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परमाणु शक्ति से क्षुद्रग्रह संकट टालने की कोशिश

मुकुल व्यास यदि कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी की तरफ खतरनाक ढंग से बढ़ता है तो क्या हम उसे रोक पाएंगे? वैज्ञानिक भविष्य में क्षुद्रग्रह के प्रहारों से बचने के लिए कई तरह के उपायों पर विचार कर रहे हैं। एक नए...
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मुकुल व्यास

यदि कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी की तरफ खतरनाक ढंग से बढ़ता है तो क्या हम उसे रोक पाएंगे? वैज्ञानिक भविष्य में क्षुद्रग्रह के प्रहारों से बचने के लिए कई तरह के उपायों पर विचार कर रहे हैं। एक नए अध्ययन के अनुसार, एक परमाणु बम पृथ्वी को क्षुद्रग्रह के प्रभाव से बचा सकता है। प्रयोगशाला में दुनिया के सबसे शक्तिशाली जेड मशीन विकिरण स्रोत का उपयोग करके किए गए नए प्रयोग ने प्रदर्शित किया कि एक क्षुद्रग्रह के करीब परमाणु बम को विस्फोटित करके क्षुद्रग्रह की दिशा बदलने के लिए पर्याप्त बल उत्पन्न किया जा सकता है।

न्यू मैक्सिको की सैंडिया नेशनल लेबोरेटरी में जेड मशीन विकिरण स्रोत का संचालन करने वाली टीम का कहना है कि परमाणु विस्फोट द्वारा उत्पन्न शक्तिशाली एक्स-रे तरंगें क्षुद्रग्रह की सतह को वाष्पित करके उसकी दिशा मोड़ देंगी। इस अध्ययन के मुख्य लेखक नाथन मूर ने कहा, अधिकांश लोगों को क्षुद्रग्रहों से खतरा बहुत दूर की बात लगती है। लेकिन हमारा ग्रह हर दिन छोटे आकार के क्षुद्रग्रहों से टकराता है। हम उन्हें शूटिंग स्टार कहते हैं। हम किसी बड़े क्षुद्रग्रह के दिखने का इंतजार नहीं करना चाहते। हम उसकी दिशा बदलने के सही तरीके खोजना चाहते हैं। पिछले साल अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि ग्रहों की सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है।

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विभिन्न मॉडलों ने दिखाया था कि परमाणु बम द्वारा बनाई गई शॉकवेव आने वाले क्षुद्रग्रह को सफलतापूर्वक मोड़ने के लिए पर्याप्त बल प्रदान कर सकती है। लेकिन इन परिदृश्यों में हानिरहित रूप से पथ से हटाए गए क्षुद्रग्रहों को दशकों पहले देखा गया था।

चिंताजनक बात यह है कि इस समय चल रहे नासा के आकाश सर्वेक्षण ने अनुमान लगाया है कि पृथ्वी के निकट लगभग 25,000 ऐसी वस्तुएं मौजूद हैं जो बड़े विनाश का कारण बन सकती हैं। इनमें से कई सूर्य की चमक से छिपी हुई हैं, इसलिए संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रहों में केवल एक-तिहाई की ही पहचान की जा सकी है।

न्यू मैक्सिको स्थित प्रयोगशाला में मूर और उनकी टीम ने एक छोटे सिलिका पत्थर के आकार के नकली क्षुद्रग्रह को जेड मशीन की एक्स-रे पल्स से विकिरणित किया। शोधकर्ताओं ने बिल्कुल सही समय पर ‘सिलिका क्षुद्रग्रह’ को प्रयोगशाला के वातावरण के भीतर ‘अंतरिक्ष’ में छोड़ा। उन्होंने वातावरण का अनुकरण करने के लिए एक वैक्यूम बनाया था। उन्होंने एक्स-रे द्वारा नकली क्षुद्रग्रह की सतह को वाष्पित करने से पहले एक सेकंड के एक अरबवें हिस्से के भीतर उसे छोड़ दिया। प्रयोग में क्षुद्रग्रह आगे खिसक गया।

कई विज्ञानियों ने पहले यह विचार रखा था कि शक्तिशाली एक्स-रे विस्फोट एक बहुत बड़ी अंतरिक्ष चट्टान को उसके मार्ग से हटाने का विकल्प हो सकता है, लेकिन इसका कभी परीक्षण नहीं किया गया था। नया प्रयोग इस सिद्धांत का पहला प्रायोगिक प्रदर्शन है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर पर्याप्त चेतावनी या सतर्कता हो तो इस विधि का इस्तेमाल बहुत बड़े क्षुद्रग्रहों पर किया जा सकता है। सिद्धांत रूप में, अगर आपके पास पर्याप्त समय हो तो आप डायनासोर को मारने वाले क्षुद्रग्रह को रास्ते से हटा सकते हैं। दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले से ही लंबे समय तक चेतावनी देने वाले क्षुद्रग्रहों की दिशा मोड़ने के संभावित तरीकों पर काम कर रही हैं। नासा के डार्ट मिशन ने दो साल पहले एक हानिरहित क्षुद्रग्रह, डिमोर्फोस को सफलतापूर्वक अपने मार्ग से हटा दिया था।

