंद्र मोदी की प्रशंसक प्रधानमंत्री बनने से पहले भी रही हैं। उन्होंने राजग सरकार के जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने आदि कदमों का स्वागत किया था। यहां तक कि भारत प्रवास के दौरान एक स्कूल में सफाई अभियान में भाग लेकर उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन का समर्थन किया था।

उल्लेखनीय है कि पहले डेमोक्रेटिक पार्टी से सांसद बनने वाली तुलसी ने 2022 में पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन कर ली थी। कालांतर वे ट्रंप के समर्थन में खुलकर आ गई थी। पद संभालने के बाद उन्होंने अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी व सुरक्षा के लिये कार्य करने की बात कही है।

दरअसल, वर्ष 1981 में अमेरिका के समाओ द्वीप में माइक गबार्ड व कैरोल गबार्ड के घर जन्मी तुलसी उनकी पांच संतानों में शामिल थी। फिर वर्ष 1983 में उनका परिवार अमेरिका के हवाई राज्य में आकर बस गया। कालांतर तुलसी की मां कैरोल ने हिंदू धर्म अपना लिया। तुलसी की परवरिश मिले-जुले धार्मिक परिवेश में हुई क्योंकि जहां पिता कैथोलिक धर्म के अनुयायी थे, वहीं माता हिंदू धर्म को मानने वाली। लेकिन उनके पिता ने हिंदू पूजा पद्धति का विरोध नहीं किया। तुलसी ने किशोर अवस्था में हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया।

उल्लेखनीय है कि हिंदू मान्यताओं से गहरी जुड़ी तुलसी पूर्णत: शाकाहारी हैं। वह चैतन्य महाप्रभु के आध्यात्मिक आंदोलन गौडि़या वैष्णव संप्रदाय का अनुकरण करती हैं। यहां तक कि उनके भाई-बहन भी हिंदू हैं। जिनके नाम भक्ति,जय, नारायण और वृदांवन हैं। उनका मानना है कि भगवद्गीता उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन करती है। वह कर्मयोग में गहरी आस्था रखती है।

दरअसल, अमेरिकी सेना की पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल गबार्ड वर्ष 2013 में वह उस समय सुर्खियों में आई थीं, जब अमेरिकी कांग्रेस में चुने जाने के बाद उन्होंने भगवद् गीता के साथ शपथ ली थी। तुलसी गबार्ड के पिता माइक गबार्ड भी हवाई द्वीप समूह की राजनीति में अपनी खास पहचान रखते हैं। तुलसी ने प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर ही ली। कालांतर वर्ष 2009 में हवाई पैसिफिक यूनिवर्सिटी से बिजनेस प्रबंधन में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 16 साल तक सेना में सेवाएं दी। वर्ष 2006 में अशांत इराक में तैनात रहीं। तुलसी 2013 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिये डेमोक्रेट सांसद के रूप में चुनी गई। वे  अपने इलाके में रिकॉर्ड मतों से जीतती रही हैं। तुलसी भारत के साथ मजबूत अमेरिकी संबंधों की पक्षधर रही हैं।

दो दशकों से अधिक समय के लिये आर्मी नेशनल गार्ड से जुड़ी रही तुलसी ने कालांतर वर्ष 2020 में राष्ट्रपति पद के लिये डेमोक्रेट उम्मीदवार के लिये अपनी दावेदारी पेश की थी। गबार्ड अमेरिकी संसद की पहली हिंदू सदस्य थीं। उन्होंने सरकार की स्वास्थ्य सेवा, मुफ्त कॉलेज ट्यूशन और बंदूकों पर नियंत्रण जैसे मुद्दों का समर्थन किया था। बाद में 2021 में संसद छोड़ने के बाद कई मसलों पर उनके डेमोक्रेटिक पार्टी से मतभेद उत्पन्न हुए। फिर वे खुलकर ट्रंप के समर्थन में आने लगी। वर्ष 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ने के बाद वर्ष 2024 में वे रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई।

वर्ष 2015 में तुलसी तब चर्चाओं में आई जब उन्होंने वैदिक रीति-रिवाज से सिनेमैटोग्राफर अब्राहम विलियम्स से विवाह किया। तब उनके विवाह समारोह में तत्कालीन कार्यवाहक भारतीय राजदूत व भाजपा प्रवक्ता राम माधव शामिल हुए थे। माधव ने तब प्रधानमंत्री मोदी का संदेश पढ़ा और गणेश की प्रतिमा उपहार के रूप में दी। तुलसी इस विवाह से कुछ माह पूर्व भारत के दौरे पर आई थी। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, कैबिनेट मंत्रियों व सेना प्रमुख से भी मुलाकात की थी। वे वर्ष 2014 से पहले भी मोदी की नीतियों का समर्थन करती रही हैं। दरअसल, तुलसी अपनी हिंदू पहचान को तो मुखरता से स्वीकार करती हैं लेकिन वे खुद को हिंदू राष्ट्रवादी नहीं मानती। उनका मानना रहा है कि उनके समावेशी दृष्टिकोण के चलते ही उन्हें ईसाई, यहूदी, बौद्ध व मुस्लिमों का समर्थन मिलता रहा है।

वहीं वे मानती रही हैं कि अमेरिका में हिंदूफोबिया एक दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई है। जिसका अनुभव मैंने कांग्रेस सांसद बनने के प्रत्येक अभियान में महसूस किया। लेकिन अपनी आस्था व विश्वासों के प्रति वह दृढ़ रही हैं। पहली बार संसद पहुंचने पर उन्होंने भगवद् गीता की शपथ ली थी। वे गीता के महत्व पर अक्सर बोलती नजर आती हैं। शपथ ग्रहण के बाद तुलसी ने कहा था कि भगवद् गीता से मुझे प्रेरणा मिलती है कि मैं अपना जीवन अपने देश और दूसरों के लिये अर्पित कर दूं।

Advertisement
×