भारतीय मूल के दो नेताओं की जीत से ट्रम्प की फजीहत
पिछले साल ट्रंप की जीत के बाद से, डेमोक्रेट्स राजनीतिक अस्तित्व के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। इन परिणामों ने परेशान और हाशिये पर जा चुकी डेमोक्रेटिक पार्टी को 2026 के मिडटर्म चुनावों के वास्ते कैंपेन प्लेबुक का टेस्ट करने का मौका दे दिया। अमेरिकी कांग्रेस पर कंट्रोल अब दांव पर होगा।
न्यूयार्क शहर वर्ल्ड कैपिटल जैसी फीलिंग देता है। वहां से जब भी लौटा, साड्डी दिल्ली अर्द्ध शहरी और ‘सबअल्टर्न’ लगती है। इतालवी मार्क्सवादी दार्शनिक अंतोनियो ग्राम्शी ने ‘सबअल्टर्न’ शब्द को गढ़ते हुए इसका ध्यान रखा था, कि जो लोग ऐसे माहौल में रहते हैं, वो शहर कैसा होता होगा। दिल्ली गांव और शहर का मिक्सचर है। जिन्हें हम ‘सबअल्टर्न’ समझते हैं, वैसा ‘अंडरक्लास’ या ‘मार्जिनलाइज़्ड ग्रुप’ यदि दिल्ली में है, तो उसके बरक्स दिल्ली, सत्ता के गलियारों में सशक्त लुटियन वालों से लैस भी दिखती है। न्यूयॉर्क शहर सबअल्टर्न नहीं, कैपिटल और स्टेट कंट्रोल का एक बड़ा ग्लोबल सेंटर है। इसी ग्लोबल कैपिटल में 34 साल के डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ज़ोहरान ममदानी ने मंगलवार को मेयर का चुनाव जीत लिया।
मेयर का चुनाव जीते ज़ोहरान ममदानी कई कारणों से भारत-पाकिस्तान की मीडिया में चर्चा का विषय बन गए। अपनी विक्ट्री स्पीच में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को दिए गए ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ का जिक्र किया। भाषण के बाद वे अपनी पत्नी के साथ ‘धूम मचा ले’ गाने पर झूमते नजर आए। मां मीरा नायर ने मंच पर आकर उन्हें गले लगा लिया। मौके पर उनके पिता महमूद ममदानी भी मौजूद रहे। ममदानी, मानसून वेडिंग और सलाम बॉम्बे जैसी फिल्में डायरेक्ट करने वाली मीरा नायर के बेटे हैं। ज़ोहरान के पिता महमूद ममदानी युगांडा के प्रसिद्ध लेखक, और भारतीय मूल के मार्क्सवादी विद्वान हैं। ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ बना पाकिस्तान, केवल इस बात से प्रसन्न है, कि ममदानी मुसलमान हैं।
न्यूयॉर्क शहर में ट्रम्प का साम्राज्य है। फिफ्थ एवेन्यू पर ट्रम्प टॉवर, एक मिक्स्ड-यूज़ स्काईस्क्रेपर है, जो ट्रम्प ऑर्गेनाइजेशन का हेडक्वार्टर है। यह लंबे समय तक डोनाल्ड ट्रम्प का घर भी रहा है। दूसरी प्रॉपर्टीज़ में सेंट्रल पार्क वेस्ट पर ट्रम्प इंटरनेशनल होटल एंड टॉवर, और ब्रॉन्क्स में एक पब्लिक गोल्फ कोर्स, फेरी पॉइंट पर ट्रम्प गोल्फ लिंक्स शामिल हैं। ट्रम्प की भृकुटि ज़ोहरान ममदानी की जीत से तनी हुई है। मतदान से पहले ट्रंप ने मतदाताओं को चेतावनी दी थी, कि ममदानी जैसे वामपंथी के सत्ता में आने से हालात और बदतर हो सकते हैं, और मैं राष्ट्रपति होने के नाते, खराब स्थिति में पैसा नहीं भेजना चाहता। देश चलाना मेरा दायित्व है, और मेरा दृढ़ विश्वास है कि अगर ममदानी जीत गए, तो न्यूयॉर्क शहर पूरी तरह से आर्थिक और सामाजिक रूप से तबाह हो जाएगा।’
ट्रम्प को दरअसल, न्यूयॉर्क शहर की नहीं, अपनी तबाही की चिंता हो चली है। अमेरिका में मध्यावधि चुनाव, राष्ट्रपति के चार वर्षीय कार्यकाल के मध्य में होता है। 3 नवंबर 2026 को होने वाले मिड टर्म इलेक्शन में अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की सभी 435 सीटों के साथ सीनेट की 100 में 33 या 34 सीटों का भविष्य तय होना है। मध्यावधि चुनावों के दौरान 36 गवर्नर चुने जाते हैं। तब तक नगरपालिकाओं और महापौर स्तर पर भी चुनाव हो चुके होते हैं। न्यूयार्क में डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट की जीत ऐसे समय में हुई जब बिज़नेस एलीट, कंज़र्वेटिव मीडिया कमेंटेटर्स, और खुद ट्रंप ने उनकी नीतियों और उनके मुस्लिम बैकग्राउंड पर ज़ोरदार हमले किए थे। चुनाव से ठीक पहले ट्रंप ने दखल देते हुए ममदानी को ‘यहूदी विरोधी’ कहा था।
