खासजनों का चैन तो कोई लूट ही नहीं सकता है पर चेन लूटने का दुस्साहस दुर्भाग्य से आप जैसे कुछ लोग कर बैठते हैं। जब कभी किसी माननीय या किसी बड़े व्यक्ति का सामान आप चुराएंगे, उनसे छीना-झपटी करेंगे तो आप आनन-फानन में पकड़े जाएंगे।
छिनतई करने वालो, चोरी-चकारी करने वालो, झपटमारो, आप सभी से अनुरोध है कि आप जो झपट्टा मारकर गले से चेन उड़ा लेते हैं, जो सामान चोरी करते हैं, वह आमजनों से ही करें। यानी आम आदमी के सामान पर ही अपना हाथ साफ करें। जैसे आम फलों का राजा है वैसे ही आमजन लोकतंत्र का राजा होता है। जैसे आम केरीकाल में चटनी बनाने, पाना बनाने, अचार बनाने से लेकर पकाकर खाने, जूस बनाने के लिए प्रयोग होता है वैसे ही आमजन वोट लेने, कर वसूली जैसे कई सद्कार्यों में होता है। आमजनों का चेन लुटे या चैन, किसी को इसकी परवाह नहीं होती।
खासजनों का चैन तो कोई लूट ही नहीं सकता है पर चेन लूटने का दुस्साहस दुर्भाग्य से आप जैसे कुछ लोग कर बैठते हैं। जब कभी किसी माननीय या किसी बड़े व्यक्ति का सामान आप चुराएंगे, उनसे छीना-झपटी करेंगे तो आप आनन-फानन में पकड़े जाएंगे। जैसे अर्जुन का लक्ष्य चिड़िया की आंख ही होती थी, वैसे ही आम जनता ही आपका लक्ष्य होना चाहिए। तभी आप सुरक्षित रहेंगे। आम जनता ही है जिसे ठग कर, प्रताड़ित करके, खास व्यक्ति सुखी रह सकता है। चूंकि आप लोग चोरी चकारी, छीना-झपटी में माहिर हैं, आप आमजन न होकर खासजन की श्रेणी में आ गए हैं। पर इतने भी खास नहीं हुए हैं कि वास्तविक खासजनों के ऊपर ही अपना हाथ साफ करने लगें।
खासजनों को अगर आप लोग लूटेंगे तो बड़ी बदनामी होगी कि मौसेरे भाई ने मौसेरे भाई को लूट लिया। एक ऐसे नादान व्यक्ति का हाल आपने देख लिया होगा जिसने किसी खास व्यक्ति के गले से चेन छीना। कुछ ही दिनों के अंदर बेचारे पकड़े गए। यानी खास व्यक्ति से चेन छीनकर उसने अपना चैन गंवा दिया।
कुछ वर्षों पहले की बात है। किसी खास व्यक्ति के किसी भाई भतीजे के बैग की चोरी आप जैसे किसी चोरी-झपटमारी विशेषज्ञ व्यक्ति ने की थी। आनन-फानन में वह भी पकड़ा गया था जबकि अपने इस पुण्यकर्म के बाद वह दो राज्य पार कर तीसरे राज्य में प्रकट हुआ था। दूसरी ओर आमजनों को जो चाहे वह लूट सकता है। इस तरह जैसे बहती गंगा में कोई भी हाथ धो सकता है या कहें कि नहा सकता है।
आमजन के टैक्स से बना पुल भरभरा कर गिर जाए या स्कूल की बिल्डिंग की छत गिर जाए किसी को कोई कष्ट नहीं होता, किसी को कोई परवाह नहीं होती। इस क्रम में कुछ लोग हताहत भी हो जाएं तो चलेगा। जो इसके लिए दोषी होता है उसे कोई कुछ नहीं कहता।
सच पूछा जाए तो इसके लिए दोषी कोई होता ही नहीं है। अगर कोई दोषी होता भी है तो वही होता है जो उस पुल के गिरते समय उससे गुजर रहा होता है या जो स्कूल के छत के नीचे बच्चे पढ़ रहे थे।