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टोल सलामत मगर रास्ते नदारद

तिरछी नज़र
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असल में गड्ढे सिर्फ बरसात की देन नहीं होते, ये भ्रष्टाचार के जिंदा सबूत हैं जो हर गुजरते वाहन को यह याद दिलाते हैं कि असली गड्ढा सड़कों के नीचे नहीं, ऊपर बैठी कुर्सियों के नीचे है।

वादा तो हमसे यह हुआ था कि सड़कें गड्ढा मुक्त होंगी पर यह नहीं सोचा था कि गड्ढे ही सड़क मुक्त हो जायेंगे। ऐसी सड़कों पर चलने वालों के लिए मुआवजा देने का प्रावधान होना चाहिए। और एक गड्ढा मंत्रालय भी बनना चाहिए ताकि गड्ढों की उचित देखभाल हो सके। आज़‍ादी के 78 साल बाद भी बरसात का मौसम आते ही गड्ढों में गये हाईवे। टोल सलामत पर रास्ते गुम। सड़क चाहे बनने के दूसरे ही दिन उखड़ जाये पर स्पीड ब्रेकर पता नहीं किस घोल से बनाये जाते हैं।

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बारिशों में सड़क धंसना और यातायात ठप होना आम बात है। पर इतना तो किया जा सकता है कि सड़कों के यू-टर्न पर उन नेताओं की फोटो लगाई जा सकती है जो गुड़ने लोटे की तरह पलटी मारते हैं। सड़कों के साइन बोर्ड पर यह भी लिखा जाना चाहिये- सावधान! आगे लोग मोबाइल चला रहे हैं।

असल में गड्ढे सिर्फ बरसात की देन नहीं होते, ये भ्रष्टाचार के जिंदा सबूत हैं जो हर गुजरते वाहन को यह याद दिलाते हैं कि असली गड्ढा सड़कों के नीचे नहीं, ऊपर बैठी कुर्सियों के नीचे है। सरकारें बदलती हैं, मंत्री बदलते हैं, अफसर बदलते हैं लेकिन गड्ढे? मजाल है कि टस से मस हों।

और फिर प्रारंभ होता है मरम्मत का सिलसिला। सड़क की मरम्मत के बहाने ठेकेदारों की तिजोरी की मरम्मत होती है। हर साल करोड़ों का बजट पास होता है, सड़क निर्माण की फाइलें मोटी होती जाती हैं, लेकिन सड़कों की परतें पतली। सड़क बनते-बनते ठेकेदार की नई गाड़ी, इंजीनियर का नया बंगला बनने लगता है।

जब तक जनता यह नहीं समझेगी कि गड्ढे केवल सड़कों पर नहीं, उनके अपने वोट और चुप्पी में भी हैं तब तक यह देश बस वादों के ब्रॉशर में चमकेगा और हकीकत में गड्ढों में ही डूबा रहेगा। सड़क का नहीं, सोच का गड्ढा भरना होगा।

हर गड्ढा यह गवाही देता है कि भ्रष्टाचार का असली गड्ढा सड़कों से गहरा है। इस गड्ढे को रोड़ी और तारकोल से नहीं बल्कि ईमानदारी और जवाबदेही से ही भरा जा सकता है। अगर ऐसा न हुआ तो आने वाले दिनों में नेताओं के भाषणों की चिकनी, चौड़ी और चमचमाती दिखाई देने वाली सड़कें खंडहर होकर राष्ट्रीय धरोहर में सम्मिलित हो जायेंगी। एक मनचले का कहना है कि सड़क के गड्ढे में कोई टूटा हुआ सिम दिख जाये तो समझ जाना कि कोई ससुराल चली गई।

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एक बर की बात है अक रामप्यारी मास्टरनी बोल्ली- बालको! न्यूं बताओ कै तेज हवा के गैल्यां बारिश हो री है, इसका भविष्य काल के होगा? नत्थू बोल्या- इसका भविष्य काल बणैगा अक ईब लाइट जावैगी।

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