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सख्ती-विकास व पुनर्वास से पलटी बाजी

नक्सलवाद का दमन
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इस समय सीआरपीएफ देश में माओवादी उग्रवादियों को पूरी तरह से खत्म करने के अपने मिशन में जी जान से जुटा हुआ है। छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र वगैरह राज्यों में इनका आतंक खत्म करने और वहां सामान्य जन-जीवन को बहाल करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

मधुरेन्द्र सिन्हा

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देश की सीमाओं की रक्षा में जहां हमारे सैनिक तत्पर हैं वहीं देश में उग्रवादियों, नक्सलवादियों जैसी विध्वंसक ताकतों से निपटने और उनका सफाया करने के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बल तथा अन्य बल पूरी मुस्तैदी से शांति बनाये रखने में सफल हुए हैं। यह बल जिसे सीआरपीएफ के नाम से जाना जाता है। इस समय सीआरपीएफ देश में माओवादी उग्रवादियों को पूरी तरह से खत्म करने के अपने मिशन में जी जान से जुटा हुआ है। छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र वगैरह राज्यों में इनका आतंक खत्म करने और वहां सामान्य जन-जीवन को बहाल करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। हाल के वर्षों में इस बल ने वर्षों से जमे हुए सशस्त्र नक्सलियों को जबर्दस्त चोट पहुंचाई है औऱ उसके कई बड़े लीडर मारे गये हैं जिनसे इन उग्रवादियों का मनोबल नीचे आ गया है।
पिछले कुछ महीनों में तो दर्जनों नक्सली सीआरपीएफ से मुठभेड़ में मारे गये हैं। सैकड़ों हथियार पकड़े जा चुके हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने तो बजट सत्र में स्पष्ट शब्दों में कहा कि 31 मार्च, 2026 तक देश में नक्सलवाद का समूल नाश कर दिया जायेगा। सरकारी लड़ाई तेज करने के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के काम को तेज किया और संसाधन उपलब्ध करवाये ताकि वहां के स्थानीय लोग उनसे दूरी बना लें।
हिंसा के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की सरकार की नीति का अनुसरण करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इन देश-विरोधी तत्वों से सख्ती से निपटने की रणनीति पर काम किया है। सीआरपीएफ तथा अन्य सुरक्षा बलों को नये हथियारों से लैस करने के अलावा उन्हें उचित प्रशिक्षण दिलाकर मदद की। टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया और ड्रोन वगैरह के अलावा संचार के तमाम आधुनिक साधनों को उपलब्ध करवाया।
दरअसल, नक्सल प्रभावित क्षेत्र घने जंगलों तथा दुर्गम इलाकों में स्थित हैं। वहां तक पहुंचना टेढ़ी खीर है लेकिन अब उन इलाकों में भी सड़कें बन गई हैं। लगभग 20 हजार किलोमीटर सड़कें बनवाकर सरकार ने वहां जवानों को ही नहीं बल्कि आदिवासियों के आवागमन को सुचारु कर दिया है। सुकमा जैसे घनघोर इलाके में अब अंदर तक सड़कें हैं और इस वजह से अर्धसैनिक बलों का आना-जाना संभव हो पाया है। इसके अलावा उन इलाकों में 68 ऐसे हेलीपैड भी बनवाये गये हैं जहां रात को भी हेलीकॉप्टर पहुंच सकें ताकि जवानों को लाया-ले जाया जा सके तथा रसद व हथियार फौरन पहुंचाये जा सकें। बलों के शिविरों की संख्या भी बढ़ाई गई है ताकि जवान एक जगह से दूसरी जगह जल्दी से पहुंच जायें।
नक्सलवाद के विरुद्ध सशस्त्र लड़ाई में डीआरजी, एसटीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ, राज्य पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों तथा अफसरों ने दुर्गम इलाकों में अपना ऑपरेशन चलाया और सैकड़ों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। वे भूखे-प्यासे दुर्गम इलाकों में तैनात रहते हैं।
केंद्र ने इन संगठनों को मजबूत किया है और उन्हें नई टेक्नालॉजी तथा हथियारों से लैस किया है। इससे नक्सलियों से दो-दो हाथ करने में उन्हें सफलता मिली है और बड़ी तादाद में नक्सली मारे गये हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में बजट में 300 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है ताकि संसाधनों का संकट न रहे। नक्सलवाद बढ़ने में गांवों के विकास की उपेक्षा एक बड़ा कारण था। दूर-दराज के गांवों में विकास की सिर्फ बातें ही होती थीं और वहां कुछ नहीं होता था और नक्सली नेताओं के लिए भोले-भाले आदिवासियों को बरगलाना आसान था। उनके पास जीविका के साधन नहीं थे, शिक्षा तो दूर की बात थी। लेकिन अब किसानों तथा अन्य को अपनी उपज का सही मूल्य मिलने लगा। उनके बनाये सामानों की बिक्री भी होने लगी और इससे उनकी आय बढ़ी। नये स्कूल बनाये गये और पुरानों को फिर से चालू कर दिया गया। कई इलाकों में नक्सलियों द्वारा उड़ाये गये स्कूलों को फिर से बना दिया गया है। स्वास्थ्य केन्द्रों में अब डॉक्टर नियमित रूप से आते हैं और उन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई कदम उठाये गये हैं। इनसे ग्रामीणों में उनके प्रति विश्वास बढ़ा और वे नक्सलियों से दूरी बनाने लगे हैं। बहुत से इलाकों में बिजली पहुंचाई जा रही है ताकि उनकी जिंदगी आसान हो और नक्सलियों को अंधेरे का फायदा न मिले। सख्ती और सुविधाएं, इन दोनों के साथ सरकार ने नक्सलियों को पीछे धकेलने में बहुत सफलता पाई। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2023 में नई सरकार बनने के बाद एक साल में ही सशस्त्र बलों ने 380 नक्सलियों को मुठभेड़ों में मार गिराया तथा 1045 ने सरेंडर कर दिया जबकि 1194 गिरफ्तार कर लिये गये। इन मुठभेड़ों में सिर्फ 26 जवान शहीद हुए। इन गिरफ्तार नक्सलियों के पुनर्वास और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए रोजगार की भी व्यवस्था की है। नि:संदेह, उचित विकास से ही सभी समस्याओं का समाधान मिलेगा। इसके तहत ही उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 36 महीनों तक हजार रुपये प्रति माह सहायता की भी व्यवस्था की गई है, जिससे वे नई जिंदगी जी सकें। आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों को भी विशेष अनुदान दिया जा रहा है।
गृह मंत्रालय अर्ध सैनिक बलों के वीर जवानों के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं पर भी काम कर रहा है। उनका मनोबल बढ़ाये रखने के लिए उनके लिए आयुष्मान सीएफएफ योजना लागू की गई है। सीजीएचएस के अस्पतालों में उनके इलाज तथा मुफ्त दवाओं की व्यवस्था की गई है। सरकार ने उनके लिए 2021 से 2026 के बीच 28,546 घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा है ताकि उनके आवास की समस्या दूर हो। अब तक कुल एक लाख मकान उन्हें आवंटित कर दिये गये हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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