आलोक पुराणिक
चालू यूनिवर्सिटी ने ब्रांड विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया था, इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है :-
बदलते वक्त में बहुत कुछ बदल जाता है। यूपी में योगी आदित्यनाथ की प्रचंड जीत के बाद बुलडोजर का स्टेटस बिलकुल अलग तरह का हो गया है। बुलडोजर को पहले सिर्फ बिल्डिंग तोड़क वाहन माना जाता था, अब बुलडोजर का रिश्ता कानून व्यवस्था से माना जाता है। यूपी में बुलडोजर बाबा हैं, अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री खुद को बुलडोजर मामा के तौर पर स्थापित करने में जुट गये हैं। बुलडोजर भैया, बुलडोजर मौसी, बुलडोजर मौसा, बुलडोजर फूफा -सब बहुत जल्दी देखने को मिल सकते हैं। बुलडोजर चल निकला है। अब बड़ी-बड़ी कार कंपनियां नया वाहन लांच कर सकती हैं-मारुति बुलडोजर, फॉर्चुनर बुलडोजर, रोल्स रॉयस बुलडोजर। अब बुलडोजर स्टेटस सिंबल है।
जो कुछ स्टेटस सिंबल हो जाता है, उसमें बड़ी कंपनियों की, बड़े कारोबारियों की दिलचस्पी हो जाती है। एक जमाने में भुट्टे को बहुत स्टाइलिश खाना नहीं माना जाता था, पर भुट्टा अंग्रेजी में कोर्न होकर बहुत पापुलर हो गया है। कोर्न अब स्टेटस सिंबल है।
कुछ दिनों बाद बुलडोजर को भी एक स्टेटसवान वाहन की मान्यता मिल जायेगी, अमीर घरों के बच्चे बुलडोजर में स्कूल-कॉलेज जायेंगे। बहुत मोटी सेलरी पाने वाले इंपलॉयी बुलडोजर में बैठकर दफ्तर जायेंगे। आईपीएल के मैचों में बतौर इनाम कोई कार दी जाती है। अब संभव है कि बुलडोजर को लाकर फील्ड में रख दिया जाये और उसे ही बतौर इनाम में दे दिया जाये। पर बुलडोजर अब वह एक हद तक राजनीतिक निशान हो गया है।
बुलडोजर को लेकर गौतम गंभीर और हरभजन सिंह में भी लड़ाई हो सकती है। हरभजन सिंह कह सकते हैं कि बुलडोजर को अगर फील्ड में रखा जाये, तो फिर झाड़ू को भी फील्ड में रखा जाये। अगर बुलडोजर को बतौर गिफ्ट दिया जाये तो झाड़ू को भी बतौर गिफ्ट दिया जाना चाहिए। कल को अगर कोई खिलाड़ी समाजवादी पार्टी का समर्थक आ गया, तो फिर उसका आग्रह हो सकता है कि साइकिल को भी फील्ड में रखा जाये। फिर बहुत संभव है कि क्रिकेट की कवरेज ठीक वैसी हो जाये, जैसी इन दिनों टीवी चैनलों की प्राइम टाइम डिबेट हो गयी है। क्रिकेट की कमेंट्री में बुलडोजर साइकिल को रौंदता दिखायी दे या साइकिल झाड़ू को कुचलती हुई निकल जाये।
कुल मिलाकर बुलडोजर को नया स्टेटस हासिल हो गया है। बुलडोजर अब बच्चों के खिलौने के तौर पर भी पापुलर हो जायेगा। बुलडोजर, साइकिल, झाड़ू-अब खिलौने न रहे, अब ये राजनीतिक औजार हो गये हैं। औजार होने में कोई दिक्कत नहीं है, बस ये राजनीतिक हथियार न बनें। खैर, अब इंतजार करें कि जल्दी ही रोल्स राॅयस का बुलडोजर भी जाये।