रोमांस के राग-रंग बदल गई सोने की ऊंचाई
जहां पहले ‘झुमका’ गाने से दिल झूमता था, अब दाम सुनकर जेब झूल जाती है। झुमका तो बाजार में गिरा पर असली गिरावट हमारी सोच और संवेदनाओं में आई है।
सोना आजकल इतना चढ़ गया है कि लगता है अगली बार सगाई की अंगूठी भी बैंक की किश्तों पर ही बनेगी! एक मनचले का कहना है कि यार रिंग सेरेमनी का झंझट ही खत्म करो, सीधा ब्याह करो। बाजार में सोने की चमक ऐसी फैली है कि मोहल्ले की ब्यूटी पार्लर वाली भी अब फेसपैक छोड़कर गोल्ड इन्वेस्टमेंट की सलाह देने लगी है।
1966 में ‘हमसाया’ फिल्म का गाना बजा था- झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में। तब इस गाने को सुनकर लोग मुस्कुराते थे। उस वक्त सोने का भाव था 84 रुपये तौला। अब दस ग्राम का झुमका बनेगा 126000 में। अब बरेली के बाजार में झुमका गिरने के चांस एकदम खत्म। कौन पहनने की हिम्मत करेगा? जहां पहले ‘झुमका’ गाने से दिल झूमता था, अब दाम सुनकर जेब झूल जाती है। झुमका तो बाजार में गिरा पर असली गिरावट हमारी सोच और संवेदनाओं में आई है। काश! कोई मानवता में भी थोड़ा निवेश कर लेता।
इसी तरह 1984 में शराबी फिल्म का एक गाना हिट हुआ था- ‘मुझे नौ लखा मंगवा दे रे’। तब यह गाना सिर्फ नखरे का प्रतीक था, अब तो इस गाने को सुनते ही प्रेमियों की सिट्टीपिट्टी गुम हो जायेगी। इतना ही नहीं 1992 में दीवाना फिल्म का हीरो भी आज यह नहीं गा सकता- तेरी पायलिया शोर मचाये, नींद चुराये, होश उड़ाये क्योंकि हिरोइन चांदी के दाम सुनकर पायल पहनने के सपने लेने छोड़ चुकी है। महंगाई ने रोमांस के पूरे राग-रंग ही बदल दिये हैं।
सोना अब सिर्फ आभूषण नहीं, एक सपना बन गया है और जैसे-जैसे उसके दाम बढ़ते जा रहे हैं, यह सपना आम आदमी की मुट्ठी से फिसलता जा रहा है। वो चूड़ी की खनक, वो नथ की नरमी, वो बिछुए की ठंडी छुअन- सब तो महंगाई में गुम हो गए हैं। सोना अब भावनाओं का नहीं, भावों का खेल बन गया है जहां हर सिक्का चमकता है, पर हर चेहरा नहीं। बाजार में सोना बढ़े तो चैनल चमक उठते हैं पर कोई ये नहीं बताता कि जब सोना बढ़ता है तो गरीब की बेटी का ब्याह चैलेंज बन जाता है।
एक महिला अपने पति को ताना मारते हुये बोली- तुम ने चौबीस लाख की कार ली थी वो पांच साल बाद पांच लाख की रह गई। मैंने उस टाइम पांच लाख का सोना लिया था, वो चौदह लाख का हो गया। बात साफ है कि पत्नी को जेवर लेने से कदापि ना रोकें।
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एक बर की बात है अक नत्थू अपणी सगाई की अंगूठी लेण सुनार की दुकान पै गया अर रेट सुणकै उसके मुंह तै सीटी सी बजगी। फेर उसनैं दूसरी अंगूठी का भाव बूज्झया तो सुनार बोल्या- दो सीटी।