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चाचा ही भतीजा और कभी भतीजा ही चाचा

तिरछी नज़र
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वैसे बिहार में चुनाव विमर्श कुछ-कुछ इसी अंदाज में चल रहा है। मसलन कोई कह रहा है कि तीर ही लालटेन है और लालटेन की तीर है। तो कोई कह रहा है कि ललन ही अनंत है और अनंत ही ललन है।

वैसे तो जी यह एक फिल्म का डायलॉग ही है, लेकिन मीम बनाने के लिए एकदम मुफीद है। वैसे भी बिहार में चुनाव विमर्श कुछ-कुछ इसी अंदाज में चल रहा है। मसलन कोई कह रहा है कि तीर ही लालटेन है और लालटेन की तीर है। तो कोई कह रहा है कि ललन ही अनंत है और अनंत ही ललन है। इसका खुलासा कुछ यूं है कि तीर जदयू का चुनाव चिन्ह है और लालटेन राजद का चुनाव चिन्ह है। और यह दोनों पार्टियां एक-दूसरे से मिली हुई हैं। वैसे दोनों एक-दूसरे की विरोधी हैं-एक के नेता नीतीशजी हैं और दूसरी के नेता लालूजी थे और अब तेजस्वी यादव हैं। दोनों मिलते रहते हैं, बिछुड़ते रहते हैं। नीतीशजी अक्सर तो भाजपा के साथ ही रहते हैं, पर कभी-कभी वे लालूजी यानी तेजस्वी के पास भी आ जाते हैं। हो सकता है हवा-पानी बदलने के लिए ही आते हों।

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इधर यह अटकलें खूब चल रही हैं कि नीतीशजी फिर हवा-पानी बदलने के लिए तेजस्वी के साथ आ सकते हैं। और इसीलिए यह उपरोक्त नारा सामने आया है। खैर, इसी आने-जाने के चलते नीतीश कुमारजी को पलटू कुमार का खिताब मिला। वरना एक जमाना था जब वे सुशासन बाबू हुआ करते थे। यहां यह भी बता देना उचित होगा कि तेजस्वी, नीतीशजी को चाचा कहते हैं और शायद मानते भी हैं और नीतीशजी भी तेजस्वी को भतीजा ही मानते हैं। यहां आप एक बार फिर से उपरोक्त फिल्मवाला डायलॉग दोहरा सकते हैं कि ओ शाब जी, चाचा ही भतीजा है और भतीजा ही चाचा है। तो यह तो हुआ तीर ही लालटेन है और लालटेन की तीर है वाला किस्सा।

अब सुनिए ललन ही अनंत है और अनंत ही ललन है का किस्सा। अनंत सिंह बिहार के बड़े बाहुबली हैं और वे जदयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ रहे हैं। उस इलाके को बाहुबलियों का इलाका कहा जाता है। सो उनके सामने एक-दूसरे बाहुबली सूरजभानसिंह की पत्नी चुनाव लड़ रही है। लेकिन वहां एक तीसरे बाहुबली भी थे-दुलारचंद यादव। वे इन दोनों बाहुबलियों में से किसी के साथ नहीं थे और जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे रहे थे। इन्हीं दुलारचंद यादव की हत्या हो गई और आरोप लगा अनंत सिंह पर। हल्ला मचा तो अनंत सिंह गिरफ्तार हो गए। ऐसे में उनके चुनाव का जिम्मा ले लिया ललन सिंह ने, जो जदयू के बड़े नेता हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। अनंत सिंह के चुनाव का जिम्मा लेते हुए ही उन्होंने उपरोक्त युक्ति कही बताते हैं कि अनंत ही ललन है और ललन ही अनंत है। ललन ने यह कहकर अपने अनंत होने का प्रमाण भी दे दिया कि चुनाव के दिन गरीब-गुरबों को उनके घरों में बंद कर देना ताकि वे वोट ही न दे सकें।

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