कई बार मेरा पोता स्कूल से उछलता-कूदता घर आता है। जब वह कूदता है तो सिर्फ उसका बदन नहीं उछल रहा होता बल्कि उसकी कूद में उसका दिल भी बल्लियों उछल रहा होता है। एक विश्व-विजेता की तरह वह गर्व से बताता है कि आज तो उसकी टीचर ने उसकी हैंडराइटिंग की पूरी क्लास में तारीफ की। कभी बताता है कि उसकी प्रिंसिपल ने उसे बुलाकर कहा कि तुम्हारे जूते बहुत चमक रहे हैं। और कभी बताता है कि हिन्दी में पूरे उत्तर ठीक लिखने पर उसे एक्सीलेंट मिला है। ऐसी छोटी-छोटी शाबाशियां उसे रोमांचित करती हैं।
निःसन्देह उसे ही नहीं बल्कि प्रत्येक बच्चे को करती होंगी। मुझे उसकी इन बातों से मंत्र मिल जाता है कि सही समय पर किसी की पीठ पर शाबाशी ठोक कर हम किसी भी व्यक्ति की ताकत को द्विगुणित कर सकते हैं।
विकसित और संभ्रान्त समाज में अनेक बार अनुभव हुआ है कि दूसरों की सराहना करने के लम्हों में लोग चुप्पी ओढ़ लेते हैं। विवाह-शादियों या अन्य पार्टियों में जब लोग पूरे दमखम से सजधज कर पहुंचते हैं तो मैंने किसी एक को भी एकाध की तारीफ करते नहीं देखा। महिलायें तो अपने शृंगार पर हजारों खर्च करने के बाद भी इस बात से वंचित ही रह जाती हैं कि कोई उन्हें बताये कि उनका केश विन्यास या हीरों का हार कैसा लग रहा है। स्वादिष्ट दावत उड़ाकर आने पर भी कोई यह कांप्लीमेंट देकर नहीं जाता कि खाना लज़ीज़ बना है। क्या इस तरह की चुप्पी मानसिक दीवालियापन की सूचक है?
तारीफ की तारीफ के बारे में क्या कहा जाये? यह जादू है, दवा है, ऊर्जा है, संजीवनी है, मरहम है। एक शब्द में तारीफ की करामात बयां करना कठिन है।
विषय को आगे बढ़ाने से पहले एक पल रुक कर स्पष्ट करना होगा कि चमचागिरी और तारीफ में फर्क है। चमचागिरी में बनावटी तारीफ होती है, सप्रयोजन तारीफ होती है पर दिल से की गई सराहना यह इंगित करती है किसी पल, प्रतीक, प्रस्तुति, प्राप्ति, व्यक्ति, वस्तु, परिणाम, उपलब्धि, कार्यशैली आदि ने कितनी गहराई से हमारे हृदय को स्पर्श किया है। चमचे तो बर्तन भी खाली कर देते हैं और इनसान को भी। चापलूसी की भाषा और भीख मांगने में ज्यादा अंतर नहीं है। पर सच्ची सराहना हमें ताकत और संतुष्टि प्रदान करती है। खैर…बटर है कमाल की चीज। दूसरों को लगाओ तो लोग फूल जाते हैं और खुद के लगाओ तो खुद फूल जाते हैं।
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एक बर की बात है अक रामप्यारी की कार मैं किमें खराबी आगी। जांच पड़ताल करके मकैनिक नत्थू बोल्या-इसके तो इंजन मैं ऑयल नी है अर बरेक काम नी कर रह्यी। रामप्यारी बोल्ली-छोट्टी-मोट्टी प्राब्लम तो लागी ए रहैंगी। तू पहलां इसका सीसा ठीक कर दे।