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लोभ का लिंक और भय का भूत

तिरछी नजर

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आदमी अपने भीतर छुपे लोभ और भय के भूत से डरकर स्वयं ही साइबर के जाल में फंसता है। तुलसीदास जी ने मानस में कहा है—काम क्रोध मद लोभ सब, नाथ नरक के पंथ।

साइबर अपराधी मृत्यु के बाद यमलोक पहुंचा। यमराज ने क्रोध से घूरते हुए कहा, ‘अरे अधम! तूने धरती पर लोगों को जाल में फंसा कर उनका धन लूटा है। तेरे लिए तो अब नरक की यातना तय है।’

साइबर अपराधी हाथ जोड़कर बोला, ‘हे महाराज, आप न्याय के देवता हैं। कम से कम अपनी बात कहने का मौका तो मुझे दीजिए। वहां हमारी धरती पर तो मेरी सजा के खिलाफ मैने अंतिम अदालत तक टक्कर ली थी। अंतिम फैसला आने से पहले ही बूढ़ा होकर मृत्यु को प्राप्त हो गया। आपकी तो उससे भी ऊंची अदालत है। आप बिना सुनवाई के ही मुझे यातनागृह के लिए फारवर्ड कर रहे हैं!’

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यमराज को बात में तर्क दिखाई दिया। बोले, ‘ठीक है, कहो क्या कहना चाहते हो?’

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अपराधी ने कहना शुरू किया, ‘हे यमराज जी, आदमी अपने भीतर छुपे लोभ और भय के भूत से डरकर स्वयं ही साइबर के जाल में फंसता है। तुलसीदास जी ने मानस में कहा है—काम क्रोध मद लोभ सब, नाथ नरक के पंथ। यानी नरक यातना के लिए लोभ एक अतिरिक्त योग्यता है। लोभ को पाप का ‘जनक’ कहा गया है, तो भय को मन का भूत। अगर यह दोनों खोट मनुष्य में नहीं हो तो वह साइबर अपराधी के ‘जनक के जनक’ के भी जाल में नहीं फंस सकता है।

थोड़ा बड़ा होने पर किताबें तो नैतिक कर्तव्य और आचरण की बातों से भरी मिली। पर असल जिंदगी में लोभ और भय का लाइव डेमो चलता मिला। जिस दिन दफ्तर में अफसर छाती पर खड़ा हो उस दिन काम फास्ट मोड पर रन करता मिला और जिस दिन बॉस छुट्टी पर हो उस दिन स्लो मोड पर या हैंग मिला। सुविधा शुल्क मिलते ही फाइलें हाई स्पीड इंटरनेट–सी दौड़ने लगीं। जहां नोटिस और चार्जशीट मिलने की आशंका हुई, वह काम अलर्ट मोड पर आ गया और जिसमें कोई फर्क न पड़े सिवाय आम आदमी के, वह फाइल पनौती मानकर लाल बस्ते में बांधकर सहेज दी गई।

हे यमराज जी, अपनी ही दुर्बलता के कारण मनुष्‍य डिजिटल अरेस्ट हो जाता है, मेरे कारण नहीं। मुफ्त की राशि खाते में लाने की चाह में ओ.टी.पी. मेरे कारण नहीं, वरन‍् अपने लोभ के वशीभूत हो राजी–राजी बता देता है। फिर चाहे खाता खाली हो या मोबाइल हैक। आदमी यह भी नहीं सोचता कि आखिरकार मुफ्त में कौन किस को देता है?

शा‍दियों का सीजन शुरू हो गया है। सुना है—निमंत्रण पत्र पाने की चाह या किसी अज्ञात सुंदरी के दर्शन और संवाद के लोभ से वशीभूत हो कई बंदों ने बिना सोचे-समझे उस लिंक पर क्लिक करके अपना कर्तव्य निभाया है और बेलेंस को खाते में रखने की सजा पाई है।’

साइबर अपराधी की तर्कसंगत बातें सुनकर यमराज सोच में पड़ गए और अपने दूतों से बोले, ‘धरती पर कहीं न कहीं सिस्टम एरर तो है। इस अपराधी को फिलहाल विचाराधीन कोठरी में रखो।’

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