उ.प्र.शासन ने निर्णय लिया है कि ड्रोन के ज़रिए डर पैदा करने या ग़लत सूचना फैलाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, शासकीय चेतावनी के बाद भी ड्रोन उड़ने की चर्चा लगातार जारी है।
‘ड्रोन गिरोह’ की अफवाहों से कई राज्यों में दहशत की स्थिति बनी हुई है। प्रभावित दो-तीन राज्यों में कथित ड्रोन चोरों से लोग इतने भयभीत हैं कि रातों में जाग-जाग कर अपने घरों और परिजनों की पहरेदारी कर रहे हैं। डरे हुए लोग ‘ड्रोन चोरों’ को ‘आसमानी चोर’ कहने लगे हैं। आकाश में रात के वक्त सैकड़ों फुट ऊंचाई पर मंडराते कथित रहस्यमय ड्रोनों से सन्नाटा इस कदर फैला है कि पत्तों की सरसराहट या झींगुरों की भिनभिनाहट मात्र से भी लोग डर जाते हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस महकमा भी अलर्ट मोड पर है। रात में जायजा लेने को पुलिस-प्रशासन के आला अफसर भी ग्राउंड ज़ीरो पर उतरे हुए हैं।
दरअसल, अफवाह ग्रामीणों की नासमझी से ज्यादा फैल रही है। ड्रोन दिखाई पड़ने पर वह पुलिस से संपर्क करने के बजाय सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप गलत सूचनाएं फैला देते हैं, जिससे स्थिति विकट हो रही है। हालांकि, ऐसे लोगों पर पुलिस सख्ती भी दिखा रही है।
पिछले दो सालों से ‘स्वामित्व योजना’ के तहत केंद्र सरकार ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण भी ड्रोनों से करवा रही है। योजना मार्च-2026 तक पूरी होनी है। करीब 3 लाख 44 हजार गांवों का सर्वेक्षण होना है। इसके पीछे सरकार का मकसद ग्रामीण संपत्ति के मालिकों को उनकी संपत्ति का मास्टर कार्ड वितरण करना है। करीब 92 फीसदी कार्य ‘ड्रोन मैपिंग’ से पूरा हो चुका है, जिसमें 31 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं। सवाल उठता है क्या इस वक्त जो ड्रोन उड़ रहे हैं, वो इसी योजना का हिस्सा हैं? हालांकि अभी तक कोई तथ्यात्मक सच्चाई बाहर नहीं निकल पाई।
प्रथम दृष्टया प्रशासन ने ड्रोन घटनाओं को अफवाह ही माना है। कहीं ड्रोन की घटनाओं के पीछे कोई ऐसी हकीकत तो नहीं छिपी जिसे शासन-प्रशासन और सुरक्षा महकमा सार्वजनिक न करना चाहता हो? राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा तो कोई मसला नहीं? सच्चाई के असल नतीजों तक अभी कोई नहीं पहुंच पाया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अनेक जिलों में इस समय ड्रोन लुटेरों की ही चर्चाएं हैं।
धीरे-धीरे ये दहशत अब अन्य राज्यों में भी फैलती जा रही है। बिहार के सासाराम और मध्यप्रदेश के गुना जिले में भी ड्रोन उड़ते देखे गए हैं। अफवाहें हैं कि चोर रात्रि में घरों का ड्रोन से सर्वेक्षण करते हैं और अगली रात धावा बोलते हैं। एकाध घटनाएं घटी भी हैं, लेकिन उन घटनाओं से कोई हकीकत सिद्ध नहीं हुई। पुलिस-प्रशासन दोनों भी इस अनसुलझी पहेली में उलझे हुए हैं। प्रशासनिक स्तर पर ड्रोन की घटनाएं बेशक अफवाह बताई जा रही हों लेकिन ग्रामीण मानने को राजी नहीं? बीते मात्र तीन हफ्तों में उत्तर प्रदेश में 365 और उत्तराखंड में 245 ऐसी घटनाएं घटी हैं।
गौरतलब है कि अफवाहों के गर्भ से निकली कथित ड्रोन चोरों की ये घटनाएं अब हिंसा में बदलने लगी हैं। गत दिनों बिजनौर के कोतवाली क्षेत्र में रात के वक्त एक घटना घटी, जिसमें एक औरत की हत्या का प्रयास हुआ। सुबह पुलिस ने छानबीन कर आसपास के लोगों से पूछताछ की, तो पता चला कि महिला पर हमला ड्रोन चोरों ने नहीं, बल्कि पड़ोसी ने किया, जिनसे उनका पुराना जमीन विवाद है। चोर समझकर अंधेरे में चलने वाले राहगीरों के साथ मारपीट की घटनाएं भी बढ़ी हैं। शराबियों की तो शामत ही आई हुई है। बिना किसी वजह हादसे का शिकार न हो जाएं, इसलिए रात्रि पाली में काम करने वाले कर्मचारी भी घरों से बाहर नहीं निकल रहे। ऐसी भी घटनाएं खूब सामने आ रही हैं, जहां ड्रोन चोरों की आड़ में लोग अपनी पुरानी दुश्मनी निकाल रहे हैं। दशहत और अफवाहें इस कदर देहातों में व्याप्त हैे कि आसमान में चमकती रोशनी को भी ड्रोन समझ कर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश में कथित ड्रोन चोरों ने कुछ ज्यादा माहौल बिगाड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने तत्काल आपातकाल बैठक बुलाई। हालांकि, उससे पहले ही अधिकारियों ने शासन को बताया था कि ‘ड्रोंस के मामले’ में कुछ उत्पाती लोग उन्माद फैलाने की फिराक में हैं। शासन ने निर्णय लिया है कि ड्रोन के ज़रिए डर पैदा करने या ग़लत सूचना फैलाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, शासकीय चेतावनी के बाद भी ड्रोन उड़ने की चर्चा लगातार जारी है। दो दिन पहले भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर एक और उच्च-स्तरीय बैठक हुई, जिसमें बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश पारित हुआ। जिसके उल्लंघन में कुछ यूट्यूबर और कैटरिंग वाले पकड़े गए। फिलहाल, पुलिस की पूछताछ में उनकी ड्रोन हरकतों में संलिप्ता नहीं मिली।
गौतललब है, भारत के विभिन्न प्रदेशों में समय-समय पर किस्म-किस्म के चोर गिरोहों से अफवाहें फैलती रही हैं। मौजूदा ड्रोन से जुड़ी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड और यूपी सरकार ने पुलिस हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। जहां रात्रि के वक्त रोजाना सैकड़ों कॉल्स ड्रोन देखे जाने के संबंध में आ रही हैं। ऐसी 7900 कॉल्स को पुलिस ने अभी तक रिकॉर्ड किया है। ड्रोन देखे जाने की सूचनाएं ज्यादातर अफवाहें ही साबित हो रही हैं ।
प्रशासन को ‘ड्रोन चोरों’ से फैली अफवाहों पर तुरंत अंकुश लगाना होगा, नहीं तो ग्रामीण ड्रोन गिरोह के सदस्यों के शक में बेकसूर लोगों को निशाना बनाते रहेंगे। बरेली में पिछले शनिवार सबसे दर्दनाक घटना हुई, जहां मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को ‘ड्रोन गिरोह’ का सदस्य समझकर लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला।