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बायोमेट्रिक वोटर कार्ड में विवादों का हल

पिछले एक दशक में, बायोमेट्रिक मतदाता पंजीकरण (बीवीआर) जैसी तकनीक जटिल चुनावी चुनौतियों और जालसाज़ी का सामना करने के लिए रामबाण साबित हुई है। ‘बीवीआर’ मतदाता की विशिष्ट शारीरिक विशेषताओं का विश्लेषण करता है, ताकि उनकी पहचान और मतदान के...
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पिछले एक दशक में, बायोमेट्रिक मतदाता पंजीकरण (बीवीआर) जैसी तकनीक जटिल चुनावी चुनौतियों और जालसाज़ी का सामना करने के लिए रामबाण साबित हुई है। ‘बीवीआर’ मतदाता की विशिष्ट शारीरिक विशेषताओं का विश्लेषण करता है, ताकि उनकी पहचान और मतदान के लिए उनकी पात्रता की पुष्टि की जा सके।

पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया, मैं घूमने नहीं, बच्चियों का जबरन खतना किये जाने पर रिपोर्टिंग के लिए गया था। गाम्बिया मेनलैंड अफ्रीका का सबसे छोटा देश है। इसकी उत्तरी, पूर्वी, और दक्षिणी सीमा सेनेगल से मिलती है। लगभग 28 लाख की आबादी वाले इस देश की एक-तिहाई जनसंख्या अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा 1.25 डॉलर प्रतिदिन से नीचे रहती है। दिलो-दिमाग़ में बैठा हुआ था, कि यह अफ्रीकी देश काफी पिछड़ा हुआ होगा। लेकिन यह भ्रम वहां की पत्रकार फातो कमारा से मिलने के बाद टूट गया। उन्हीं से जानकारी मिली कि गाम्बिया दुनिया का पहला देश है, जहां मतदाताओं के लिए बायोमेट्रिक कार्ड 2009 में इश्यू किया गया था।

सितम्बर, 2010 में भारत ने आधार कार्ड जारी किया था, जिसे वोटर कार्ड से भी पहचान के वास्ते जोड़ा जाने लगा। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। चुनाव आयोग ने नागरिकों के लिए अपने आधार नंबर को अपने मतदाता पहचान पत्र (जिसे चुनावी फोटो पहचान पत्र या ईपीआईसी भी कहा जाता है) से जोड़ना स्वैच्छिक बना दिया है। मतदाताओं को अपने कार्ड लिंक करते समय आधार प्रमाणीकरण के लिए अपनी सहमति फॉर्म 6-बी में देना आवश्यक है। एक बार सहमति दे देने के बाद उसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है, कि आधार कार्ड होना नागरिकता का प्रमाणीकरण नहीं है। पूरा देश जिस तरह नागरिकता को लेकर बहस में उलझा है, वह भारत में वोटर पहचानपत्र की वैधता पर सवाल खड़ा करता है। क्या भारत में जारी वोटर आई कार्ड दोषपूर्ण है? और यदि है, तो उसे कैसे दुरुस्त किया जा सकता है?

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कई देश नागरिकता, या उससे संबंधित पहचान के उद्देश्यों के लिए बायोमेट्रिक कार्ड का उपयोग करते हैं। अल्बानिया, ब्राज़ील, नीदरलैंड और सऊदी अरब ऐसे मुल्क हैं, जिनके राष्ट्रीय बायोमेट्रिक पहचान पत्र यात्रा दस्तावेजों के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के मानक का पूरी तरह से अनुपालन करते हैं। इसके अतिरिक्त, नॉर्वे, आइसलैंड और लिश्टेन्टाइन जैसे देश, यूरोपीय संघ के मानकों का पालन करने वाले बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करते हैं। कुछ देश अपनी व्यापक राष्ट्रीय पहचान प्रणालियों में बायोमेट्रिक्स का उपयोग करते हैं, जिन्हें नागरिकता या उनकी रिहाइश से जोड़ा जा सकता है। यूरोपीय संघ के सदस्य देश बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करने के लिए बाध्य हैं, और इन्हें आमतौर पर ईयू और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के भीतर वैध यात्रा दस्तावेजों के रूप में स्वीकार किया जाता है। यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (ईईए) के सदस्य देशों, जिनमें नॉर्वे, आइसलैंड और ऑस्ट्रिया व स्विट्जरलैंड के बीच छोटा सा देश लिश्टेन्टाइन शामिल हैं, उन्हें भी यूरोपीय संघ के नियमों के अनुरूप बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करना आवश्यक है।

कई देशों ने अनिवार्य राष्ट्रीय पहचान प्रणालियां लागू की हैं, जिनमें अक्सर विभिन्न पहचान उद्देश्यों के लिए बायोमेट्रिक डेटा, जैसे उंगलियों के निशान या चेहरे की पहचान, शामिल होता है। इनमें अर्जेंटीना, बेल्जियम, कोलंबिया, जर्मनी, इटली, पेरू और स्पेन जैसे देश शामिल हैं। अल्बानिया, ब्राज़ील, नीदरलैंड, सऊदी अरब के राष्ट्रीय बायोमेट्रिक पहचान पत्र, यात्रा दस्तावेज़ माने जाते हैं। पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया ने बायोमेट्रिक पहचान पत्र, ‘गैम्बीस’ लागू किए हैं, जो यात्रा के साथ निवास परमिट भी है। तंजानिया भी, गाम्बिया की तरह चुनावों के लिए बायोमेट्रिक मतदाता पंजीकरण को फुलप्रूफ मानता है।

