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फिर भी कोई सानी नहीं

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विकास नैनवाल ‘अंजान’

लोकप्रिय साहित्य के अगर आप प्रशंसक रहे हैं तो ऐसा होना मुश्किल है कि आप वेद प्रकाश शर्मा से वाकिफ न रहे हों। वेद प्रकाश शर्मा एक समय में हिंदी के लोकप्रिय उपन्यासकारों में से एक रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का डंका बजा करता था और लोग हाथों-हाथ उनके उपन्यासों को ले लिया करते थे। यही कारण था कि उन्होंने अपना प्रकाशन तुलसी पॉकेट बुक्स खोला था। अस्सी के दशक में जब सब लोग कॉमिक बुक्स की तरफ बढ़ रहे थे तो उन्होंने भी कॉमिक बुक प्रकाशन की तरफ कदम रखा और तुलसी कॉमिक बुक्स का निर्माण किया। इस तुलसी कॉमिक बुक्स के लिए वेद जी ने कई किरदारों का निर्माण किया था। जंबू भी इन्हीं किरदारों में से एक था जो कि आगे जाकर तुलसी कॉमिक बुक का सबसे मकबूल किरदार हुआ। कहा जाता है उन्होंने यह किरदार अपनी बेटियों के कहने पर बनाया था।

जंबू मूल रूप से एक रोबोट था जिसे एक वैज्ञानिक डॉक्टर भावा द्वारा बनाया गया था। डॉक्टर भावा एक देशभक्त वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने जब यह खबर पढ़ी कि अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से मना किया है, तो उन्होंने सुपर कंप्यूटर से भी ऊपर की चीज बनाने की सोची। इसी सोच का नतीजा था जंबू जो कि सुपर रोबोट था। लेकिन देश के दुश्मनों को जब इसकी खबर मिलती है तो वो भावा पर हमला बोल देते हैं और उसमें उनकी हत्या हो जाती है। तब भावा के कहने पर जंबू भावा के दिमाग को अपने शरीर पर फिट कर देता है और एक साइबोर्ग बन जाता है। इसके बाद डॉक्टर भावा का तेज दिमाग और जंबू की ताकत मिलकर एक ऐसे सुपर हीरो का निर्माण कर देती है जिससे पार पाना हर किसी के बस की बात नहीं होता है। जंबू के भीतर कई शक्तियां थीं और इनमें से सबसे खास ये थी कि वह अपने शरीर के हिस्सों को अलग कर सकता था। जिसके बदौलत यह अपने शरीर के हर हिस्से को एक अलग हथियार के तरह प्रयोग कर सकता था।

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जंबू पाठकों को भी काफी पसंद आता था। वर्ष 2004 तक इसके कॉमिक बुक्स का प्रकाशन निरंतर चलता रहा। अभी हाल ही में कॉमिक इंडिया और राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता द्वारा जंबू के कॉमिक बुक्स का दोबारा प्रकाशन किया गया है। यह दर्शाता है कि आज भी इसके फैंस मौजूद हैं। भले ही आज युग डिजिटल का हो गया हो, लेकिन प्रिंट का अब भी कोई सानी नहीं है। बात चाहे अखबारों की हो, पत्रिकाओं की या फिर ऐसे ही कॉमिक्स या उपन्यासों की।

साभार : दुई बात डॉट कॉम

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