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रील और रोजगार, बाकी सब बेकार

तिरछी नज़र
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इन दिनों रील महत्वपूर्ण हो गई है। दुनिया को देखने और आंखों को सेंकने में बराबरी का योगदान दे रही है। गांव और शहरी विकास को बराबरी पर ला खड़ा किया है। गांव का भीखू हो या शहर का चीकू, चट से रील बनाने और फट से दुनिया को दिखाने में दक्ष हो गया है।

रील से हवा भी चलती है। तीस सेकंड की रील से हवा लगी कि मध्य के एक प्रदेश में सोने का भंडार मिला है। सोना तो सोना होता है। इसने लोगों का सोना हराम किया हुआ है। मैंने मनोयोग से रील देख ली और रील में सोना ही सोना बरसने लगा। रील दर रील सोने की खबरें आने लगीं। एक रील निर्माता बता रहे थे कि सोने की खदान देखकर ऐसा लगता है कि देश की ‘सोने की चिड़िया’ यहीं पर दफन की गई होगी। अब देश से ग़रीबी समाप्त हो जाएगी।

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इन दिनों रील महत्वपूर्ण हो गई है। दुनिया को देखने और आंखों को सेंकने में बराबरी का योगदान दे रही है। गांव और शहरी विकास को बराबरी पर ला खड़ा किया है। गांव का भीखू हो या शहर का चीकू, चट से रील बनाने और फट से दुनिया को दिखाने में दक्ष हो गया है। मज़ा ये है कि एक दफा कोई रील देख लो, उसी स्वाद की रील की रेलमपेल हाज़िर हो जाती है। जनकलाल ने एक बार मूड में आकर रील से आंखें सेंक लीं और बेचारे रील में उलझ गए। रीलों की गर्मी से हफ्ते भर मुक्त नहीं हो पाए। श्रीमती जी से मोबाइल छुपाए, नज़रें चुराकर घूमते रहे। ऊपर से हफ्तों प्रवचन की रील के मनके सरकाए तब जाकर मुक्ति मिली। हालांकि, भय बाद में भी बना रहा। पता नहीं कब कोई मोहनी बाला रील सरकाते हुए रील में थिरकती हुई प्रकट हो जाएगी और उनका तपोभंग कर देगी।

सुना है, रील से रोजगार का सफर आसान हो गया है। रील से कमाई भी होती है। चुटकियों में रील बनाओ और लाइक्स पाओ। जमीन पर बैठकर रोटियां सेंकते समय मोबाइल-कैमरा ऑन करके सामने रख लो। रोटियां तैयार और रील भी। या फिर पलंग के नीचे मोबाइल कैमरा ऑन करके छोड़ दो और बिस्तर संवारते हुए, मच्छरदानी टांगते हुए शूट कर लो। बतर्ज हर्र लगे न फिटकरी... ‘कपड़े लगे न कारीगरी, रील चोखी बन जाए’। रील हिट, लाइक्स के लिए फिट।

बहरहाल, बात सोने की हो रही थी। मुई रील ध्यान भटका देती है। इधर सोने का भंडार मिला, उधर कुछ गधे टाइप डकैतों ने मात्र पंद्रह किलो सोने के लिए एक बैंक में डकैती डाल दी। अपुष्ट रीलों से पता चला है कि उन्होंने रील में देखा था कि हाल ही में सोना लाख रुपये के ऊपर पहुंच गया है और उन्हें आशंका थी कि खदान के मिलने से सोना सस्ता हो जाएगा। ग़रीबी जब मिटेगी, मिटेगी। सरकार को क्यों परेशान करना, जो काम वे खुद कर सकते हैं, कर डालें।

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