Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

‘आयुष्मान’ पर केंद्र व दिल्ली सरकार में घमासान

स्वास्थ्य नीति पर विवाद
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

आयुष्मान योजना को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद जारी है। दिल्ली सरकार आयुष्मान योजना लागू करने में हिचकिचा रही है। दिल्ली सरकार अपनी मौजूदा स्वास्थ्य योजनाओं को प्राथमिकता देती है, जबकि केंद्र का कहना है कि यह योजना दिल्लीवासियों के लाभ के लिए है।

ज्ञानेन्द्र रावत

Advertisement

आयुष्मान योजना को लेकर केन्द्र और दिल्ली की आप सरकार के बीच विवाद स्पष्ट रूप से दिखता है। हालांकि यह विवाद मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा है, परन्तु यह केवल इस योजना तक सीमित नहीं है। दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के बीच पिछले एक दशक में कई अन्य जनहितकारी योजनाओं पर भी मतभेद सामने आए हैं। दोनों सरकारों के बीच यह टकराव राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से बढ़ता ही जा रहा है, जिससे जनता को योजनाओं का लाभ उठाने में कई बार असमंजस का सामना करना पड़ता है।

आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोप है कि वह आयुष्मान योजना को लागू नहीं कर रही, जिससे दिल्ली के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा सांसदों द्वारा दायर जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की।

कैसी विडम्बना है कि सरकार जन कल्याण के हित को नजरंदाज कर राजनीतिक विचारधाराओं के टकराव का रास्ता अख्तियार कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल ने खुद विधानसभा में घोषणा की थी कि वे आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री आरोग्य योजना को खुद लागू करेंगे। लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया। इसके पीछे आप की राजनीतिक जिद है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर 6.5 लाख से अधिक पात्र परिवारों और 70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को केंद्र की आयुष्मान योजना से वंचित कर रही है। इसके विपरीत, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि उनकी सरकार पहले से ही दिल्लीवासियों को मुफ्त इलाज दे रही है और स्वास्थ्य सुविधाएं उनकी प्राथमिकता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आयुष्मान योजना लागू करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे दिल्ली सरकार की मौजूदा योजनाओं को बंद नहीं करना चाहते, क्योंकि दोनों योजनाओं में कुछ विरोधाभास हैं।

आयुष्मान योजना में कुछ शर्तें और श्रेणियां हैं, जिनके तहत यदि किसी परिवार के पास फ्रिज, दोपहिया वाहन या पक्का मकान हो, तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा, आयुष्मान योजना में एक परिवार के लिए प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक इलाज की सीमा तय की गई है। यदि एक परिवार में दो लोग बीमार होते हैं, तो अतिरिक्त खर्च उन्हें अपनी जेब से करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, यदि इलाज का खर्च 10 लाख रुपये है, तो पांच लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान परिवार को करना होगा। इसके विपरीत, दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य योजना में कोई खर्च सीमा नहीं है। दिल्ली सरकार आयुष्मान योजना के साथ अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को लागू करने पर काम कर रही है, ताकि दोनों योजनाओं के लाभ एक साथ नागरिकों को मिल सकें और इसमें कोई व्यवधान न आये।

आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना का लाभ लेने के लिए कुछ विशेष मानदंडों की पूर्ति जरूरी है, जबकि दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य योजना में सरकारी अस्पतालों में गरीब से लेकर अमीर तक, सभी को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है, बिना किसी खर्च सीमा के। अगर दिल्ली सरकार को आयुष्मान योजना लागू करने की वास्तविक इच्छा होती, तो यह योजना पहले ही लागू हो चुकी होती। दिल्लीवासियों को चाहे केंद्र की योजना हो या राज्य की, दोनों से लाभ मिल सकता था। मुख्यमंत्री का यह कहना कि वे आयुष्मान योजना लागू करना चाहते हैं, इसे समझना मुश्किल है, क्योंकि यह लोकहितकारी नीति के खिलाफ लगता है।

गौरतलब है कि अक्तूबर, 2024 तक केन्द्र शासित प्रदेश सहित देश के अन्य 36 राज्यों में से 33 में इस योजना को लागू किया जा चुका है। दिल्ली में इस योजना को लागू करने में आप पार्टी ना-नुकर करती रही है। इसके पीछे उसके कुछ तर्क हैं। जिसके परिणामस्वरूप करीब 5 लाख लक्षित लाभार्थी इस स्वास्थ्य कवर से वंचित हैं जो उन्हें पंजीकृत सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के विशाल नेटवर्क में देखभाल में होने वाले भारी खर्चे से बचायेगा।

दरअसल, इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि आयुष्मान योजना के संचालन में 60-40 का अनुपात है। यानी इसमें 60 फीसदी हिस्सा केन्द्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करेगी। दिल्ली में यदि यह योजना लागू होती है तो केन्द्र 47 करोड़ दिल्ली को देता। जबकि दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा पहले से ही प्रदान कर रही है। उस दशा में वह आयुष्मान योजना के तहत 40 फीसदी अंशदान क्यों दे।

यह भी जान लें कि आयुष्मान योजना के तहत कुछ विशिष्ट बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसके विपरीत, दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य योजना में किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज पर कोई विशेष बाध्यता नहीं है।

सच तो यह है कि आयुष्मान योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों यानी बीपीएल धारकों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। भाजपा सांसदों की मानें तो दिल्ली में इस योजना को लागू न करना उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन है जबकि दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली वासियों के लिए आयुष्मान योजना किसी भी दृष्टि से लाभदायक नहीं है।

बहरहाल, यह मसला दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। इसे यदि यूं कहें कि यह मुद्दा पूरी तरह राजनीति प्रेरित है। इसमें इतना जरूर है कि यदि किसी योजना में जनता का भला होता है तो उसमें बाधक नहीं बनना चाहिए। जनता का हित किसी भी तरह, कैसे भी हो और वह किसी भी योजना के तहत हो, सरकारों को उसे स्वीकार करना चाहिए। उसमें बाधक बनना किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

Advertisement
×