बरसात के मौसम में हर बार की तरह इस बार भी हमारे सड़क मार्ग जल मार्ग में परिवर्तित हो गए हैं। विकास के पथ पर गांवों का शहरों से संपर्क स्थापित होने ही वाला था और वह होने से पहले ही टूट भी चुका है। हम भारत के लोग बाढ़ और सूखे का एक साथ सामना कर रहे हैं। देश में कई नदियां उफान पर हैं, तो अनेक जगह लोग बूंदों को ही तरस रहे हैं। एक क्षेत्र में अत्यधिक पानी सप्लाई करने और एक क्षेत्र में जलप्रदाय रोक देने का यह भेदभावपूर्ण कार्य आपके विभाग द्वारा किया जा रहा है। बारिश का अधिक होना ‘बाढ़ पैकेज’ और बिल्कुल न होना ‘सूखा पैकेज’ लाता है। बाढ़ हो या सूखा, दोनों ही पैकेज पीड़ित तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में भटक जाते हैं। बाढ़ और सूखा पीड़ितों का कोई पता ही नहीं होता।
बारिश की तलाश में हमने कितने ही मेढक-मेढकी के ब्याह करवा कर घर बसा दिए। हमने बारिश को बुलाने के लिए क्या कुछ नहीं किया, पहले यह आ नहीं रही थी और अब जब आई है तो आती ही जा रही है। आपके विभाग में भी पानी की टंकी भर जाने के बाद भी मोटर बंद करने का कोई सिस्टम नहीं है क्या? यह पानी सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बरसा दिया जाता तो क्या जाता? इससे तो एक बात साफ होती है कि आपके बाबू लोग भी हमारे जल विभाग के कर्मचारियों की तरह साहब लोगों की वीआईपी कॉलोनी में एक घण्टे नल देते हैं और बस्ती में महज 10 मिनट ही पानी छोड़ा जाता है। आपके वहां से तो हम समानता की उम्मीद कर ही सकते हैं न?
प्रभु, जहां सूखा है वहां भी परेशानी कम न है। सूखा प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन इस बात से परेशान है कि वे कागज पर पेड़ लगा सकते हैं, पुल बना सकते हैं, मगर बारिश नहीं दर्शा सकते। यह बात स्वर्गलोक सचिवालय को समझनी होगी। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश के आने में देरी हुई तो विकास कार्यों की पोल स्वतः ही खुल जाएगी। यहां बारिश से पहले ही सड़क उखड़ गई तो सिस्टम कितना बदनाम होगा? बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की घटिया क्वालिटी की सड़कों को ही बाढ़ में बहने का इनाम क्यों मिले, ऐसे तो फिर सूखा प्रभावित क्षेत्रों के ठेकेदार भूखे ही मर जायेंगे। यहां भी पुलिया में भ्रष्टाचार की दरारें दिखने लगी हैं, इसे अपने साथ बहा ले जाने के बहाने ही बारिश को यहां भी भेज दीजिये। वहां मंडियों में अनाज भीगने को खुले में अब तक इंतजार कर रहा है, डेंगू-मलेरिया के मच्छर याचक मुद्रा में भिनभिना रहे हैं, पैथोलॉजी लैब बरसाती बीमारी के रूप में प्रैक्टिस मैच खेलने को लालायित है।
आपको इन सूखे क्षेत्रों के शॉपिंग मॉल में चल रही मानसून सेल की कसम कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की बारिश अब सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भेजने की मेहरबानी कीजिये।