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पुरखों का वार्षिक प्रेम और पेट की आफत

तिरछी नज़र
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न मैं तुम्हारा राशन तुम्हारे पितरों तक पहुंचाने वाला ब्लिंकिट हूं और न ही अन्न-दान को स्वर्ग भेजने के किसी खुफिया रास्ते का कोई सीक्रेट नक्शा मेरे पास है।

इन दिनों छोटे से लेकर बड़े ब्राह्मण के पेट पर समाज के हर वर्ग के पितरों के कल्याण का प्रेशर इतना आ गया है कि इतना तो देश के कर्णधारों के पेटों पर भी क्या ही होगा। हैं, इन दिनों जिसे देखो, जिधर देखो! सब ब्राह्मण! ब्राह्मण! कौव्वे हो चिल्ला रहे हैं।

साल भर जो मुझे पहचानते भी नहीं, मुझे मनुवादी! मनुवादी! कहते धिक्कारते नहीं थकते, मुझे आजकल रोज सुबह-सुबह व्हाट्सएप पर उनके गुडमार्निंग के संदेशों के बदले उनके पितरों के नाम पर भोजन करने के इतने आग्रह आ रहे हैं कि इतने आग्रह आ रहे हैं कि मन कर रहा है अपने पास के कुछ नॉन ब्राह्मण ध्याड़ी पर रख लूं।

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हे मेरे पितरो! सबकी रक्षा करना! जिन्होंने अपने पितरों के जिंदा रहते कभी दर्शन भी नहीं कराये वे पितर प्रेमी भी हाथ में पानी का लोटा लिए मेरे पांव धुलवाने को व्यग्र मेरे पीछे बदहवास क्रास कंट्री के धावक हुए जा रहे हैं। पगलो! न मैं तुम्हारा राशन तुम्हारे पितरों तक पहुंचाने वाला ब्लिंकिट हूं और न ही अन्न-दान को स्वर्ग भेजने के किसी खुफिया रास्ते का कोई सीक्रेट नक्शा मेरे पास है।

किसी को अजीब लगता हो या न, पर मुझे तो बहुत अजीब लगता है। जब तुम अपने जिंदा मां-बाप की आकांक्षा को पूरा करने से गुरेज कर, इन दिनों अपने मां-बाप की तस्वीर के आगे धूप जला, फूल चढ़ा मुझमें अपने मां-बापों के दर्शन कर फूले नहीं समाते।

हे अपने पितरों से डरे पितर भीरुओ!! अब अकेला पेट तुम्हारे पितरों के नाम पर कितना खाए, कितना पचाए? क्या तुम यही चाहते हो कि मैं तुम्हारे पितरों के कल्याण के नाम पर खाता खाता खुद भी पितर हो जाऊं? तुम्हें तो बस, इन दिनों जैसे कैसे अपने पितरों से अपना पिंड छुड़ाना है अगले श्राद्धों तक के लिए ताकि एक बार मुझे उनके नाम पर खिला साल भर तुम्हें उनका आशीर्वाद मिलता रहे।

हे शरीफ पितरों की स्मार्ट संतानों! साल में एक बार खाने से किसका पेट भरा है क्या? जबकि लोग दूसरे के हिस्सों का भी दिन में दस दस बार खाते रहे हैं, उसके बाद भी उनका पेट चेक करो तो खाली का खाली।

हे अपने पितरों के प्रति वार्षिक प्रेम प्रकट करती बायोलॉजिकल संतानों! काश! इन दिनों जितना तुम मुझे ठूंस-ठूंस कर, जबरदस्ती पूछ पूछ कर खिला रहे हो, उससे आधा भी जो तुमने अपने पितरों को उनके जिंदा जी खिलाया होता तो कुछ महीने साल और वे इस धरती पर खुशी-खुशी जी लेते।

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