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भागम-भाग और पुण्य की चाह में जाम

व्यंग्य/तिरछी नज़र
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सहीराम

जैसे वो किसी विज्ञापन में कहा गया है न कि डर के आगे जीत है, यह भी कुछ उसी टाइप का मामला हो गया है कि भगदड़ के आगे जाम है। अमावस्या को भगदड़ थी, पूर्णिमा को जाम है। जैसे पुराने लोग कहते हैं न कि मरा-मरा कहने वाले भी आखिर में राम-राम करने लगते हैं। ऐसे ही जाम-जाम की पुकार भी अंततः मजे में परिणत हो जाती है। महानगरों के लोग इस जाम का मजा बहुत पहले से उठा रहे हैं। पुण्याकांक्षियों को इसका मजा कुंभ ने दिया है।

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कहते हैं कि माघी पूर्णिमा के स्नान के लिए प्रयागराज के आसपास तीन सौ किलोमीटर का जाम लग गया। इससे पीड़ित होने वाले चाहे तो बाद में इसे अपने गर्व में शामिल कर सकते हैं। वे आने वाली पीढ़ियों को उसी तरह से क्षुद्रता का अहसास करा सकते हैं कि तुमने क्या देखा, हमने तीन सौ किलोमीटर का जाम देखा है। जैसे वे गाहे-बगाहे यह याद दिलाते रहते हैं कि हमने एक रुपया सेर देसी घी खाया है। खैर जी, पंद्रह दिन पहले मौनी अमावस्या पर भगदड़ थी, अब पंद्रह दिन बाद माघी पूर्णिमा पर जाम है।

पहले सरकार, प्रशासन, उनका प्रचार तंत्र हांक लगा रहा था-आओ- आओ की। आओ जी आओ- कुंभ नहाओ और पुण्य कमाओ। अब सरकार और प्रशासन यह तो नहीं कह रहे कि न आओ। कह भी नहीं सकते। उन्होंने तो दिल्ली जाने वाले आंदोलनकारी किसानों से भी कभी यह नहीं कहा कि न जाओ। ऐसा कहकर पाप का भागी कौन बने। लेकिन उन्होंने इंतजाम इतने कड़े कर दिए कि तीन सौ किलोमीटर का जाम लग गया। किसानों के लिए बैरिकेड लगाए थे, बोल्डर लगाए थे, कीलें गाड़ी थीं। लेकिन उनका क्या है जी, वो तो आंदोलनकारी थे, किसान थे। लेकिन कुंभ स्नानार्थियों के साथ ऐसा व्यवहार शोभा नहीं दे सकता था। सो ऐसी व्यवस्था को परिष्कृत किया गया। इतना कि जो जाम में फंसे वही रीलें बना-बनाकर सबको संदेश देने लगे कि न आओ जी, न आओ।

जब उधर प्रयाग में कुंभ मेला चल रहा है, उसी वक्त संयोग से दिल्ली में पुस्तक मेला भी चल रहा था। लेकिन उसकी कोई चर्चा न थी। न कोई भीड़भाड़ थी, न कोई अफरा-तफरी थी और न ही कोई मारा-मारी थी। ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैसे भी कभी मारा-मारी नहीं होती। पुण्यप्राप्ति के लिए बेशक हो जाती है। खैर, जो भी हो, लेकिन सरकार के लिए यह एक अवसर है। जैसे वह गाहे-बगाहे यह दावा किया करती है कि हमने इतने करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाल लिया, वैसे ही अब यह दावा भी कर सकती है कि हमने पैंतालीस करोड़ लोगों को पापमुक्त कर दिया है। यह भी एक रिकॉर्ड होगा।

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