Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

नापाक-निष्ठुर का बंद हुक्का-पानी

व्यंग्य/तिरछी नज़र
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

मुकेश राठौर

प्राचीन भारतीय समाज खासकर ग्रामीण समाज में हुक्के और पानी का विशेष महत्व था क्योंकि ये मेलजोल के पर्याय थे। गांव की चौपाल पर पुरुष मिल-बैठ हुक्का गुड़गुड़ाते थे और पनघट पर पनिहारने पानी भरती थीं। उस समय गांव के पुरुष हुक्का पीते थे, ये बात और है कि आज महिलाएं भी हुक्का बार जाने लगी हैं। इसे मेलजोल बढ़ाने की आजादी कह लीजिए। हर आदमी को मेलजोल बढ़ाना ही चाहिए, फिर वह हुक्के से बढ़े या तुक्के से क्या फर्क पड़ता है।

Advertisement

आप सोच रहे होंगे हुक्का कैसे मेलजोल बढ़ाता होगा? तो ऐसे समझिए कि इसमें जल, वायु और अग्नि देवता का वास होता है, माने जब आप हुक्का गुड़कते हैं तो तीन देवताओं का साक्षात सान्निध्य प्राप्त होता है, जो मिल-जुलकर हुक्कार को स्वर्गारोहण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

उस समय जब कोई आदमी सामाजिक मान्यताओं के विरुद्ध कोई कुकृत्य कर डालता तो समाज सजा स्वरूप सर्वप्रथम उसका हुक्का-पानी बंद कर देता था जो समय आने पर पंचायत बैठने के बाद ही चालू होते थे। हुक्के और पानी के मारे या तो गांव छोड़कर चले जाते या फिर दुनिया। अब न हुक्के रहे और न पनघट, मगर हुक्का-पानी बंद करने के समाचार अब भी मिलते रहते हैं। स्वरूप चाहे जो हो।

राजनीति में किसी के हुक्के पानी का बंद होना खास महत्व रखता है। ऐन चुनाव पूर्व पार्टियों द्वारा कई भितरघातियों को पार्टी से निकालते हुए छह साल के लिए उनके हुक्के पानी बंद किए जाते हैं। ऐसे राजनेता दुनिया तो नहीं छोड़ते, दुनिया छोड़ें उनके दुश्मन। वो नेता ही क्या जो पार्टी से निकाले जाने जैसी मामूली बात पर दुनिया छोड़ दें। हां, ऐसे नेता पार्टी जरूर छोड़ देते हैं, जब तक वापस न ले लिए जाएं। जनसेवा के लिए पार्टी में होना जरूरी है।

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद हिन्दुस्तान ने पाकिस्तान का पानी बंद करने का फैसला लिया है। साथ बैठ हुक्का पीना तो उसी दिन बंद हो गया था जब देश के दो टुकड़े हुए। कभी समझौते स्वरूप हाथों की रगड़ से हुक्का जलाना भी चाहा तो सारी उम्मीदें धुआं हो गई। बहरहाल, हिंदुस्तान द्वारा पानी बंद करने के बावजूद पड़ोसी की आंखों में न तो शर्म है और न ही पानी। होगा भी कैसे? बकौल रहीम उसने कभी पानी रखा ही नहीं।

Advertisement
×