ममदानी ने अपनी जीत की स्पीच में कहा, ‘उम्मीद ज़िंदा है। न्यूयॉर्क अब ऐसा शहर नहीं रहेगा जहां कोई इस्लामोफोबिया फैलाकर चुनाव जीत सके। यह शहर, राजनीतिक अंधेरे के इस कालखंड में एक रोशनी बनेगा।’ उन्होंने एक ऐसे सिटी हॉल का वादा किया, ‘जो यहूदी न्यूयॉर्कर्स के साथ मज़बूती से खड़ा रहेगा, और एंटी-सेमिटिज्म की बुराई के खिलाफ लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा, जहां दस लाख से ज़्यादा मुसलमानों को पता होगा कि वे यहीं के हैं।’
इस बीच, वर्जीनिया में डेमोक्रेट एबिगेल स्पैनबर्गर ने गवर्नर का चुनाव आसानी से जीत लिया, और वह इस पद पर चुनी जाने वाली पहली महिला बन गईं, जबकि डेमोक्रेट ग़ज़ाला हाशमी ने मंगलवार को वर्जीनिया लेफ्टिनेंट गवर्नर की दौड़ में रिपब्लिकन लेखक और कंज़र्वेटिव टॉक शो होस्ट जॉन रीड को हराया, जिससे वह पहली दक्षिण एशियाई और पहली मुस्लिम महिला बन गईं। भारत के हैदराबाद में जन्मी हाशमी अपनी जवानी में अमेरिका चली गईं, और बाद में एमोरी यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। न्यूयार्क से लगे न्यू जर्सी में भी डेमोक्रेट मिकी शेरिल ने गवर्नर की रेस जीत ली। इन परिणामों से यह साफ़ सन्देश गया है कि ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी की हालत दिनों दिन ख़राब होती जा रही है।
पिछले साल ट्रंप की जीत के बाद से, डेमोक्रेट्स राजनीतिक अस्तित्व के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। इन परिणामों ने परेशान और हाशिये पर जा चुकी डेमोक्रेटिक पार्टी को 2026 के मिडटर्म चुनावों के वास्ते कैंपेन प्लेबुक का टेस्ट करने का मौका दे दिया। अमेरिकी कांग्रेस पर कंट्रोल अब दांव पर होगा। ट्रम्प की हालत खिसियानी बिल्ली वाली हो गई है। ट्रंप ने कुछ पोलस्टर्स का हवाला दिया, जिन्होंने हार का कारण सरकारी शटडाउन, और ट्रंप का बैलेट पर नाम न होना बताया।
अमेरिका की सेंटर स्टेज राजनीति में ममदानी का अप्रत्याशित उदय डेमोक्रेटिक पार्टी में एक सेंट्रिस्ट या लेफ्टिस्ट भविष्य को लेकर चल रही बहस को दर्शाता है, जिसमें कुछ प्रमुख राष्ट्रीय हस्तियों ने वोटिंग से पहले ममदानी का सिर्फ हल्का-फुल्का समर्थन किया था। सिराक्यूज़ यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर ग्रांट रीहर ने नतीजे से पहले कहा था, कि ममदानी को एक मुश्किल लड़ाई का सामना करना पड़ेगा। प्रोफेसर रीहर मानते हैं, कि न्यूयार्क शासन करने के लिहाज़ से बहुत मुश्किल शहर है।
ज़ोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के मेयर चुनाव में अपनी जीत जिस तरह से हासिल की है, उसे अमेरिकी सांसद बर्नी सैंडर्स के शब्दों में कहें तो, यह ‘आधुनिक अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक उलटफेरों में से एक है’। ममदानी ने सच में इतिहास रचा है, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे विविध शहरों में से एक न्यूयार्क के नागरिकों को यह समझाने के लिए उन्होंने एक अथक अभियान चलाया, कि वे उन्हें ड्राइविंग सीट पर बैठने का मौका दें। ऐसे समय में उनकी जीत दुनिया भर की प्रगतिशील ताकतों को कुछ उम्मीद भी देती है, जब दुनिया भर में धुर दक्षिणपंथी ताकतें हावी हो रही हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर ममदानी, फलस्तीन के कट्टर समर्थक हैं। पाकिस्तान का अखबार डॉन गुरुवार के सम्पादकीय में लिखता है, ‘नस्लभेदी और इस्लाम से नफ़रत करने वाले लोग भले ही आगे बढ़ रहे हों, लेकिन मिस्टर ममदानी की जीत से कुछ उम्मीद जगी है।’
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
