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परिवार ऐसा हो कि वैसा हो, कैसा हो

तिरछी नज़र
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अगर तेजू भैया की बात मानी जाए तो जयचंद तो वहां पहले से ही था। पर अब तो मीडिया के मुताबिक मंथराओं वगैरह का प्रवेश भी हो चुका है। हो सकता है कहीं आस्तीन में सांप भी पल रहे हों।

सवाल यह है कि परिवार कैसा हो? वैसे तो महान समाजशास्त्री, बेजोड़ स्टोरी टैलर और टीवी शॉप ऑपेरा की साम्राज्ञी, एकता कपूर हिंदुस्तान ही नहीं पाकिस्तान तक की गृहिणियों को यह बता चुकी हैं कि परिवार कैसा होता है, फिर भी जनाब सवाल अगर राजनीति का है तो जवाब यही होगा कि परिवार तो संघ परिवार जैसा होना चाहिए, कि जब भाजपा लड़खड़ाए तो वह उसे संभाल ले। भाजपा भी पीछे नहीं रहती और उठाकर सारा श्रेय वह संघ परिवार को दे देती है, जैसे कि मोदीजी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में लाल किले की प्राचीर से किया। यूं तो कुछ लोग इसे अहो रूपम, अहो ध्वनि किस्म का पारस्परिक संबंध भी कह सकते हैं। पर वह इससे ऊपर है। वह लालू परिवार की तरह से नहीं है जरा सी लड़खड़ाहट में जूतम-पैजार शुरू हो जाए।

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मीडिया के माध्यम से पता चल रहा है कि आजकल वहां जूतों में दाल तो पता नहीं बंट रही है या नहीं, पर हार जरूर बंट रही है। खैर, अगर तेजू भैया की बात मानी जाए तो जयचंद तो वहां पहले से ही था। पर अब तो मीडिया के मुताबिक मंथराओं वगैरह का प्रवेश भी हो चुका है। हो सकता है कहीं आस्तीन में सांप भी पल रहे हों।

कहां तो विपक्षवाले संघ परिवार में खींचतान की कहानियां सुना रहे थे कि मोदीजी की पिचहतरवीं वर्षगांठ पर संघ वाले उन्हें मार्गदर्शक मंडल में पहुंचा देंगे। और कहां संघ परिवार ने लालू परिवार को ही आपस की जूतम-पैजार में धकेल दिया। संघ परिवार पर लोगों को आपस में लड़ाने का आरोप तो लोग लगाते ही रहते हैं पर क्या लालू परिवार को आपस में लड़ाने का आरोप भी उस पर लगाएंगे। फिर अब तो अमरसिंह भी नहीं हैं। जिन पर मुलायम परिवार में घमासान करवाने के आरोप यह कहते हुए लगाए जाते थे कि जहां-जहां पांव पड़े संतन के...। इससे ज्यादा गुणगान दिवंगत आत्मा का होना भी नहीं चाहिए। लेकिन यह कहावत जरूर सच साबित हो रही है कि जीत के कई पिता होते हैं और हार अनाथ होती है। लालू पुत्री रोहिणी आचार्य ने अपने आपको अनाथ घोषित कर दिया है। लेकिन परिवार में सभी अनाथ नहीं हैं। वहां तेजू भैया जैसे फायर ब्रांड भी हैं। फिर अब तो लालूजी के वे साले भी चर्चाओं में आ गए हैं, जिनसे बरसों से किसी ने पानी तक नहीं पूछा था। अलबत्ता प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी की शैक्षणिक उपलब्धियां बयान कर शिल्पी गौतम कांड को याद करते हुए अवश्य ही उन्हें साधु यादव का गुंडा करार दिया था। इससे पता चलता है कि हार अनाथ नहीं होती, खोए हुए मामा वगैरह वापस चले आते हैं। लालू परिवार ने यह भी दिखा दिया कि हार सिर्फ पस्ती नहीं लाती। आपसी मारकाट का जोश भी लेकर आती है।

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