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गर्व ही गर्व और बाकी कसक

तिरछी नज़र

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राजशेखर चौबे

बख्शी जी सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और अपनी धर्मपत्नी के साथ हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं। आजकल वे किसी भी बात पर गर्व करने लगे हैं। वे हाउसिंग सोसायटी के अन्य अंकलों जैसे ही हैं। वे अच्छी-खासी पेंशन पाते हैं और अब पुरानी पेंशन योजना को सफेद हाथी बताते हैं। वे केवल और केवल मैसेज फॉरवर्ड करते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। तीनों अपने-अपने परिवार के साथ अमेरिका में रहते हैं। बख्शी जी को अब गर्व करने का ज्यादा मौका मिलने लगा है। वे ताली-थाली बजाकर, नोटबंदी पर, जीएसटी पर, तालाबंदी पर और पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस महंगी होने पर भी गर्व कर लेते हैं। किसी के दुखी होने पर, किसी की लिंचिंग होने पर भी भीतर से गर्व महसूस कर सकते हैं। वे शर्म की बात पर भी गर्व कर लेते हैं। उनके एक मित्र उनके घर आ गए।

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बख्शी : हम फाइव ट्रिलियन डॉलर की इकाेनॉमी बनने वाले हैं, कितने गर्व की बात है।

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मित्र : लेकिन 81 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन भी दिया जा रहा है। इस पर भी थोड़ा गर्व कर लो।

बख्शी : रेवड़ी में विपक्षियों का भरोसा है, हमारा नहीं। आज 500 वर्षों से रुका हुआ काम हो रहा है। हमारे पास अगले हजार साल का रोड मैप तैयार है।

मित्र : पर कैपिटा इनकम में हम बांग्लादेश से भी पीछे हैं।

बख्शी : यह सब ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के कारण है।

मित्र : आप भी उनकी भाषा बोलने लगे। आपको कौन-सा चुनाव लड़ना है?

बख्शी (हंसकर) : देश में चुनाव चल ही रहा है। इस बार 400 पार करना है।

मित्र : आपका अमेरिका दौरा कैसा रहा? आपके तीनों बच्चे कैसे हैं?

बख्शी : अमेरिका में भी इंडिया का डंका बज रहा है। सभी बड़े देश इंडिया से डरे हुए हैं।

मित्र : ऐसा क्यों?

बख्शी : हमारी बढ़ती ताकत से सब घबराए हुए हैं।

मित्र : आपके छोटे बेटे सचिन के साथ वहां जो घटना हुई थी उसमें क्या प्रोग्रेस है।

बख्शी : कुछ खास नहीं। वहां भी बाहरी लोगों का विरोध और भेदभाव है। बाद में उसके साथ और भी मारपीट हुई थी।

मित्र : खैर, छोड़ो ये सब बातें।

बख्शी : अगले पांच साल में हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होंगे।

मित्र : तीसरी सबसे बड़ी इकाेनॉमी होने की खुशी में तीनों बच्चों को अमेरिका से इंडिया बुलवा लीजिए।

बख्शी : जो कुछ भी हो जाए अमेरिका अमेरिका रहेगा और इंडिया इंडिया। बख्शी जी का गला भर आया। वे दुखी मन से बोले वे क्या कोई भी वापस आने वाला नहीं है। बख्शी जी फफक-फफक कर रोने लगे। मित्र ने उन्हें सांत्वना दी। दोनों मित्र गिले-शिकवे भुलाकर गले मिले।

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