मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

आसमानी कामयाबी से ईर्ष्या की मारी दुनिया सारी

व्यंग्य/तिरछी नज़र
Advertisement

सहीराम

यह कहानी एकदम नटवरलाल स्टाइल में सुनायी गयी थी कि वह कयामत की रात थी। जब भारत की सेना धड़धड़ाती पाकिस्तान में घुस गयी और उसने लाहौर तथा इस्लामाबाद समेत उसके सभी प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया। बचे हुए पाकिस्तान को उसने बलोच लड़ाकों के लिए छोड़ दिया था कि यह तुम्हारा। यह कयामत की वह रात थी जब कराची बंदरगाह को तबाह कर दिया गया था, जब शहबाज शरीफ बंकर में जाकर घुस गया था और सेनाध्यक्ष असीम मुनीर के खिलाफ विद्रोह हो गया था। सारी दुनिया भारत की ताकत देख हतप्रभ थी। अमेरिका तथा इस्राइल तो ईर्ष्या से जलकर खाक हो गए थे।

Advertisement

अमेरिका के विदेशमंत्री रूबियो ने ट्रंप से कहा- हुजूर ज्यादा टैरिफ-टैरिफ मत चिल्लाइए। भारतीयों का कुछ भरोसा नहीं कि कब वाशिंगटन और न्यूयार्क पर कब्जा कर बैठें। ट्रंप साहब ने अपने रक्षामंत्री को लानत भेजी कि मुझे टैरिफ में उलझा दिया और खुद मजे कर रहे हो। जब भारत लाहौर और इस्लामाबाद पर कब्जा कर सकता है तो तुमने अभी तक चीन और रूस पर कब्जा क्यों नहीं किया। क्या अमेरिका ऐसे फिर से महान बनेगा? अमेरिका आखिर अमेरिका है। वह दुनिया का दरोगा है और दरोगा कुछ नहीं कर पा रहा। देखो भारत ने क्या चमत्कार कर दिया। रूबियो को चिंता हुई-हुजूर दरोगा पद से निलंबित तो नहीं हो जाएंगे।

उधर अमेरिका के सारे पूर्व राष्ट्रपति ग्लानि में डूबे हुए एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे थे। बुश ने कहा- मुझे बड़ी शर्म आ रही है कि मैं अफगानिस्तान नहीं जीत पाया। इस पर निक्सन की आत्मा का रुदन सुनाई दिया- तो क्या हुआ, मैं वियतनाम नहीं जीत पाया था। ओबामा माथा पीट रहे थे- हम कहीं नहीं जीत पाते। न वियतनाम जीत पाए, न इराक जीत पाए, न अफगानिस्तान जीत पाए। लानत है और देखो भारत एक के बाद एक पाकिस्तान के सारे शहरों को जीतता चला गया। उधर नेतन्याहू ने अपने जनरलों को हड़काया-एक पिद्दी से गाजा पर तुम्हारा कब्जा नहीं हो पा रहा और देखो भारत ने सारा पाकिस्तान जीत लिया।

उधर चीन के जनरल शी जिनपिंग को समझा रहे थे- सर जी अब डोकलाम-वोकलाम की तरफ देखना भी मत। ज्यादा करो तो अरुणाचल की जगहों के नाम बदल दो। उन्होंने वही किया। इधर भारत में जैसे ही किसी शहर पर कब्जा होता, एंकर एंकरनियां अपने बच्चों को फोन करते- तुमने कितने वीडियो गेम जीते। बच्चे बताते एक-दो, चार। एंकर एंकरनियां बच्चों को चिढ़ाते- हमने पच्चीस जीत लिए। टीवी चैनलों की इस विजय यात्रा से घबराए अखबारों के संपादकों ने मीटिंग बुलाई- एक आध शहर तो हमें भी जीतना ही चाहिए। नहीं क्या?

Advertisement
Show comments