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रोजगार बढ़ाने को वरीयता दे नयी सरकार

अवसरों की चुनौती
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जयंतीलाल भंडारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी एनडीए गठबंधन सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती नौकरियों और रोजगार अवसरों में वृद्धि करने की है। फ्रांस के कॉर्पोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंक नेटिक्सि एसए द्वारा प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जिस तेजी से युवा रोजगार के लिए तैयार होकर श्रम शक्ति (वर्क फोर्स) में शामिल हो रहे हैं, उसको देखते हुए भारत को 2030 तक प्रति वर्ष 1.65 करोड़ नई नौकरियों की जरूरत होगी। इसमें से करीब 1.04 करोड़ नौकरियां संगठित सेक्टर में पैदा करनी होंगी। जबकि पिछले दशक में सालाना कुल 1.24 करोड़ नौकरियां ही पैदा हो सकी थीं। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में तेजी को बरकरार रखने के लिए सर्विसेज से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक सभी सेक्टर्स को नई रफ्तार से बढ़ावा देना होगा। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार वर्ष 2022 में भारत की कुल बेरोजगार आबादी में से 83 फीसदी बेरोजगार युवा थे। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत की कुल श्रम शक्ति की भागीदारी दर मात्र 58 प्रतिशत है, जो भारत के एशियाई समकक्ष देशों की तुलना में बहुत कम है।

पिछले दस वर्षों में संघ लोक सेवा आयोग, रेलवे भर्ती और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने जो भर्तियां की हैं, वे रिक्त पदों की तुलना में कम बहुत हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन (एनएसओ) द्वारा जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) आंकड़ों के अनुसार भारत के शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गई है, जो इसके पहले की तिमाही में 6.5 प्रतिशत थी। शहरी बेरोजगारी पिछली चार तिमाही के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 15 साल से अधिक उम्र में बेरोजगारी की दर जनवरी-मार्च, 2023 की तिमाही के 6.8 प्रतिशत के बाद सर्वाधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार युवा बेरोजगारी स्तर बढ़ा है और यह बीती तिमाही के 16.5 प्रतिशत से बढ़कर चौथी तिमाही में 17 प्रतिशत हो गया।

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अब नयी सरकार द्वारा देश में असंगठित सेक्टर लघु एवं मध्यम उद्योगों और गिग वर्कर्स की चिंताओं पर भी ध्यान दिया जाना होगा। जून, 2022 में प्रस्तुत नीति आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के 77 लाख लोग इस समय गिग इकॉनमी का हिस्सा हैं। अनुमान है कि 2029-30 तक इनकी संख्या 2.35 करोड़ हो जाएगी। गिग वर्कर्स के लिए बड़ी समस्या नौकरी जाने का खतरा और प्रोविडेंट फंड, हेल्थ इंश्योरेंस और सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलना है। देश में रोजगार के मद्देनजर महिलाओं की स्थिति भी अच्छी नहीं है। नैसकॉम के मुताबिक भारत के प्रौद्योगिकी कार्यबल में केवल 36 फीसदी महिलाएं हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों में महिलाओं की भागीदारी केवल 14 फीसदी है।

नि:संदेह, पिछले 10 वर्षों में जिस तरह नई पीढ़ी द्वारा स्वरोजगार के मौके मुट्ठी में लिए जा रहे हैं, उनकी रफ्तार बढ़ाई जानी होगी। एक शोध के अनुसार पिछले वर्षों में ऋण-आधारित हस्तक्षेपों और सरकार-आधारित हस्तक्षेपों का अध्ययन किया है। जहां ऋण-आधारित हस्तक्षेपों ने प्रतिवर्ष औसतन 3.16 करोड़ रोजगार जोड़े हैं, वहीं सरकार-आधारित हस्तक्षेपों से प्रतिवर्ष 1.98 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं। सामान्यतया एक लोन पर औसतन 6.6 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सूक्ष्म कर्ज का इस्तेमाल स्थिर और टिकाऊ रोजगार सृजन के लिए किया जा रहा है। इस शोध अध्ययन में रोजगार व स्वरोजगार से संबंधित 12 केंद्रीय योजनाओं को शामिल किया गया है। इनमें मनरेगा, पीएमजीएसवाई, पीएमईजीपी, पीएमए-जी, पीएलआई, पीएमएवाई-यू, और पीएम स्वनिधि जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं। इस शोध अध्ययन के मुताबिक पिछले दस वर्षों में ऋण अंतराल यानी जीडीपी के अनुपात में कर्ज के अंतर में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।

नि:संदेह, नयी पीढ़ी को उच्च गुणवत्ता के नए कौशल के साथ सुसज्जित किया जाना होगा। खासतौर से डिजिटल इकोनॉमी के तहत ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी, डेटा साइंस, कंटेंट क्रिएशन, ब्लॉकचेन मेटावर्स, नेटवर्किंग, रिलेशनशिप बिल्डिंग, डिजिटल लिटरेसी, इमोशनल इंटेलिजेंस ग्रोथ और क्रिटिकल थिंकिंग से जुड़े रोजगार अवसर तेजी से बढ़े हैं। नए स्टार्टअप्स से युवाओं के लिए लाखों रोजगार के मौके बन रहे हैं। देश की नई प्रतिभाशाली पीढ़ी के बल पर देश स्टार्टअप और सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामर्थ्यवान देश के रूप में उभर रहा है।

अब भाजपा के तीसरे कार्यकाल में देश में वैश्विक क्षमता केंद्रों की (जीसीसी) स्थापनाओं की रफ्तार तेजी से बढ़ाकर नए तकनीकी कौशल वाले युवाओं के लिए रोजगार के अधिक मौके सृजित करने की डगर पर आगे बढ़ना होगा। उच्च कौशल, कम लागत, प्रतिभा और मूल्य निर्माण जैसी भारत की विशेषताएं दुनिया में अधिक प्रचारित-प्रसारित कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में और ज्यादा जीसीसी स्थापित करने के लिए प्रेरित करना होगा। नैसकॉम-जिनोव की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में भारत तकरीबन 1600 जीसीसी की मेजबानी कर रहा है, जिसमें उच्च कौशल प्रशिक्षित 16.6 लाख लोग कार्यरत हैं। भारत 2025 तक 1,900 से ज्यादा जीसीसी वाला देश बनने की ओर बढ़ रहा है, जिसमें 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।

लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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