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नज़र के साथ ही जरूरी है नजरिये का इलाज

तिरछी नज़र
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शमीम शर्मा

कुछ लोग कहते हैं कि टोक तो लगती है और देश में टोक उतारने के लिये टोने-टोटके तो आदिकाल से ही चले आ रहे हैं। अभी हाल ही में एक वाद-विवाद करती मंडली में किसी को कहते सुना कि कांग्रेस को किसी की बुरी नज़र लग गई है। इतिहास गवाह है कि कांग्रेस के पास कितने बड़े-बड़े और बढ़िया नेता हुआ करते थे और अब नेता तो छोड़ो, कोई मुद्दे ही नहीं बचे हैं। विपक्ष के नेता कभी तो मोदी के कुर्ते-पायजामे के रेट को उछालते हैं, कभी मां का निधन होेने पर बाल न कटवाने को और कभी उनके संन्यासी हो जाने को। उस वाद-विवाद मंडली की बातचीत के आखिर में फैसला हुआ कि विरोधियों की तिरछी नज़र से बचाने के लिये कांग्रेस की नून राई करनी चाहिये। वैसे हर नज़र पर नज़र रखना ही सबसे बड़ा सुरक्षा मंत्र है। पर लोग हैं कि नीबू-मिर्च, काला टीका, काला धागा, काली हांडी आदि पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं।

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सृष्टि के सभी संबंधों में नज़र का चक्कर है। अब देखिए एक नज़र वह है जो किसी व्यक्ति को प्यार में बांध लेती है और एक नजर वह है जो देखते ही नफरत के बीज बो देती है। वैसे जिस पर ईश्वर की नज़र पड़ जाये उसके तो वारे न्यारे हो ही जाते हैं। और कोई बुरी नज़र की चपेट में आ जाए तो भाग्य पर कालिख लगते देर नहीं लगती। बड़े-बूढ़े तो हमेशा से कहते आए हैं कि बुरी नज़र तो पत्थर को भी चूर-चूर कर सकती है।

जिसे भी चार अक्षर पढ़ने आते हैं, उसने अपने जीवन में ट्रकों के पीछे लिखा अवश्य पढ़ा है कि बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला। पर वेस्टइंडीज में लिखते होंगे- बुरी नज़र वाले तेरा मुंह सफेद। मुंह काला होने का एक प्रसंग तो अहिल्या से इंद्र के छल का बताया जाता है। कहा जाता है कि इस छल में चंद्रमा की भागीदारी भी रही थी। जब गौतम ने चंद्रमा को देखा तो आगबबूला होकर उसे श्राप दे दिया कि तुझे राहु ग्रस ले। तभी से चन्द्रमा को ग्रहण लगने लगा और उस पर कालिख का दाग उभर आया। कहा जाता है कि ऐसे ही प्रसंगों के चलते कहावत बनी कि बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला। वैसे हर युग में औरतों को बुरी नज़र झेलनी पड़ी है और हर युग में कइयों का मुंह काला होता आया है।

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एक बर की बात है अक सुरजे नैं नत्थू तैं बूज्झी- हां रै भाभ्भी लेफ्टी है के? नत्थू अचम्भे मैं बोल्या- पर तन्नैं क्यूंकर बेरा? सुरजा बोल्या- तेरा दायां गाल सूज्या पड्या है।

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