इस बीच, एक नए अध्ययन से पता चला है कि 6.6 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी से टकराने वाला और डायनासोर का सफाया करने वाला विशाल क्षुद्रग्रह अकेला नहीं था। वैज्ञानिकों का कहना है कि उसी युग में पश्चिम अफ्रीका के तट से दूर समुद्र में एक दूसरी, छोटी अंतरिक्ष चट्टान टकराई थी,जिससे एक बड़ा गड्ढा बन गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ‘विनाशकारी घटना’ रही होगी। इससे अटलांटिक महासागर में कम से कम 800 मीटर ऊंची सुनामी आई होगी।

दुबई स्थित हेरियट-वाट विश्वविद्यालय के डॉ. उइसडीन निकोलसन ने सबसे पहले 2022 में नादिर क्रेटर की खोज की थी। लेकिन यह क्रेटर वास्तव में कैसे बना, इस बारे में अनिश्चितता बनी हुई थी। अब डॉ. निकोलसन और उनके सहयोगियों को यकीन है कि 9 किलोमीटर का गड्ढा समुद्र तल में एक क्षुद्रग्रह के टकराने के कारण हुआ था। ये वैज्ञानिक इस घटना की सटीक तारीख नहीं बता सकते। वे यह भी नहीं बता सकते कि क्या यह मैक्सिको में 180 किलोमीटर चौड़े चिक्सुलब क्रेटर बनाने वाले क्षुद्रग्रह से पहले आया था या बाद में।

मैक्सिको पर गिरने वाले क्षुद्रग्रह ने दुनिया में डायनासोर के शासन को समाप्त कर दिया था। लेकिन इन वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष से छोटी चट्टान भी क्रेटेशियस काल के अंत में आई थी जब डायनासोर विलुप्त हो गए थे। दूसरे क्षुद्रग्रह ने पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने के बाद आग का गोला बना दिया था।

नादिर क्रेटर की कोई तस्वीर नहीं है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में गॉसेस ब्लफ़ क्रेटर ऐसा ही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 7 तीव्रता के भूकंप से पहले एक बहुत तेज हवा का विस्फोट हुआ होगा। संभवतः समुद्र तल से बहुत अधिक मात्रा में पानी निकल गया होगा,और बाद में यह पानी वापस बहकर समुद्र तल पर आया होगा,जिससे तल पर अनोखी छाप बनी होगी।

हमारे सौरमंडल से इतने बड़े क्षुद्रग्रहों का कुछ ही समय के भीतर हमारे ग्रह की ओर अग्रसर होना असामान्य घटना है। लेकिन शोधकर्ता यह नहीं जानते कि दो क्षुद्रग्रह एक साथ पृथ्वी से क्यों टकराए। नादिर क्रेटर बनाने वाला क्षुद्रग्रह लगभग 450-500 मीटर चौड़ा था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लगभग 72,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी से टकराया था। इस पैमाने की घटना के सबसे करीब 1908 में तुंगुस्का की घटना थी,जब साइबेरिया के ऊपर आसमान में 50 मीटर का एक क्षुद्रग्रह फटा था। नादिर क्षुद्रग्रह लगभग बेनू के आकार का था, जो इस समय पृथ्वी के निकट परिक्रमा करने वाला सबसे खतरनाक ऑब्जेक्ट है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नासा के अनुसार बेनू के पृथ्वी से टकराने की सबसे संभावित तिथि 24 सितंबर, 2182 है। लेकिन इस बात की संभावना अभी भी 2,700 में से 1 है। मानव इतिहास में इस आकार का क्षुद्रग्रह कभी नहीं टकराया है।

ध्यान रहे बेनू पृथ्वी के निकट का एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो लगभग हर छह साल में पृथ्वी के करीब से गुजरता है। नासा के ओसिरिस-रेक्स मिशन का लक्ष्य 4.5 अरब वर्ष पुराने इस क्षुद्रग्रह का नमूना एकत्र करना और उसे पृथ्वी पर लाना था। पृथ्वी पर लाए गए नमूने के प्रारंभिक अध्ययनों से उसमें उच्च कार्बन सामग्री और पानी के साक्ष्य मिले हैं। इनसे संकेत मिलता है कि पृथ्वी पर जीवन के निर्माण खंड संभवतः अंतरिक्ष की इस चट्टान में मौजूद हैं। ओसिरिस-रेक्स नमूना कार्बन-समृद्ध क्षुद्रग्रह का पृथ्वी पर लाया गया अब तक का सबसे बड़ा नमूना है। यह वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की जांच करने में मदद करेगा।

लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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