रसोई तो है पर वो सुगन्ध कहां गई
शमीम शर्मा
रसोई से उठती और हवाओं में घुलती हलवे की खुशबू और कढ़ी के छौंक की सुवास नाक भूलती ही जा रही है। सिलबट्टे की ताजा चटनियों को सॉस की बोतलें निगल गई हैं। अपने लहसुन-अदरक अब जिंजर-गारलिक पेस्ट बन चुके हैं। घर पर बने पापड़-मंगोड़ी तो मानो पानी भरने चले गये हैं।
रसोई अब महकती नहीं, चमकती है। वहां घी-तेल मेें हींग-जीरा नहीं छौंका जाता, बस ग्रेनाइट पोंछा जाता है। चूल्हे की जगह इंडक्शन है, रोटी की जगह जैम और टोस्ट है। स्वाद की जगह कैलरी की गिनती है। पहले रसोई पकाने के लिये हुआ करती और अब दिखाने के लिये। आज की रसोई को चौका नहीं कह सकते क्योंकि अब वह स्टाइलिश, मॉड्यूलर और ब्रांडेड हो चुकी है। इनमें पेट की बजाय पोस्ट के लिये डिश पकती हैं।
रसोई में खाने से ज़्यादा बहाने बनते हैं- आज बहुत थक गई थी, जूम कॉल पर थी। अब यह सुनने में नहीं आता कि अरे बहू आज क्या बनाया है? बहूरानी तो बस आर्डर करती है, शैफ बनाता है और स्वीगी ले आता है। नतीज़ा यह हुआ कि डिलीवरी ब्वाय घर का सदस्य बन गया है। रसोई में अब प्यार नहीं बस डाइट चार्ट टंगे हैं। और चीनी या नमक जो कभी ज़्यादा हो जाया करता था, आज वह रिश्ता फीका हो गया है।
पहले अचार के मर्तबान तक धूप में बैठते थे और अब मां के पास बच्चों के पास बैठने का ही वक्त नहीं बचा। एक मां वह थी जो बच्चों की दाल की कटोरी में अपने हाथ से घी तिरा दिया करती। अब उसके होते हुए रसोई में पड़ा अदरक सूखकर इतिहास बन जाता है। प्याज तो अब भी कटता है पर आंखें अब प्याज-रस से नहीं बल्कि ओटीटी या नेटफ्लिक्स के ड्रामे से नम होती हैं।
जिस रसोई में कभी प्यार घुलता था, वहां अब प्रोटीन पाउडर घुलता है। अब मिर्च-मसालों की बातें नहीं चलती, मिक्सी चलती है। पहले ताजा मसाले महकते थे, अब फ्रिज पैक्ड मसालों से लदा है। रसोई भरी पड़ी है पर रिश्ते भूखे हैं। अब बहू-बेटियां मां या सासू मां से कुछ नहीं सीखती, इंटरनेट से सीखकर बनाती हैं। पहले मेहमानों के आने की सूचना मिलते ही रसोई चहकने लगती थी, सत्तर भांत के पकवान बनते थे। अब रेस्टोरेंट की सूची बनती है कि किस जगह मेहमानों को लंच-डिनर करवायेंगे।
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एक बर की बात है अक दादी रामप्यारी अपणी पोती ताहिं समझाते होये बोल्ली- बेट्टी किमें साग-रोट्टी बनाणी भी सीख ले, छोरियां नै खाना बनाणा आणा चहिए। पोती बोल्ली- पर छोरी नै ए क्यूं आणा चाहिए? दादी बोल्ली- कदे तेरा घरआला घर म्हं ना होया तो के भूखे पेट सोवैगी?