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टैरिफ की बला कर गई भला

तिरछी नजर
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आज विपक्ष नि:स्पृह है और जनता मदमस्त है। अतः सरकार के ऊपर कोई दबाव नहीं था। उन्होंने टैरिफ बढ़ाकर दबाव बना दिया और फायदा हम गरीबों का हो गया।

चाणक्य ने कहा है—राजा को कर संग्रह एक मधुमक्खी की तरह करना चाहिए। मधुमक्खी उतनी ही मात्रा में पुष्प रस संग्रह करती है जिससे कि दोनों का जीवन चलता रहे। यानी कर देने वाले को कोई तकलीफ न हो और करदाता व सरकार दोनों का काम चलता रहे। विगत आठ वर्षों के गुड्स एवं सर्विस टैक्स की जबरदस्त वसूली को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि अब जोंक का स्थान मधुमक्खी ने ले लिया है। जीवन व स्वास्थ्य बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल किया जा रहा था जिसे अभी शून्य किया गया है। रोजमर्रा जरूरत की वस्तुएं मसलन रोटी, दूध, ब्रेड, परांठा, खाखरा, पनीर और छेना आदि पर भी 5 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा था। जीएसटी एक समाजवादी कर प्रणाली है। यह सब के लिए एक समान है। यह अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं करता है जबकि आयकर अमीर और गरीब के बीच भेदभाव करता है। वैसे जीएसटी अमीरों पर मेहरबान प्रतीत होता है। देश के 10 प्रतिशत अमीर केवल 3.4 प्रतिशत जीएसटी देते हैं वही देश के 50 प्रतिशत गरीबों से 64 प्रतिशत जीएसटी की वसूली की जाती है।

आज न्यूज़ चैनल वाले जोर-जोर से हल्ला बोल रहे हैं कि जरूरी चीजों पर जीएसटी को कम या शून्य कर दिया गया है। इन्होंने हमें कभी नहीं बताया कि पूर्व में जीएसटी की दरें अधिक थीं। आज विपक्ष नि:स्पृह है और जनता मदमस्त है। अतः सरकार के ऊपर कोई दबाव नहीं था। उन्होंने टैरिफ बढ़ाकर दबाव बना दिया और फायदा हम गरीबों का हो गया। इस जीएसटी 2.0 द्वारा टैक्स रिफॉर्म किया गया और हमें राहतों से सराबोर कर दिया गया।

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दो परस्पर विरोधी मित्रों की इस टैक्स रिफॉर्म के बाद पहली मुलाकात हुई।

पहला : सरकार ने इस बार विलासितापूर्ण व हानिकारक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत टैक्स यानी पाप कर लगा दिया है।

दूसरा : पाप करने वालों ने ही पाप कर लगा दिया है। कैसी विडम्बना है यह।

पहला : आप हमेशा मीनमेख निकालते हैं जबकि यह अच्छा कदम है।

दूसरा : हमने ही कोई पाप किया है जाे ऐसा नेता चुने।

पहला : इतना बड़ा टैक्स रिफॉर्म फिर भी आप खुश नहीं हैं?

दूसरा : आप समझ लीजिए कि यह जितना बड़ा टैक्स रिफॉर्म है उतना बड़ा लक्ष्य होगा। वैसे राहत या टैक्स रिफॉर्म चुनाव के पहले ही क्यों किया जाता है? चुनाव हमें राहत प्रदान करते हैं। पता नहीं एक देश एक चुनाव लागू होने के बाद हमारा क्या होगा?

पहला : इस रिफॉर्म का श्रेय आप किसे देंगे?

दूसरा : टैरिफ बढ़ाने वाले को और आगामी बिहार चुनाव को!

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