आलोक पुराणिक
चालू विश्वविद्यालय ने पर्यटन विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया था, उस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त निबंध इस प्रकार है—
पर्यटन कई प्रकार के होते हैं- सरकार बनाने वाला पर्यटन, मून पर जाने के पैकेज का पर्यटन, हनीमून पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, थोड़ा घूमा ज्यादा बताया पर्यटन और फोटोशॉप पर्यटन। इन दिनों सरकार बनाने वाला पर्यटन बहुत पॉपुलर हो गया है। मुंबई की सरकार बनानी हो तो लोग गोहाटी जाते हैं और राजस्थान की सरकार बचानी हो, तो विधायक बंगलूरु जा सकते हैं। बंगलूरु की सरकार गिरानी हो, तो विधायक मुंबई आ सकते हैं यानी सरकार बनाने और बचाने के काम अपने-अपने राज्य में न हो सकते, दूसरे इलाके का पर्यटन जरूरी है। यूं सरकारें बनाने और गिराने में पर्यटन की भूमिका अतीत में भी कम महत्वपूर्ण नहीं रही है। पुराने जमाने में बाबर जब अपने इलाके के आसपास सरकार बनाने में नाकामयाब रहा तो अफगानिस्तान के रूट से आकर उसने भारत में हुकूमत बना ली। हनुमान जी तो विदेश जाकर यानी श्रीलंका जाकर रावण की हुकूमत गिराने का इंतजाम कर आये। अंग्रेजों को चार-पांच सौ साल पहले दुनिया भर में हुकूमतें बनाने के लिए दुनियाभर में घूमना पड़ता था। हुकूमत बनाना और फिर बचाये रखना बहुत मुश्किल काम है, यह बात उद्धव ठाकरे को बहुत देर से समझ में आ रही है। सरकार बनेगी या बचेगी, यह बात अब सदन के पटल से पहले होटल में तय हो जाती है। एक सुझाव विशेषज्ञ यह भी दे रहे हैं कि अब बेहतर है कि तमाम होटलों को ही विधानसभा का दर्जा दे दिया जाये।
राजनीतिक पर्यटन के लिए चिन्हित शहरों जैसे गोहाटी, बंगलूरु, मुंबई आदि में हर राज्य अपना कोपभवन बना सकता है। चिढ़े-कुढ़े विधायक वहां जाकर बैठ जायें और डील सेट कर लें। लोकतंत्र बिना फाइव स्टार होटल के तो बच ही नहीं सकता। कन्याकुमारी से कश्मीर तक, मुंबई से लेकर गोहाटी तक देश एक ही है, यह पता हमें सरकार निर्माण पर्यटन के जरिये ही चलता है। मुंबई से चले विधायक की रक्षा में गोहाटी का पुलिस वाला तैनात होता है, इससे तमाम राज्यों में आपस में प्रेम बढ़ता है।
राजस्थान के विधायक राजमहेंद्री आंध्र प्रदेश में जाकर छिपें, पंजाब के विधायक तमिलनाडु में जाकर अपनी सरकार को धमकायें, इस तरह की बातों से देश का संघीय ढांचा मजबूत होता है।
हनीमून पर्यटन का भी भारत में बहुत महत्व है। शादी के बाद विवाहित जोड़ा हनीमून पर जाता है। हनीमून पर्यटन बहुत धोखादेह पर्यटन होता है, हनीमून के वक्त हर बंदा समझने लगता है कि जिंदगी में हनी है और मून है। पर बाद की जिंदगी बताती है कि हनी, मनी, खुशी, शांति उतनी ही दूर है जितनी दूर मून है।