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धुन में ताल तो होगी पर दिल में धड़कन नहीं

तिरछी नज़र
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जो दर्द और कसक किसी रचना को अमर बनाती है, वह मशीन के कोड में नहीं बल्कि लेखक के हृदय में होती है। एआई के पास शब्द हैं, पर आत्मा नहीं।

आज सबसे बड़ी जंग रूस-यूक्रेन की या परमाणु बमों की नहीं है। न ही कोई चुनावी जंग से डरता है, न महंगाई या बेरोजगारी के प्रहारों से। सबसे भीषण युद्ध आज के दिन रचनात्मकता का है। यह लड़ाई सिर्फ कलम तक सीमित नहीं है, यह कला के हर मोर्चे पर लड़ी जा रही है। तो क्या क्रिएटिविटी खतरे में है क्योंकि आज चारों ओर एआई का जलवा है।

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हाथ में कलम पकड़ने वाले हमारे पुराने कवि और लेखक आज टेंशन में हैं। बाजार में एआई नाम का एक धाकड़ खिलाड़ी आ गया है। एक झटके में कविता लिख देता है, सेकंडों में कहानी गढ़ देता है और मिनटों में पूरा उपन्यास रचने की हिम्मत रखता है। अब वह संगीत की धुन बनाता है, गाने के बोल तैयार करता है। एक क्लिक पर यह शिल्पकारी के मॉडल बना देता है, चित्रकारी के लिए नये से नये विचार देता है। फोटोग्राफी के लिए परफेक्ट कंपोजिशन बताता है और नृत्य की ताल, मुद्राएं और कोरियोग्राफी भी एआई की भेंट चढ़ गई है। पर यह सच है कि एआई की धुन में ताल तो होगी पर दिल की धड़कन नहीं, चित्र में रंग तो होंगे पर आंसुओं की नमी नहीं। इसे दुःख-सुख, प्रेम-विरह, संघर्ष और हार-जीत के मतलब नहीं पता। यह सिर्फ इतना जानता है कि शब्दों और रंगों को कहां और कैसे चिपकाना है।

यह हमारे दिल तक पहुंच जाता है, पर दिल से नहीं लिखता। एआई की कहानी में भूकम्प का वर्णन होगा पर उस दर्द की थरथराहट नहीं होगी जो एक इंसान महसूस करता है। वह हमारी भूख और पसीने को अनुभव नहीं कर सकता। क्या एआई कभी हल्कू की ठंडी रातें, होरी की बेबसी और बूढ़ी काकी की उपेक्षा को महसूस कर पायेगा?

आज मुंशी प्रेमचंद और महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकार जीवित होते तो सोचते कि उनकी ‘गोदान’ और ‘यामा’ को लिखने वाली कलम को आज एक अदृश्य एआई चुनौती दे रहा है। यह वह दौर है जहां रचनात्मकता का सिंहासन डगमगा रहा है और हम सब यह जानने को उत्सुक हैं कि इस डिजिटल जादू के सामने, मानवीय कल्पना का भविष्य क्या होगा?

जो दर्द और कसक किसी रचना को अमर बनाती है, वह मशीन के कोड में नहीं बल्कि लेखक के हृदय में होती है। एआई के पास शब्द हैं, पर आत्मा नहीं। वह मानवीयता की छाप कभी नहीं दे सकता। इसलिये कलम का राजा हमेशा इंसान रहेगा!

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एक बर की बात है अक नत्थू ताहिं एआई टकर ग्या तो नत्थू बोल्या-घणां तीस मारखां बण रह्या तो बता पिजा की हरियाणवी के है? एआई तपाक दे सी बोल्या- सब्जी-पनीर आली रोट्टी।

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