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मुंबई हमले की साजिश के सूत्रधार तहव्वुर-हेडली

अमेरिकी अदालती कार्यवाही में तहव्वुर व हेडली के बीच घनिष्ठता के सबूत मिले। राणा की ट्रैवल एजेंसी द्वारा मुहैया ‘कवर’ ने हेडली को वीजा देकर भारत की लगातार यात्राएं करवायीं। राणा ने हेडली को अपनी आव्रजन परामर्श फर्म का विदेशी...
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अमेरिकी अदालती कार्यवाही में तहव्वुर व हेडली के बीच घनिष्ठता के सबूत मिले। राणा की ट्रैवल एजेंसी द्वारा मुहैया ‘कवर’ ने हेडली को वीजा देकर भारत की लगातार यात्राएं करवायीं। राणा ने हेडली को अपनी आव्रजन परामर्श फर्म का विदेशी प्रतिनिधि दिखाकर व मुंबई में कार्यालय खोलकर अंडरकवर आतंकवादी टोही अभियान चलाने में मदद की।

वप्पला बालचंद्रन

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डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा की यारी तब से है, जब वे दोनों पाकिस्तान में कुलीन सैन्य शिक्षा संस्थान हसन अब्दाल कैडेट कॉलेज में साथ पढ़ते थे। आगे चलकर, तहव्वुर राणा ने हेडली की गुप्त आतंकवादी टोही गतिविधियों को ‘कवर’ मुहैया करवाया।

हेडली, जिसका जन्म वाशिंगटन डीसी में दाऊद गिलानी के रूप में हुआ था, वह रेडियो प्रसारक पाकिस्तानी पिता सैयद सलीम गिलानी और अमेरिकी मां सेरिल हेडली का बेटा है। डेविड बचपन में परिजनों के साथ पाकिस्तान आ बसा। उसकी मां का तलाक हो गया और सेरिल वापस अमेरिका लौट गई। वर्ष 2013 में शिकागो में उनके खिलाफ अदालती कार्यवाही से पता चलता है कि दाऊद उर्फ डेविड ‘पाकिस्तानी राष्ट्रवाद और इस्लामी रूढ़िवाद के माहौल’ में पला-बढ़ा। हेडली के अनुसार, भारत के प्रति उसकी नफरत 1971 में शुरू हुई, जब भारत-पाक युद्ध के दौरान कराची पर हमले के दौरान एक भारतीय बम भटककर उसके प्राथमिक स्कूल पर जा गिरा और दो लोग मारे गए।

17 साल की उम्र में, हेडली अपनी पाकिस्तानी सौतेली मां से झगड़ा होने के बाद फिलाडेल्फिया में अपनी असली मां के पास लौट गया। अमेरिका, पाकिस्तान और जर्मनी में नशीली दवाओं की लत के कारण 1988 में उसका पाला कानून से पड़ा, जब उसे गिरफ्तार किया गया था। आगे चलकर, अमेरिकी ड्रग प्रवर्तन एजेंसी (डीईए) ने उसे बतौर एक मुखबिर भर्ती कर लिया। 1998 में डीईए ने उसे अंडरकवर एजेंट के रूप में पाकिस्तान भेजा।

उस अवधि के दौरान, उसके संबंध लश्कर-ए-तैयबा के साथ बन गए। वह बताता है कि उसने अमेरिकी अधिकारियों की अनुमति लिए बिना पाकिस्तान की यात्राएं कीं। वर्ष 2000 में उसकी मुलाकात लश्कर के आध्यात्मिक गुरु हाफ़िज़ सईद से हुई। वर्ष 2001 में उसने फिर से एक और साल के लिए डीईए के साथ ‘अनुबंध साइन अप’ किया। इसने उसे भारतीय उपमहाद्वीप की लगातार यात्राएं करने के मौके प्रदान किए।

