शब्दों का भारतीय संसार
कनोपस रात्रि आकाश में दिखाई देने वाला दूसरा सबसे चमकीला तारा है। यह सूर्य से आठ गुना अधिक विशाल है। इसकी चमक सूर्य की चमक से 10,000 गुना अधिक है। भाषाविदों का मानना है कि कनोपस का नाम प्राचीन ट्रॉय युद्ध के दौरान एक जहाज के पायलट के नाम पर रखा गया है। किन्तु इसका एक दूसरा पक्ष भी है। प्राचीन भारतीय कनोपस को अगस्त्य के नाम से जानते थे। संस्कृत साहित्य में अगस्त्य को कुंभज भी कहा गया है। कुंभज और कनोपस शब्दों में अद्भुत समानता है। ऐसा लगता है कि ग्रीक शब्द कनोपस संस्कृत शब्द कुंभज से निकला है। अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। राम जी के गुरु वसिष्ठ के बड़े भाई थे । अगस्त्य को तमिल भाषा का पहला वैयाकरण और केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु का आदि गुरु माना जाता है। वे दक्षिणी भारत की चिकित्सा पद्धति ‘सिद्ध वैद्यम्’ के भी जनक भी हैं। ऋषि की स्मृति में भारत के आकाश में सबसे चमकीले तारे का नाम अगस्त्य रखा गया जिसे अंग्रेज़ी में कनोपस कहते हैं।
अगस्त्य के कुम्भजन्म की एक विचित्र कथा पुराणों में है। दरअसल, पौराणिक बातों के सत्य हम तक नहीं पहुंचे क्योंकि प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का प्रायः व्यापक रूप से भ्रामक भावानुवाद हुआ है। उर्वशी वेद पुराणों में एक अप्सरा का नाम है। जबकि उर्वशी का शाब्दिक अर्थ है- व्यापक रूप से विस्तारित (भूमि)। उर्वी का अर्थ है- विस्तृत प्रदेश, भूमि, पृथ्वी, धरती, मैदान। उपजाऊ भूमि को उर्वरा कहते हैं। कुम्भ का अर्थ है घड़ा। किन्तु कुम्भ एक राशि भी है। अब हम वैकल्पिक अर्थों के आलोक में प्राचीन कथा का पुनर्पाठ करते हैं और नए अर्थों का प्रयोग करते हैं। मूल कथा- वरुण और मित्र ने उर्वशी (अप्सरा) को देखा और उस पर मोहित हो गए। पुनर्पाठ, वरुण और मित्र ने उर्वशी (व्यापक रूप से विस्तारित भूमि) को देखा और उस पर मोहित हो गए। मूल कथा- कुम्भ से वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ। पुनर्पाठ- कुम्भ राशि में कुम्भ पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ।
अंत में निचोड़- जल के देवताओं वरुण और मित्र ने पवित्र नदी के किनारे व्यापक रूप से विस्तारित भूमि को देखा और वह उस पर मोहित हो गए। दोनों ने कुम्भ राशि में नदी किनारे समुद्र मंथन में निकले अमृत कुम्भ की स्मृति में एक पर्व का आयोजन किया, जिसमें अपना बल, सामर्थ्य, ऊर्जा, दृढ़ता, साहस, शक्ति, आभा, गौरव स्थापित कर दिये। इसी कुम्भ पर्व में वसिष्ठ और अगस्त्य ऋषियों का जन्म हुआ। अतः वह कुम्भज कहलाए।
साभार : डीएनएऑफवर्ड्स डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम