विलास जोशी
मैं एक साधारण देशवासी हूं। बचपन से मेरी एक ख्वाहिश थी कि मैं डॉक्टर बनूं। जब मैं अपनी बाल्यावस्था में था, तब अपने बालमित्रों के साथ अक्सर डॉक्टर-डॉक्टर खेला करता था और अपने बाल-सखाओं को झूठमूठ के इंजेक्शन लगाया करता था।
जब मैंने अखबार में पढ़ा कि बंगाल की दीदी अपने चुनावी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई है तो मैं बहुत चिंतित हो गया कि एक तो चुनाव सिर पर है, उस पर भी उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है, तब मैं बहुत सोच में पड़ गया कि क्या अब वे व्हीलचेयर पर बैठ कर ही चुनाव प्रचार करेंगी? लेकिन दो दिन बाद जब यह खबर अखबार में पढ़ी कि कोलकता वाले एक डॉक्टर साहब ने ‘दो दिन बाद ही’ उनका प्लास्टर खोल दिया है तो मुझे बहुत अच्छा लगा। जब से उन कोलकता वाले डॉक्टर साहब के चमत्कारी इलाज की खबर पढ़ी है, तब से मैं बहुत बेचैन हूं। जब भी हमारे शहर में किसी के हाथ या पैर का फ्रैक्चर होता है तब कम से कम ‘तीन सप्ताह’ का प्लास्टर लगाया जाता है और कई बार तो तीन सप्ताह गुजरने के बाद भी डॉक्टर लोग कहते हैं कि अभी एक सप्ताह और प्लास्टर रहने दो। मुझे तो उन कोलकता वाले डॉक्टर साहब पर नाज है। कृपया कोई जल्दी से जल्दी मुझे उन डॉक्टर साहब का नाम, पता और मोबाइल नम्बर भेजने का कष्ट करे, मैं उनका ताउम्र शुक्रगुजार रहूंगा।
आपको सच बताता हूं कि वैसे आज तक मेरा सामना डॉक्टर लोगों से बहुत ही कम पड़ा है। वास्तव में मुझे ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। फिर भी कई डॉक्टरों के बारे में सुना। कई तरह के अनुभव लिये हैं। लेकिन कोलकता वाले डॉक्टर साहब की तो बात ही अलग है। उनका मात्र दो दिन में ही प्लास्टर निकाल देने वाला चमत्कारी इलाज देख-सुन कर मैं सोच रहा हूं कि उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ के लिए भेज दूं। संभव है कि जब उनका नाम गिनीज बुक में आएगा तो उनका नामांकन ‘नोबल पुरस्कार’ के लिए भी हो जाए?
कोलकता के जागरूक निवासियों, मेरा आपसे निवेदन है कि इन तिलस्मी डॉक्टर साहब का नाम, पता और मोबाइल नम्बर जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी मुझे भेज दे, ताकि हमारे शहर के उन लोगों को मैं कोलकता भेज सकूं, जिनके हाथ-पैर टूट गए हैं। उन्हें भी तो इस चमत्कारी इलाज का लाभ मिलना चाहिए कि नहीं?