सोशल मीडिया पर एक संदेश पढ़ा। लिखा था कुछ लोग इज्जत देने के नहीं, जहर देने के काबिल होते हैं। कितनी पीड़ा, कितना आक्रोश, कितनी असहिष्णुता व कितनी नफरत भरी हुई है इस छोटे से संदेश में। प्रश्न उठता कि क्या कोई भी व्यक्ति जो इज्जत देने के काबिल न हो उसे केवल जहर ही दिया जा सकता है? क्या जहर देना ठीक है? क्या यह संभव है? बहुत सारे प्रश्नों के बीच बहुत पहले कई बार पढ़ी हुई एक चीनी लोककथा याद आ गई। एक लड़की शादी के बाद अपनी ससुराल पहुंची। उसकी सास बहुत ही सख्त स्वभाव वाली एक बेहद खराब औरत थी जिसके कारण उसका जीना मुश्किल हो गया। वह बहुत दुखी रहने लगी और हर समय उससे छुटकारा पाने के बारे में सोचती रहती। एक बार जब वह अपने मायके आई तो उसने अपने घरवालों व पड़ोसियों को अपनी सास के व्यवहार के बारे में बताया।
उसके पड़ोस में रहनेवाले एक समझदार व्यक्ति ने जब उसकी सास की दुष्टता के बारे में सुना तो उसने कहा कि वह उसे उसकी सास से छुटकारा दिला सकता है। कैसे? लड़की के ये पूछने पर उस व्यक्ति ने उसे एक डिब्बे में चूर्ण जैसा कोई पदार्थ देते हुए कहा कि इसमें एक धीमा जहर है। इसमें से रोज थोड़ा-थोड़ा अपनी सास के खाने में मिला देना। वह कुछ ही महीनों में मर जाएगी और तुझे उससे छुटकारा मिल जाएगा। तुम्हारी सास व अन्य लोगों को तुझ पर शक न हो इसलिए इस दौरान अपनी सास की खूब इज्जत करना और उसका कहना मानना। उसे रोज अच्छा-अच्छा खाना बनाकर खिलाना। लड़की खुशी-खुशी ये सब करने को तैयार हो गई। लड़की जब पुनः अपनी ससुराल पहुंची तो उसने वैसा ही किया जैसा उसके पड़ोस में रहने वाले समझदार व्यक्ति ने कहा था।
वह अपनी सास की खूब इज्जत करती और उसे अच्छे से अच्छा खाना बनाकर व उसमें पड़ोसी का दिया हुआ ‘जहर’ डालकर प्रेमपूर्वक खिलाने का नाटक करती। लेकिन पुत्रवधू की इस काल्पनिक सेवा और सम्मान से सास का मन बदल गया। उसके नाटकीय व्यवहार ने उसका दिल जीत लिया। वह सचमुच अपनी पुत्रवधू से प्यार करने लगी। अपनी सास के प्यार के कारण लड़की भी अपनी सास की और अधिक सेवा व सम्मान करने लगी। दोनों को ही एक दूसरे से बेहद प्रेम हो गया और वह इतना अधिक बढ़ गया कि वे एक-दूसरे के बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकती थीं। लड़की ये सोचकर कि जहर के प्रभाव से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी, दुखी रहने लगी। पर अब वह किसी भी तरह से अपनी सास को खोना नहीं चाहती थी।
लड़की पुनः एक दिन अपने मायके गई और पड़ोस में रहनेवाले समझदार व्यक्ति से कहा, ‘अब मैं अपनी सास को प्यार करने लगी हूं। मैं उसके बिना नहीं रह सकती। आप किसी भी तरह से मेरी सास को बचा लीजिए।’ पड़ोसी ने कहा कि तुम्हारी सास को कुछ नहीं होगा क्योंकि मैंने जो चीज दी थी वह जहर नहीं, स्वास्थ्यवर्धक औषधि थी। जहर तो तुम्हारे मन में था जो सास के प्रति तुम्हारे अच्छे व्यवहार और सेवाभावना के कारण प्यार में बदल चुका है।’ ये सुनकर लड़की की जान में जान आई। तो ऐसा होता है सम्मान और देखभाल का प्रभाव। जहर देकर हम लोगों से छुटकारा नहीं पा सकते लेकिन किसी का दिल जीतकर उसे अपना बना सकते हैं। उसे इतना करीब ला सकते हैं कि उससे दूर होने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पर क्या लोगों का दिल जीतना इतना सरल है?
हम ईंट का जवाब पत्थर से देने के अभ्यस्त हैं लेकिन किसी का जीवन लेने से हमारी किसी भी समस्या का समाधान होना संभव नहीं। हम जब भी किसी को जहर देने का इरादा करते हैं तो हम सबसे पहले अपने अनिष्ट की भूमिका लिखते हैं। यदि हम किसी को मारने के लिए जहर की व्यवस्था करते हैं तो उसे अपने पास संभालकर रखते हैं। यदि उसका उपयोग (दुरुपयोग) नहीं कर पाते तो हम उसे अपने पास रखने को अभिशप्त होते हैं। लेकिन यदि हमें किसी को जहर देने की बजाय उसे फूल देने हों तो? यदि हम किसी को उपहार में देने के लिए गुलदस्ता लेने जाएंगे तो हमें चोरी-चोरी जाने की जरूरत नहीं। जब फूल खरीदने जाएंगे तो वहां रखे विभिन्न प्रकार के फूलों को देखकर प्रसन्नता ही होगी। गंध भी हमारा स्वागत करेगी।
जहां तक ज़हर की बात है चाहे वह भौतिक रूप में हो अथवा मानसिक रूप में, यदि उसे कोई अन्य स्वीकार नहीं करता है तो वह हमारे पास ही बना रहता है और जीवनभर हमें मारता रहता है। इसके विपरीत यदि हम किसी को फूल भेंट करते हैं तो अस्वीकृति का प्रश्न ही नहीं उठता और यदि कोई उन्हें अस्वीकार कर भी देता है तो वे हमारे पास रहेंगे और हमें प्रसन्नता ही प्रदान करते रहेंगे। जब हम किसी के लिए कोई उपयोगी अथवा सार्थक उपहार खरीदते हैं तो उपहार पाने वाले की खुशी बढ़ जाती है और उस उपहार के स्वीकार न करने पर वह हमारे काम भी आ सकता है लेकिन एक अनुपयोगी व निरर्थक उपहार न तो किसी के काम ही आ सकता है और न किसी को प्रसन्नता ही प्रदान कर सकता है।
ऐसे में प्रेमपूर्ण व्यवहार व देखभाल से किसी व्यक्ति और स्वयं की नफरत का ही गला घोंट दिया जाए तो अधिक श्रेयस्कर होगा।