‘प्रो-पब्लिका’ के सेबेस्टियन रोटेला और अमेरिकन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन टैंकेल ने दुनिया के सामने 26/11 कांड के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली, उसके दोस्त तहव्वुर हुसैन राणा और आईएसआई के बीच गुप्त संबंधों को उजागर करने में मुख्य भूमिका निभाई। जिसकी हवा अमेरिकी स्रोतों ने आधिकारिक तौर इससे पहले नहीं लगने दी।

2012 में नेशनल जियोग्राफ़िक चैनल द्वारा 26/11 हमले पर बनाई डॉक्यूमेंट्री ‘सेकंड्स टू डिजास्टर : द मुंबई मैसेकर’ में स्टीफन टैंकेल और मेरे विचार शामिल किए गए थे। उस साल वे लश्कर-ए-तैयबा पर अपनी पुस्तक ‘स्टॉर्मिंग द वर्ल्ड स्टेज’ का विमोचन करने मुंबई आए थे, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की आईएसआई के बीच घनिष्ठ संबंधों का खुलासा था, जिसके वास्ते तथ्य उन्होंने 2009 में पाकिस्तान एवं भारत में वास्तविक धरातल पर किए खोज-कार्य से जुटाए थे। वर्ष 2017 में उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब, वाशिंगटन डीसी में मेरी किताब ‘कीपिंग इंडिया सेफ’ पर चर्चा सत्र की अध्यक्षता की थी।

सेबेस्टियन रोटेला को व्यक्तिगत रूप से मैं जून, 2013 में ही जान पाया था, जब वे पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेस के वास्ते 2011 में बनाई अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘ए परफेक्ट टैरेरिस्ट’ के द्वितीय अंक के लिए मेरा इंटरव्यू रिकॉर्ड करने मुंबई आए थे। पहले अंक में हेडली का मुंबई और डेनमार्क से राब्ता कैसे बना, यह बताया गया था। वह यह जांच भी कर रहे थे कि अमेरिकी एजेंसियों ने हेडली की संलिप्तता और भारत की लगातार यात्राओं के बारे में भारतीय अधिकारियों को सतर्क क्यों नहीं किया, जबकि एक अमेरिकी राजनयिक अधिकारी ने इस्लामाबाद में उसकी पत्नी से पूछताछ करने के बाद एफबीआई, डीईए और सीआईए को इसकी सूचना दी थी।

जनवरी, 2013 में अमेरिकी शिकागो जिला न्यायालय के न्यायाधीश हैरी लीनेनवेबर ने डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई नरसंहार की साजिश के हिस्से के तौर पर पूर्व-टोही अभियान में उसकी गहरी संलिप्तता के कारण 35 साल की जेल की सजा सुनाई। शिकागो में गवाहों में अमेरिकी लेखिका लिंडा रैग्सडेल भी शामिल थीं, जो 26/11 के हमले के दौरान घायल हुई थीं, जबकि उनके साथ खाने की मेज पर बैठे दो अन्य लोग मारे गए थे। अदालती कार्रवाई से पता चलता है कि पहले ही ‘प्ली बार्गेन एग्रीमेंट’ के तहत कबूलनामा कर चुके हेडली ने पाकिस्तान में अपने घर में टीवी पर लाइव कवरेज में मुंबई हमले का नज़ारा लिया था।

