अनूप भटनागर
यह कितना विचित्र है कि चुनाव में निष्पक्षता के नाम पर मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने को सरकार प्राथमिकता दे रही है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा मतदाताओं को प्रलोभन देने वाले वादे करने की प्रवृत्ति को भ्रष्ट आचरण के दायरे में शामिल करने पर उसने मौन साध रखा है।
संसद ने विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक निष्पक्ष बनाने और फर्जी मतदान पर अंकुश पाने के लिए मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने के लिए कानून में संशोधन को मंजूरी दी है। यह कानून बनने पर निकट भविष्य में न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ सकता है।
संसद से मंजूर कराया गया यह संशोधन एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन बेहतर होता कि सरकार ने इतनी ही प्रतिबद्धता चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देने की राजनीतिक दलों की गतिविधियों को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत भ्रष्ट आचरण के दायरे में शामिल करने के प्रति दर्शायी होती। फिर कानून में संशोधन करके संगीन आपराधिक मामलों का सामना कर रहे व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अयोग्यता संबंधी प्रावधान के दायरे में शामिल किया होता।
इस समय, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। लगभग सभी राजनीतिक दल और इनके नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए उनसे एक निश्चित राशि का महिलाओं को मासिक भत्ता देने से लेकर मुफ्त बिजली, पानी, किसानों काे कर्ज माफी और न जाने कौन-कौन से वादे कर रहे हैं। राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के दौरान मुफ्त में रेवड़ियां बांटने के वादे की प्रवृत्ति से चिंतित शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों को नियंत्रित करने के संबंध में अलग से कानून बनाने का भी सुझाव दिया था।
न्यायालय ने जुलाई, 2013 में अपने फैसले में कहा था कि चुनाव घोषणापत्रों में मतदाताओं से किये गये वादे जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण नहीं होते हैं, लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मुफ्त में रेवड़ियां देने के वादे समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करते हैं। न्यायालय ने राजनीतिक दलों को नियंत्रित करने के संबंध में अलग से कानून बनाने का 2013 में सुझाव दिया था। लेकिन इस संबंध में सत्तारूढ़ राजग ही नहीं बल्कि विपक्षी दल भी चुप्पी लगाए हैं।
बहरहाल, सरकार मतदाता सूचियों में मतदाताओं के नाम होने की वजह से फर्जी मतदान की समस्या पर नियंत्रण के लिए आधार कार्ड को मतदाता सूची से जोड़ने का प्रावधान करने संबंधी निर्वाचन विधि (संशोधन) के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23 में संशोधन के प्रस्ताव को संसद से मंजूर कराने में सफल रही है। इस कानूनी प्रावधान का मकसद मतदाता पंजीकरण अधिकारी को ऐसे लोगों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार कार्ड संख्या मांगने का अधिकार प्रदान करता है, जो मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराना चाहते हैं।
सरकार का कहना है कि एक बार मतदाता सूची से आधार कार्ड को जोड़ने का लक्ष्य हासिल हो जाने पर जब कभी भी कोई व्यक्ति नये पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा तो मतदाता सूची की आंकड़ा प्रणाली तत्काल संबंधित अधिकारी या प्रणाली को पहले से मतदाता का नाम सूची में होने के बारे में सतर्क कर देगी। इस विधेयक का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों का आरोप है कि इस प्रावधान के माध्यम से मतदाताओं के निजता के अधिकार का हनन होगा। इसके विपरीत, सरकार का दावा है कि इससे फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी और मतदाता सूची की शुचिता सुनिश्चित की जा सकेगी। सरकार का कहना था कि चुनाव सुधारों के संबंध में संसद की स्थायी समिति ने भी सिफारिश की थी कि मतदाता सूची को ठीक करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग करना चाहिए। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन को भरोसा दिलाया कि सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर ‘नकली एवं फर्जी वोटरों’ को खत्म करना चाहती है। इसलिए इसका विरोध नहीं बल्कि स्वागत होना चाहिए।
जनप्रतिनिधित्व कानून में एक नया प्रावधान शामिल होने से मतदाताओं के निजता के अधिकार के हनन और मतदाताओं से संबंधित आंकड़े लीक होने जैसी आशंकाओं का निराकरण करते हुए सरकार ने यह भरोसा दिलाया है कि संबंधित आंकड़े सिर्फ निर्वाचन आयोग के पास ही रहेंगे और यह पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। सरकार का कहना है कि मतदान अधिकारी मतदाता की पहचान स्थापित करने मात्र के लिए आधार कार्ड का उपयोग करेंगे। सरकार का यह प्रयास भले ही फर्जी मतदान की घटनाओं पर अंकुश लगाने में कामयाब हो जाए लेकिन इस समय मतदाताओं को मुफ्त की रेवड़ियां देने के वादे करके चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने वाले राजनीतिक दलों और इनके नेताओं पर अंकुश लगाना ज्यादा जरूरी है।
उम्मीद है कि सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को दीमक की तरह खोखला कर रहे राजनीतिक दलों के मतदाताओं को प्रलोभन देने के आचरण पर रोक लगाने के लिए भी जनप्रतिनिधित्व कानून में आवश्यक संशोधन करेगी।