प्रो. मोहिन्द्र सिंह
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के लिए ग्राम पंचायतों का सक्रिय, कार्यकुशल और प्रभावशाली होना अत्यावश्यक है। पंचायतें प्राचीन काल से ही अस्तित्व में रही हैं। विगत में ये संस्थाएं किसी-न-किसी रूप में विद्यमान थीं ताकि स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। वैदिक काल में पंचायतें प्रशासनिक और न्यायिक कार्य करती थीं । मौर्य काल में भी विकेंद्रीकरण की नीति को अपनाया गया था परन्तु राजपूतों के शासन में पंचायतों का महत्व कम ही था। रॉयल आयोग के प्रतिवेदन जिसका प्रकाशन 1909 में हुआ, उसमें प्रत्येक ग्राम में एक पंचायत की स्थापना पर बल दिया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में प्रावधान किया गया कि राज्य ग्राम पंचायतों का गठन करेगा।
वर्ष 1957 में गठित बलवंत राय मेहता समिति ने त्रिस्तरीय पंचायत राज प्रणाली का सुझाव दिया। जिसके परिणाम स्वरूप 2 अक्तूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पहली बार पंचायती राज की स्थापना की गई। धीरे-धीरे शेष राज्यों ने भी पंचायती राज को अपनाया। वर्ष 1977 में पंचायती राज पर गठित अशोक मेहता समिति ने 1978 में अपने प्रतिवेदन में द्विस्तरीय पंचायत राज की सिफारिश की । सन 1983 में हनुमंथा राव समिति, 1985 में जेवीके राव समिति, 1986 में एल एम सिंघवी समिति, 1988 में पीके थुंगन समिति इत्यादि की स्थापना की गई, जिन्होंने पंचायती राज में सुधार हेतु अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना था।
अंततः 73वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित हुआ जिसे 24 अप्रैल 1993 को प्रकाशित किया गया। अब भारत में पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था अपनाई गई है जिसे अधिकतर राज्यों में लागू किया गया। इसके साथ ही ग्राम सभा की व्यवस्था, पांच वर्ष का कार्यकाल, आरक्षण का प्रावधान व 11वीं अनुसूची में 29 विषयों को शामिल किया गया है। उनमें मुख्यतः कृषि, सिंचाई, पशुपालन, मत्स्य पालन, सामाजिक वानिकी, लघु उद्योग, खादी, ग्राम व कुटीर उद्योग, ग्रामीण विकास, पेयजल योजना, सड़क निर्माण, गरीबी उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण इत्यादि कार्य हैं। पंचायतों के लिए वित्त तथा चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं का भी प्रावधान किया गया है।
दरअसल, व्यवहार में अनुभूत विकृतियां – प्रशासनिक कुशलता में कमी, भ्रष्टाचार, गुटबाजी, राज्य सरकारों की उदासीनता, नागरिक सहभागिता का अभाव, ग्रामीण विकास का कमजोर वाहक, उत्तरदायित्व की कमी, निष्क्रियता ,सहकारिता, संवैधानिक आदर्शों के क्रियान्वयन का न होना आदि ग्राम पंचायतों में मौजूद रहीं। प्रत्येक ग्राम सभा में वयस्क मतदाताओं की सक्रियता हेतु नागरिक सभाओं, गैर सरकारी संगठनों तथा ग्रामीण स्तरीय सभी कर्मचारियों के सहयोग से ग्रामीणों को अभिप्रेरित करने, जानकारियां देने व जागरूक बनाने के लिए निरंतर अभियान चलाने की आवश्यकता है। इस अभियान में छात्रों की भागीदारी के साथ ही महिलाओं की जागरूकता हेतु साक्षर महिला समूहों की सहायता ली जानी चाहिए। प्रत्येक पंचायत में सरपंच तथा अन्य चुने गए प्रतिनिधियों को जातिवाद से मुक्ति लेनी होगी ताकि प्रगतिशील सोच से ही समस्त गांव का प्रभावशाली विकास किया जा सके। यह भी कि ऐसी पंचायतें जिनकी मुखिया महिलाएं हैं, ग्रामीण सहयोग से वे स्वतंत्रता के साथ पंचायतों की कार्यप्रणाली को कुशल-प्रभावशाली बना सकें। आरक्षण व्यवस्था लागू होने के बाद कमजोर व पिछड़े वर्ग से चुन कर आए हुए प्रतिनिधियों को ग्राम पंचायत की गतिविधियों में शामिल करके उचित स्थान देना होगा ताकि सामाजिक समानता लाई जा सके ।
चुनाव के तुरंत बाद सरपंचों तथा चुने हुए सदस्यों के लिए गांव के छोटे-छोटे समूह बनाकर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रशिक्षण में सभी महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि योजना निर्माण, विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी, कार्यप्रणाली, वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन व क्रियान्वयन, निरीक्षण, पर्यवेक्षण आदि तथा संबंधित अधिनियम में दी गई शक्तियों व कार्यों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
शिकायत मिलती रही है कि ग्राम पंचायतों को पर्याप्त धन, शक्तियां व कर्मचारियों का आवंटन नहीं किया गया है। कोशिश हो कि पंचायतें वास्तव में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूती प्रदान कर सकें।
प्रत्येक ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार मुक्त हो, सरकारी तथा गैर सरकारी कर्मचारियों के मध्य अच्छे संबंध निश्चित हों, नए विचारों तथा तकनीकों को अपनाने में तत्पर हों और आवश्यक आदर्श मूल्यों को स्थापित करें। पारदर्शिता सुनिश्चित हो, ई-शासन, सुशासन, उत्तरदायित्व व सद्चरित्रता सुनिश्चित हो। नेतृत्व के गुण सिखाए व अपनाए जाने चाहिए और संबंधित ग्राम पंचायत के सदस्यों में आपसी सहयोग की भावना पैदा हो। यदि ग्राम पंचायतें ऐसा स्वरूप बना लेती हैं तो हम लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के सिद्धांतों को स्थापित करने में सक्षम होंगे।