हेडली ने अदालत को बताया कि उसने 2002 से 2005 के बीच पांच बार पाकिस्तान में लश्कर के प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया था। 2005 के अंत में, उसे टोही अभियान चलाने के लिए भारत की यात्रा करने के निर्देश मिले, जो उसने पांच बार की। अदालती कार्यवाही से यह भी संकेत मिलता है कि लीनेनवेबर ने अभियोजन पक्ष के उस अनुरोध के प्रति अरुचि दिखाई, जिसमें ‘मुंबई में तीन दिन चले नरसंहार की भयावह प्रकृति’ में हेडली की संलिप्तता के बावजूद उसे कानून के तहत अधिकतम सजा न देने की मांग की गई थी। भले ही अमेरिकी अटॉर्नी पैट्रिक फिट्जगेराल्ड ने उसके ‘पूर्ण रूपेण कबूलनामे’ के मद्देनजर नरमी बरतने का अनुरोध किया, लेकिन जज ने बताया कि हेडली को पहले भी दो बार ‘उदार प्ली बार्गेन’ मिल चुके हैं, जब उस पर 1980 और 1990 के दशक में हेरोइन तस्करी का आरोप लगा था। उन्होंने कहा कि वह उसे इतनी लंबी सजा सुना रहे हैं, जो ‘उसे बाकी बचे प्राकृतिक जीवन तक जेल में बंद रखे।’

2013 में यूएस शिकागो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज हैरी लीनेनवेबर की अदालत में तहव्वुर राणा के खिलाफ़ चली अदालती कार्यवाही उसके और हेडली के बीच घनिष्ठ मित्रता का सबूत देती है, खासकर इस बारे में कि कैसे राणा की ट्रैवल एजेंसी द्वारा मुहैया ‘कवर’ ने हेडली को भारत और पाकिस्तान की लगातार यात्राएं करने का मौका दिया। राणा, जिसे ‘आव्रजन सलाहकार’ बताया गया था, उसने हेडली को अपनी आव्रजन परामर्श फर्म का विदेशी प्रतिनिधि दिखाकर अंडरकवर आतंकवादी टोही अभियान चलाने में मदद की। उसने हेडली को मुंबई में एक कार्यालय खोलकर दिया, व्यवसाय कार्ड का उपयोग करने देकर, वीजा प्राप्त करने में और अनन्य तरीकों से अंडरकवर बने रहने की सहूलियतें प्रदान कीं।

जज हैरी लेननवेबर ने लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी गतिविधियों को भौतिक रूप से सहायता प्रदान करने और पैगंबर मुहम्मद के कार्टून प्रकाशित करने वाले डेनिश अखबार पर हमला करने की साजिश में शामिल होने के दोहरे आरोपों के लिए राणा को चौदह साल की जेल की सजा सुनाई। हालांकि, उन्होंने उसे मुंबई 26/11 हमलों में भौतिक रूप से मदद करने के आरोप से बरी कर दिया। इसमें उन्होंने ज्यूरी के निष्कर्ष से आंशिक रूप से सहमति व्यक्त की, जिसने राणा की इस दलील को स्वीकार किया था कि ‘उसे मुंबई हमले की साजिश के बारे में कुछ पता नहीं था और लश्कर का समर्थक होने के बावजूद 2008 के नरसंहार में उसने कोई भूमिका नहीं निभाई’। हालांकि, जज ने पाया कि नवंबर, 2008 में मुंबई में जो कुछ हुआ उसके बाद राणा को ऐसे संबंधों की ‘घातक क्षमता’ के बारे में पता अवश्य होगा। इसलिए उन्होंने दंड कानून के प्रावधान के तहत सज़ा को 11 साल से बढ़ाकर 14 साल कर दिया।

सच है कि फरवरी, 2016 में अबू जुंदाल के मामले में मुंबई की एक अदालत ने हेडली से बतौर गवाह ऑनलाइन पूछताछ की थी। हालांकि, राणा के भारत प्रत्यर्पण होने से हेडली से पूर्व टोही अभियान चलाने में मदद देने में उसकी भूमिका के बारे में पूछताछ करने का मौका मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिकागो ज्यूरी के निष्कर्ष उन तथ्यों पर आधारित नहीं लगते, जो हमारी जांच एजेंसियों ने यूएसए में अपने समकक्षों को दिए थे। इसलिए राणा का प्रत्यर्पण महत्वपूर्ण है।

लेखक 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान पुलिस की कारगुजारी की जांच के वास्ते बनी उच्च स्तरीय समिति के सदस्य थे, व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

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