पोलैंड अपनी राष्ट्रीय पहचान प्रणाली में फ़िंगरप्रिंट बायोमेट्रिक्स का उपयोग करता है। भारत केवल आधार प्रमाणीकरण के लिए बायोमेट्रिक्स का उपयोग करता है, जो बैंकों, कोर्ट और विभिन्न उपक्रमों में केवाईसी या रजिस्ट्रेशन के काम आते हैं। राष्ट्रमंडल पर्यवेक्षक समूह ने सिफारिश की है कि राष्ट्रीय पहचान पत्र (एनआईडी) जैसी फ़ोटो पहचान प्रक्रिया का उपयोग मतदाता सूची की सटीकता में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है और चुनाव में आम विश्वास बढ़ा सकता है।

पिछले एक दशक में, बायोमेट्रिक मतदाता पंजीकरण (बीवीआर) जैसी तकनीक जटिल चुनावी चुनौतियों और जालसाज़ी का सामना करने के लिए रामबाण साबित हुई है। ‘बीवीआर’ मतदाता की विशिष्ट शारीरिक विशेषताओं का विश्लेषण करता है, ताकि उनकी पहचान और मतदान के लिए उनकी पात्रता की पुष्टि की जा सके। यह तकनीक किसी व्यक्ति की पहचान की चोरी, एक से अधिक मतदान, धोखाधड़ी, और हेरफेर के अन्य तरीकों को टारगेट करती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है आंखों की बायोमेट्रिक। आंखों की रेटिना में हेराफेरी अब तक किसी तकनीक के ज़रिये सम्भव नहीं हुआ है।

बायोमेट्रिक तकनीक में व्यवहार संबंधी विशेषताओं का भी विश्लेषण, व्यक्ति की आवाज़, की-स्ट्रोक या हस्तलेखन शामिल हैं। अक्सर, स्कैन किए गए हस्ताक्षर मतदाता की बायोमेट्रिक प्रोफ़ाइल का हिस्सा होते हैं। सभी बायोमेट्रिक डेटा को पहले एक कैमरे या सेंसर द्वारा एक छवि के रूप में कैप्चर किया जाता है। फिर छवि को एक बायोमेट्रिक टेम्पलेट के ज़रिये डेटाबेस में संगृहीत किया जाता है। इसे प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक रूप से मतदाता पहचान पत्र में जोड़ा जा सकता है।

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए 130 देशों में से 25 प्रतिशत देश मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की पहचान के लिए बायोमेट्रिक जानकारी का उपयोग करते हैं। कई मामलों में मैन्युअल सत्यापन शामिल होता है। जैसे कि एक मतदानकर्मी, मतदाता सूची में किसी मतदाता की तस्वीर के आधार पर उसकी उपस्थिति की जांच करता है। बीवीआर का उपयोग मुख्य रूप से अफ्रीका, पश्चिम एशिया, और लैटिन अमेरिका में होना शुरू हो गया है। मोरक्को, कोलंबिया, पेरू, भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान केवल फ़िंगरप्रिंट स्कैन करते हैं। कई देश दोनों एकत्र करते हैं, जैसे मेक्सिको, नाइजीरिया और मोज़ाम्बिक। ब्राज़ील जैसे अन्य देश तस्वीरों और फ़िंगरप्रिंट के अलावा हस्ताक्षर भी एकत्र करते हैं।

ऐसा भी नहीं, कि दुनिया के सारे देश बायोमेट्रिक स्वीकार कर लें। कुछ देशों में बायोमेट्रिक डाटा, सांस्कृतिक मान्यताओं और प्रथाओं का उल्लंघन कर सकता है। मसलन, पापुआ न्यू गिनी में, मतदाता के बारे में इतनी डिटेल जानकारी होती है, जिसके दुरुपयोग का खतरा बना रहता है। बायोमेट्रिक के बारे में नकारात्मक अफवाहें भी फैलती हैं। सवाल उठता है, कि क्या दुष्ट लोग इसके डेटा में संग्रह जानकारी का जादू-टोने में इस्तेमाल कर सकते हैं? उदाहरण के लिए, नाइजीरिया के ग्रामीण इलाकों में कुछ मतदाताओं का मानना है कि बायोमेट्रिक डेटा, जैसे कि उनकी तस्वीर, उन्हें ‘शैतानी हरकतों’ का शिकार बना सकता है। सोलोमन द्वीप समूह में लोग संदेह करते हैं, कि दुष्ट आत्माओं को अपने शत्रु के शरीर पर सवारी के लिए लोग बायोमेट्रिक तस्वीरों का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर भी, भारत जैसा विविधताओं और बहुसांस्कृतिक देश में जादू-टोना बेमानी है। जिस तरह चुनावी पहचान के दुरुपयोग की बातें समय-समय पर उठती हैं, बायोमेट्रिक वोटर कार्ड एक बेहतर उपाय है!

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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