मनीष कुमार चौधरी
संत-महात्मा आए दिन कहते रहते हैं कि जिस आदमी ने अपनी अंतरात्मा को टटोल लिया, समझो वह देवता हो गया। हर नेता अपने जीवन में कभी न कभी देवत्व प्राप्त करता है। सत्ता छूटी नहीं कि वह आत्मावलोकन करने लगता है। जब सत्ता में थे तो आत्मा के अवलोकन के सिवा उन्होंने सब कुछ किया, सो हार गए। पर सत्ता की मलाई खाते हुए आत्मावलोकन करना बड़ा मुश्किल काम है।
दरअसल, उस समय आत्मा सुप्त अवस्था में रहती है। कुर्सी पर रहने के दौरान खाने-पीने में इतनी व्यस्तता रहती है कि सोयी आत्मा को भी जगाना चाहिए, इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। ऐसे में अक्सर आत्माएं जंग खा जाती हैं। एक कहावत है, ‘प्रयोग की जाने वाली चाबी हमेशा चमकदार रहती है।’ समय-समय पर यदि आत्मा को खंगालते रहा जाए तो आत्मा भी चेतन रहती है। जंग खायी आत्मा जंग खायी चाबी की तरह हो जाती है। इस बदरंग आत्मा का रंग उस समय नजर आता है जब नेता चुनाव हारता है।
अपनी कुर्सी पर किसी और को बैठा देखकर अच्छे-अच्छों को आत्मा याद आ जाती है। नेता तो डरता ही कुर्सी जाने से है, क्योंकि उसकी निज औकात क्या होती है, सब जानते हैं। तो पराजित होते ही उसे सर्वप्रथम आत्मावलोकन का कीड़ा काटता है। एकाएक ही उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देने लगती है। आत्मा को जगाने के तमाम प्रयोगों में नेता लीन हो जाता है। लेकिन रूठी आत्मा रूठी पत्नी से कम नहीं होती। आत्मा नेता की फितरत से वाकिफ होती है, वह जानती है यह दिखावा या प्रपंच मात्र है।
थक-हारकर नेता जनता की अदालत में जाने की दलील देने लगते हैं। वे यह सफाई पेश करते हैं कि हम जन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए, इसलिए जनता ने हमें वोट नहीं दिया। आत्मावलोकन के लिए पार्टी की बैठकें होती हैं। नेता जुटते हैं। पार्टी की हार पर दुख प्रकट किया जाता है। वरिष्ठ नेताओं में आस्था प्रकट की जाती है। चिंतन शिविर लगाए जाते हैं। कार्यकारिणी में फेरबदल होता है। अपने चुनावी घोषणा-पत्रों को याद किया जाता है। किए गए वादों को पूरा करने के आश्वासन दिए जाते हैं। अगली बार सत्ता में आने के सभी उपायों का हिसाब-किताब लगाया जाता है। हारने के काफी समय बाद तक ऐसा चलता रहता है।
जब-जब आत्मावलोकन का कीड़ा काटता है, तब-तब पार्टी की मीटिंग बुलाई जाती है। अपनी आत्मा के साथ सोए और अपने खोल में बंद नेता मीटिंगों में आते हैं, आत्मावलोकन करते हैं, फिर सो जाते हैं। क्रम चलता रहता है। आत्मावलोकन होता रहता है। लेकिन मुई आत्मा नहीं जागती।