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जांबाजी का जज्बा

ब्लॉग चर्चा
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भारतीय सैनिकों के शौर्य की अद्भुत कहानियां हैं हमारे इतिहास में। सर्वस्व बलिदान से लेकर जान की बाजी लगाने तक। जब बात देश की आती है तो कोई भी रणबांकुरा पीछे नहीं होता। वह अपनी मातृभूमि के लिए मर मिटना ही अपना सर्वोपरि धर्म मानता है। यही नहीं, ऐसे वीर सिपाहियों के परिजन भी उतने ही महान होते हैं।

यह कहानी वर्ष 1971 के समय हुए युद्ध की है। असल में वर्ष 1971 के युद्ध में गोरखा राइफल्स के एक कर्नल ने अपने दो युवा साथियों से कहा-अटैक करना है, सुसाइडल है, फ्रंट पर तुम दोनों में से कोई एक ही रहेगा। तुम दोनों में से कौन तैयार है? उनके इस सवाल पर दो सैनिकों ने सोचने में जरा भी वक्त नहीं लगाया। एक ने कहा- जान की बाजी लगानी है तो मैं फ्रंट टीम में रहूंगा सर। उधर, दूसरा भी तुरंत तैयार हो गया। मैं तैनात रहूंगा सर। दोनों ही वीर सैनिक ऐसी जगह तैनाती को तैयार हो गए जहां जान की बाजी लग सकती हो। खैर, बहुत समझाने पर पहला वाला तैयार हुआ कि फ्रंट अटैक में वह नहीं रहेगा। पीछे वाली टीम में रहेगा।

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उधर, दूसरा वाला फ्रंट तैनाती से प्रसन्न था। उस बहादुर सैनिक ने पाकिस्तानी चौकी पर हमले से पहले सिर मुंडा लिया। उसने सिर क्यों मुंडाया, ये किसी को आज तक नहीं पता चल पाया। क्योंकि उस हमले में उनकी शहादत हुई। मौत से पहले कई पाकिस्तानी सैनिकों की गर्दन काटी थी उस महावीर ने। उस हमले में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी दौड़ा-दौड़ा कर मारा था। जब जंग खत्म हुई तो पहला वाला, दूसरे वाले के घर गया। बरेली में। मां ने कहा- मेरा बेटा हमेशा तुम्हारा नाम लेता था। कहता था कि वह मेरे लिए जान की बाजी लगा सकता है। अब मेरा बेटा नहीं है तो तुम ही मेरे बेटे हो। पहले वाले का नाम था- कैप्टन हिमकार वल्लभ पांडेय (25 साल)। दूसरे वाले का नाम था- कैप्टन प्रवीण कुमार जौहरी (सेना मेडल, मरणोपरांत) 23 साल। कर्नल थे श्याम केलकर।

बताते हैं कि इन दोनों रणबांकुरों की आपस में खूब बनती थी। दोनों ही सैन्य बलों के हिसाब से बेहतरीन अनुशासित सैनिक थे। युद्ध के दौरान जब फ्रंट पर जाने की बात होती थी तो दोनों आगे होते थे। इनके माता-पिता भी देखिए कितने महान कि जब हिमकार अपने मित्र प्रवीण के घर गए तो उनकी माताजी ने उन्हें गले लगा लिया और कहा कि तुम ही अब मेरे बेटे हो। सच में कमाल है हमारी सेना और ऐसे सैन्य परिवार। हम खुशकिस्मत हैं कि ऐसी सेना है हमारे पास। जय हिंद की सेना।

साभार : अब छोड़ो भी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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