ट्रेंडिंगमुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

उम्दा रक्षा तकनीक से सधा ‘ऑपरेशन सिंदूर’

सटीक हमले और बचाव
Advertisement

भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों से स्कैल्प क्रूज मिसाइलें और हैमर सटीक-निर्देशित बम दागे। स्कैल्प मिसाइलें स्टील्थ तकनीक से लैस थीं, जो रडार से बचकर कम ऊंचाई पर उड़ान भरती हैं और 450 किलोग्राम वॉरहेड के साथ बंकरों को नष्ट करने में सक्षम हैं। हैमर बमों में जीपीएस और लेजर गाइडेंस सिस्टम था, जो रात और प्रतिकूल मौसम में भी सटीक हमले सुनिश्चित करता है।

डॉ. शशांक द्विवेदी
Advertisement

भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा बीते 6-7 मई की रात को शुरू किया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक सटीक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था। यह अभियान 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। ऑपरेशन का प्राथमिक उद्देश्य आतंकी संगठनों के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना और भारत में भविष्य के हमलों को रोकना था।

योजना की शुरुआत पहलगाम हमले के तुरंत बाद हुई, जब प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को खुफिया एजेंसियों और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया। लक्ष्यों की पहचान के लिए सैटेलाइट इमेजरी, मानव खुफिया जानकारी और इंटरसेप्टेड संचार का उपयोग किया गया। ऑपरेशन को गोपनीय और सटीक रखने के लिए केवल शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सरकारी नेतृत्व को इसकी जानकारी थी। यह सुनिश्चित किया गया कि हमले आतंकी ठिकानों तक सीमित रहें।

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना ने संयुक्त रूप से काम किया, जो 54 वर्षों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हुआ। भारतीय वायुसेना ने राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमानों को तैनात किया, जो सटीक हमलों के लिए महत्वपूर्ण थे। थल सेना ने एम777 हल्की होवित्जर तोपों के साथ सहायता प्रदान की, जबकि नौसेना ने समुद्री निगरानी और समर्थन में योगदान दिया। विशेष बलों ने ऑपरेशन से पहले लक्ष्यों की टोह ली और हमलों के बाद नुकसान का आकलन किया। ऑपरेशन के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी साझा की गई। जिसमें बताया गया कि नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। खुफिया एजेंसियों, विशेष रूप से रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), ने लक्ष्यों का चयन किया, जैसे कि बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मरकज सुभान अल्लाह और मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल कैंप।

ऑपरेशन में अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों का उपयोग किया गया। भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों से स्कैल्प क्रूज मिसाइलें और हैमर सटीक-निर्देशित बम दागे। स्कैल्प मिसाइलें स्टील्थ तकनीक से लैस थीं, जो रडार से बचकर कम ऊंचाई पर उड़ान भरती हैं और 450 किलोग्राम वॉरहेड के साथ बंकरों को नष्ट करने में सक्षम हैं। हैमर बमों में जीपीएस और लेजर गाइडेंस सिस्टम था, जो रात और प्रतिकूल मौसम में भी सटीक हमले सुनिश्चित करता है।

मिराज 2000 जेट्स ने स्पाइस 2000 और पाेपआई बमों का उपयोग किया, जबकि एम777 होवित्जर तोपों से एक्सकैलिबर 155 मिमी सटीक-निर्देशित गोले दागे गए। आत्मघाती ड्रोन, जैसे स्काईस्ट्राइकर लॉइटरिंग म्युनिशन, ने छोटे लेकिन महत्वपूर्ण लक्ष्यों को नष्ट किया। मेटियोर मिसाइलों ने हवाई सुरक्षा सुनिश्चित की। इन हथियारों ने भारत की सैन्य तकनीक में उन्नति को प्रदर्शित किया, जो 2019 के बालाकोट हमले की तुलना में अधिक सटीक और प्रभावी थी। ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हेरॉन ड्रोन ने रीयल-टाइम सर्विलांस और माइक्रो-म्युनिशन हमलों में योगदान दिया। स्काईस्ट्राइकर जैसे कामिकेज ड्रोन ने लक्ष्यों पर लंबे समय तक मंडराकर सटीक हमले किए। सैटेलाइट इमेजरी ने लक्ष्यों की सटीक स्थिति और नुकसान के आकलन में मदद की।

थर्मल इमेजिंग और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड सिस्टम ने रात के ऑपरेशन को संभव बनाया। ड्रोन ने 100 किलोमीटर की गहराई तक प्रवेश किया, जिससे पाकिस्तानी रडार को चकमा देने में मदद मिली। सैटेलाइट डेटा ने हमलों के बाद मरकज सुभान अल्लाह जैसे ठिकानों के पूर्ण विनाश की पुष्टि की। ऑपरेशन की कमान एनएसए अजीत डोभाल ने संभाली, जो तीनों सेनाओं के साथ समन्वय में थे। पीएम मोदी ने ऑपरेशन की निगरानी की और अंतिम स्वीकृति दी। एक छोटी, गोपनीय टीम ने लक्ष्यों की निगरानी और सर्विलांस किया। कमांड सेंटर ने रीयल-टाइम डेटा और ड्रोन फुटेज का उपयोग करके हमलों को सिंक्रनाइज किया।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 13 देशों के राजदूतों को ऑपरेशन की जानकारी दी, जिससे भारत की कूटनीतिक पारदर्शिता प्रदर्शित हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ समीक्षा की। यह प्रणाली भारत की सैन्य और कूटनीतिक समन्वय की परिपक्वता को दर्शाती है। ऑपरेशन सिंदूर ने कई भू-राजनीतिक और भौगोलिक चुनौतियों का सामना किया। पाकिस्तान की परमाणु क्षमता और चीन का समर्थन एक जटिल भू-राजनीतिक स्थिति पैदा करता है। भारत ने सटीक और सीमित हमलों के माध्यम से युद्ध की संभावना को कम किया। भौगोलिक रूप से, लक्ष्य पाकिस्तान के पंजाब और पीओके के पहाड़ी क्षेत्रों में थे, जहां रात के समय सटीक हमले चुनौतीपूर्ण थे।

ऑपरेशन को रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच अंजाम दिया गया। स्टील्थ तकनीक, जैसे स्कैल्प मिसाइलें और राफेल विमानों की कम-ऊंचाई उड़ान, ने पाकिस्तानी रडार को चकमा दिया। डिकॉय मिशन, जैसे भारत में 244 जिलों में मॉक ड्रिल की घोषणा, ने पाकिस्तान को भ्रमित किया। सभी नौ लक्ष्यों पर एक साथ हमला किया गया। यह रणनीति भारत की सैन्य परिपक्वता और तकनीकी उन्नति को दर्शाती है।

भारत आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति पर अडिग है। ऑपरेशन ने भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीतिक परिपक्वता, और वैश्विक जिम्मेदारी को प्रदर्शित किया। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया, बल्कि वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और प्रगतिशील शक्ति के रूप में उसकी छवि को भी उभारा।

लेखक विज्ञान विषयों के जानकार हैं।

Advertisement